अमरीकी राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनल्ड ट्रम्प ने जब सरकारी फिजूलखर्ची और बर्बादी को घटाने के लिए अलग से एक अभियान शुरू करने की घोषणा की, और अपने दो समर्थक कारोबारियों, एलन मस्क, और विवेक रामास्वामी को इसके लिए छांटा, तो हम व्यक्तियों से परे इस अभियान की तारीफ कर चुके हैं कि सरकार को अपनी चर्बी छांटनी ही चाहिए। ट्रम्प का जनवरी के तीसरे हफ्ते से सत्ता संभालने का कार्यक्रम तय है, और इसके लिए उन्होंने अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग नाम घोषित करना जारी भी रखा है। इसमें ताजा नाम रॉबर्ट एफ केनेडी जूनियर का है जो कि एक भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति के भतीजे भी हैं, और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर जो लगातार सनसनीखेज और विवादास्पद बयान देने के लिए बदनाम भी हैं। इस नाम की उम्मीद पहले से की जा रही थी क्योंकि केनेडी ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापिस लेकर ट्रम्प का साथ दिया था, और अब ट्रम्प ने उन्हें स्वास्थ्य मंत्री मनोनीत किया है। केनेडी के खिलाफ सबसे भयानक बात यह है कि कोरोना के पूरे दौर में उन्होंने वैक्सीन को एक कारोबारी साजिश बताया था, और उसका जमकर विरोध किया था।
केनेडी के बारे में कई तरह की बातें पहले से मीडिया में तैर रही हैं, जो बताती हैं कि वे किस तरह फास्टफूड के खिलाफ हैं जो कि अमरीका में खानपान का एक बड़ा हिस्सा है। अमरीकी बाजार अंधाधुंध घी-तेल, नमक-शक्कर, फेट और मैदे वाले, रासायनिक मसालों वाले खानपान से पटे हुए हैं, और पेशे से वकील केनेडी लगातार इसके खिलाफ अभियान चलाते आए हैं। अमरीका की फास्टफूड कंपनियां पूरी दुनिया में सेहत बर्बाद करने वाला खानपान बेचने के लिए बदनाम हैं, और उन्हें भी आने वाले वक्त में खुद अमरीका के भीतर सरकारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि केनेडी के नाम की घोषणा होते ही कुछ बड़ी अमरीकी खानपान-कंपनियों के शेयरों के दाम गिर गए। इसके साथ-साथ वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के शेयर भी गिर गए क्योंकि रॉबर्ट केनेडी लगातार साजिशों की कहानियों को बढ़ावा देते आए हैं कि कोरोना जैसी वैक्सीन के चलते बच्चों में ऑटिज्म जैसे बीमारियां पैदा हुई हैं। वे सार्वजनिक रूप से बार-बार कोरोना-टीकों के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं, यह एक अलग बात है कि उनके कोई भी आरोप किसी भी कोने से सही साबित नहीं हुए। अमरीका के बहुत से जानकार और समझदार लोग इस बात को लेकर विचलित हैं कि ऐसी कहानियों पर भरोसा रखने वाले को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है। ट्रम्प ने उनके नाम की घोषणा करते हुए जो बात कही वह केनेडी में ट्रम्प का भरोसा बताती है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के मामले में वे जो काम कर सकते हैं, उसे और कोई भी नहीं कर सकता। चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रम्प ने कहा था कि वे राष्ट्रपति बनने पर केनेडी को स्वास्थ्य, खानपान, और दवाओं के मामले में जंगली अंदाज में मनमाना काम करने देंगे। और ट्रम्प के नारे, मेक अमेरिका ग्रेट अगेन, की तर्ज पर केनेडी ने यह नारा उछाला है, मेक अमेरिका हेल्दी अगेन।
केनेडी पेशे से पर्यावरण मामलों के वकील हैं। वकालत के पेशे की वजह से उनकी कानून की समझ अच्छी है, और दवा और खानपान के कारोबार को लेकर उनके बड़े मजबूत पूर्वाग्रह हैं। हम अभी उनके पूर्वाग्रहों के गुण-दोष, या उनके सही-गलत होने पर चर्चा नहीं कर रहें, लेकिन यह बात समझने की जरूरत है कि किसी भी नेता या अफसर को कोई जिम्मा देते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उस मामले में उसके कोई मजबूत पूर्वाग्रह तो नहीं है। ऐसा होने पर वे अपनी विभागीय जिम्मेदारियों के खुले दिमाग से नहीं निभा पाते। अभी केनेडी की जिस सोच को हम सुन रहे हैं, उसमें से खानपान कारोबार को लेकर उनके पूर्वाग्रह को हम सही मानते हैं कि अमरीका स्थित बड़े-बड़े खानपान ब्राँड पूरी दुनिया की सेहत चौपट कर रहे हैं। अमरीका में मोटापा एक बड़ा खतरा बन गया है, और 2017-18 के आंकड़े बताते हैं कि वहां बालिगों में 42 फीसदी से अधिक लोग मोटापे के शिकार हैं जिनमें बहुत अधिक मोटापे वाले लोग भी हैं। करीब 10 फीसदी लोग बहुत बुरे मोटापे के शिकार हैं। ऐसे में अगर अगला स्वास्थ्य मंत्री निहायत गैरजरूरी फास्टफूड कंपनियों के खिलाफ नीतियां और नियम बनाने की बात करता है, तो ऐसी बात तो हर देश में होनी चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ जब ऐसा व्यक्ति कोरोना और दूसरे सभी किस्म की वैक्सीन के खिलाफ अभियान चलाता है, तो यह समझने की जरूरत है कि क्या तरह-तरह की वैक्सीन के बिना कोई भी विकसित देश स्वस्थ रह सकता है?
कुछ बहुत थोड़े से तकनीकी मामलों के विभागों को छोड़ दें, तो बाकी जगहों पर उसी क्षेत्र के जानकार लोगों को लाने से अक्सर नुकसान होता है। मुद्दों को लेकर, व्यक्तियों को लेकर, नियम और नीतियों को लेकर लोगों की पहले से जमी-जमाई सोच उनके दिमाग को कुंद कर देती है, और वे अपने जानकार और विशेषज्ञ सहयोगियों की बात भी सुनना नहीं चाहते। लोगों को हमेशा कुछ सीखने को तैयार रहना चाहिए, असहमति को सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए, और अपनी पथरीली हो चुकी सोच को किनारे रखकर काम करना चाहिए। ऐसा आसान नहीं होता है, क्योंकि उनके दिल-दिमाग की स्लेट पट्टी पर पहले से बहुत कुछ लिखा हुआ रहता है, और स्लेट साफ करना और नए सिरे से सीखना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं रहता है।
ट्रम्प की बहुत सारी दूसरी पसंद भी ऐसी ही सामने आ रही हैं जो कि विदेश नीति के मामले में, देश में अप्रवासियों के मामले में गहरे पूर्वाग्रहों से लदे हुए लोग हैं। एक तो ट्रम्प खुद कमअक्ल, नफरतजीवी, और सनकी तानाशाह हैं, और फिर उनके मंत्री परले दर्जे के पूर्वाग्रहों से लदे हुए कट्टर सोच वाले लोग हैं। अमरीका की कामयाबी देश के भीतर एक खुले दिल-दिमाग से काम करने पर टिकी हुई है। ट्रम्प के इस दूसरे कार्यकाल में उनकी और उनके साथियों की सनक की वजह से यह कामयाबी सबसे पहले प्रभावित होगी, ऐसा लगता है।