संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : एक-एक गाड़ी से मिलती करोड़ों की नगदी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती
17-Mar-2025 4:29 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : एक-एक गाड़ी से मिलती करोड़ों की नगदी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने अभी चार दिन पहले एक कार रोकी, और उसमें बनाए हुए एक खुफिया बक्से में से एक करोड़ छैसठ लाख रूपए नगद बरामद किए। इसके बाद कार सवार ड्राइवर और उसके साथी से पूछताछ चल रही थी कि उनके मोबाइल पर 4.52 केजी लिखा हुआ मैसेज आया। इसे देखकर पुलिस को शक हुआ, और कार की और बारीकी से जांच की गई, तो उसमें से एक दूसरी जगह छुपाए गए 2.65 करोड़ रूपए के नोट और बरामद हुए। इसके पहले भी तकरीबन हर महीने किसी न किसी कार से ऐसी नगदी बरामद होती है। और यह तो जाहिर है ही कि हजारों कारों में से किसी एक कार की ही पुलिस जांच कर सकती है, और अलग-अलग किस्म से बनाए गए खुफिया बक्सों को पकड़ पाना भी हर बार मुमकिन नहीं रहता। देश में मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी की थी, और देश में चलन में हजार-पांच सौ के जो नोट थे, उन सभी को रद्द कर दिया गया था। बाद में पांच सौ और दो हजार के नए नोट निकाले गए थे, और लोगों की हैरानी तब तक जारी रही जब तक अभी 2023 में दो हजार रूपए के नोट बंद नहीं किए गए।  कालेधन को रोकने के लिए हजार रूपए का नोट बंद करके दो हजार रूपए का नोट जारी करना बड़ी ही अटपटी बात थी, क्योंकि इससे तो कालेधन की आवाजाही और भी आसान हो गई थी। इन 6-7 बरसों में दो हजार रूपए के नोट कालेधन का कारोबार करने वालों के पसंदीदा थे। नोटबंदी के समय एक तर्क यह भी दिया गया था कि इससे बाजार में हजार-पांच सौ के जितने नकली नोट चलन में होंगे, वे सब भी चलन के बाहर हो जाएंगे। लेकिन न सिर्फ वे नकली नोट बैंकों में जमा हो गए, बल्कि नए छापे गए नोटों की नकल भी चालू हो गई। अब जिस बड़े पैमाने पर देश में रोजाना हवाला कारोबार से एक समानांतर अर्थव्यवस्था चलने की खबर मिलती है, उससे लगता है कि न ही नोटबंदी किसी काम की निकली, और न ही भारत के बैंक और टैक्स के कड़े किए गए जाल में कोई फंस रहे हैं। सामानों पर जीएसटी की वसूली जरूर बढ़ गई है, लेकिन नगदी कारोबार में कोई कमी आई हो ऐसा बाजार से भी सुनाई नहीं पड़ता है।

कालेधन पर रोक लगाने के लिए सरकार और क्या कर सकती है? एक तो 2014 में मोदी सरकार आने के पहले से कई किस्म के बाबा यह कीर्तन कर रहे थे कि मोदी सरकार आते ही विदेशों में जमा देश का कालाधन वापिस आ जाएगा, और हर जनता के खाते में लाखों रूपए डल जाएंगे। खैर, वह तो जुमलों की बात थी, और 40 रूपए लीटर पेट्रोल, और 40 रूपए में डॉलर की बात भी उसकी ठीक उल्टी साबित हुई, और इन दोनों चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए। अब ऐसे में अगर देश में दोनंबरी नगदी कारोबार भी धड़ल्ले से चल रहा है, तो उसे क्या कहा जाए? क्या टैक्स चोरी और दोनंबर के धंधे पर जुर्माना बढ़ाया जाए, सजा बढ़ाई जाए, या ऐसे लोगों के कारोबार करने पर ही रोक लगाई जाए? दरअसल रोक लगाने की भावना तो ठीक है, लेकिन लोगों का कारोबार करने का हक एक बुनियादी हक है, और किसी को काम-धंधे से रोकना उतना आसान नहीं रहता है। रोकने की नौबत भी नहीं आनी चाहिए, और न सिर्फ केन्द्र सरकार को, बल्कि राज्य सरकारों को भी सभी तरह की तस्करी को रोकने के लिए निगरानी भी बढ़ानी चाहिए, और खुफिया जानकारी भी जुटाने का काम बढ़ाना चाहिए।

अभी-अभी दक्षिण भारत में एक बड़े आईपीएस की अभिनेत्री बेटी दुबई से एक-एक बार में 14-15 करोड़ का सोना अपने कपड़ों में छुपाकर लाते हुए पकड़ाई, और वह पिछले कुछ महीनों में दर्जन भर से ज्यादा बार दुबई के फेरे लगा चुकी थी, और इसी वजह से वह निगरानी में भी आई थी। लेकिन अगर एक-एक व्यक्ति अपने कपड़ों में छुपाकर इतना सोना ला सकते हैं, तो सरकार की कस्टम ड्यूटी की वसूली तो बहुत ही बुरी तरह मार खाते दिख रही है। यह तो बार-बार के फेरे, और दुबई जैसी जगह बार-बार जाने-आने से शक हुआ, और यह मामला पकड़ में आया। लेकिन नशीले पदार्थों से लेकर बदन के भीतर सोने का पेस्ट तक भरकर लाने वाले लोग बीच-बीच में पकड़ाते ही हैं। छत्तीसगढ़ में हम देखते हैं कि ओडिशा और पड़ोसी राज्यों से छत्तीसगढ़ होते हुए बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में भरकर गांजा रोज जाता है, और दूसरे किस्म के नशे भी चारों तरफ आते-जाते हैं, बिकते हैं। इन सबसे अर्थव्यवस्था, और लोगों की सेहत दोनों की बड़ी बर्बादी हो रही है।

केन्द्र सरकार के स्तर पर तो तस्करी और दूसरे किस्म के अपराधों पर खुफिया निगरानी के लिए एजेंसी बनी हुई है। लेकिन भारत की बैंकिंग व्यवस्था में आज भी आर्थिक अपराधियों और दोनंबरी कारोबारियों को इतने छेद मिल जाते हैं कि वे नगदी का कारोबार करते रहते हैं, और वह सरकार के जाल में नहीं फंसता। अब चूंकि देश में 12 लाख रूपए तक की आय पर टैक्स नहीं रहेगा, इसलिए हो सकता है कि गरीबों के नाम पर 12 लाख रूपए तक की आय दिखाकर, और फिर उनके खातों से चेक लेकर दोनंबर की रकम को एकनंबर करने का एक बड़ा संगठित कारोबार चलने लगेगा। अभी भी सट्टेबाजी, क्रिप्टोकरेंसी, और शेयर घोटाला जैसे धंधों में गरीबों के बैंक खातों का धड़ल्ले से इस्तेमाल मुजरिम कर रहे हैं। अब जब 12 लाख रूपए तक की आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा, तो लोगों के लिए इन खातों से कारोबारी जुबान में एंट्री लेना आसान हो जाएगा, और बाजार में कई एजेंट यही काम करने लगेंगे।

केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर दोनंबरी से लेकर दसनंबरी कारोबार तक को रोकने के लिए उसकी खुफिया निगरानी मजबूत करनी चाहिए। देश मेें हवाला का काम जैसा पहले चलता था, अभी भी वैसा ही चल रहा है। आज भी किसी कारोबारी शहर से किसी भी दूसरे कारोबारी शहर तक हर दिन सैकड़ों-हजारों करोड़ का कालाधन हवाला से चले जाता है। नोटबंदी से लेकर आज तक सरकार हवाला कारोबार पर वार नहीं कर पाई है। भारत में केन्द्र और राज्य सरकारों की टैक्स-कमाई को बढ़ाने का एक बड़ा जरिया भी इससे निकल सकता है, अगर तस्करी, टैक्सचोरी, और कालेधन की आवाजाही को रोका जा सके। इंकम टैक्स में छूट की सीमा को एकदम बढ़ा देना इसी बरस से चालू होने जा रहा है, इसका बड़े पैमाने पर बेजा इस्तेमाल न हो, इसकी तैयारी केन्द्र सरकार को करनी चाहिए, वरना यह समानांतर अर्थव्यवस्था बन जाएगी, और लोगों का कालाधन छोटे-छोटे गरीब लोगों के खातों से होकर देश की मुख्य अर्थव्यवस्था में पहुंच जाएगा, बिना कोई टैक्स दिए हुए।  (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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