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एक विश्लेषण : सब जीतेंगे केवल नीतीश हारेगा
10-Oct-2020 7:35 PM
एक विश्लेषण : सब जीतेंगे केवल नीतीश हारेगा

-अपूर्व भारद्वाज

चिराग ने बिहार के चुनाव में आग लगा दी है 15 दिन पहले लगभग  एक तरफा लग रहे मुकाबले को खोल दिया है पूरे बिहार चुनाव को दिलचस्प बना दिया है बीजेपी शुरू से जानती थी कि इस बार नीतिश उसके कोर वोटबैंक की भरोसे चुनाव लड़ रहे है इसलिए उसने नीतीश को हराने के लिए यह गेम प्लान किया है 10 तारीख को जब चुनाव परिणाम आएंगे तो हो सकता है कि नीतीश बाबू की पार्टी सत्ता से वंचित हो जाए।

बिहार में नीतीश कुमार के विरुद्ध जबरदस्त हवा है लोग नीतीश से नाराज है वो सही विकल्प की तलाश कर रहे है इस बात को बीजेपी के थिंक टैंक ने भाप लिया है उसका मानना है कि उसका वोट ट्रांसफर जद (यू) के उम्मीदवारों की जीत के लिए जरूरी है, उसका दाँव सवर्णों के वर्चस्व वाली कई सीटों पर हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में, जब भाजपा और जद (यू) ने एक साथ चुनाव लड़ा, तो जद (यू) ने  में 22.61 फीसदी वोट हासिल किए। 2015 में, जब जद (यू)  ने राजद के साथ चुनाव लड़ा तो 17 फीसदी मत मिले इन दो विधानसभा चुनावों से पता चलता है कि जेडी (यू) ने एनडीए के साथ बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि भाजपा के वोट उसे ट्रांसफर हो गए थे।

बेरोजगारी, शिक्षा, कानून व्यवस्था और खुद नीतीश कुमार बिहार में बड़ा मुद्दा है इस बात की झलक डिजिटल सर्च डाटा के ट्रेंड एनालिसिस से मिलती है यह विश्लेषण यह नही बताता की वोटर कौनसी पार्टी को वोट दे रहा है बल्कि यह बताता है कि कौनसी पार्टी उसके दिमाग में बार बार आ रही है और इसलिए वो उसको बार बार सर्च करता है इसे साइकोग्राफिकल विश्लेषण भी कहा जाता है जिसमे हर यूजर की एक प्रोफाइल बनाई जाती है जो उसका डिजिटल बिहेवियर बताती है।

पोस्ट में लगे ग्राफ का तुलनात्मक विश्लेषण करेंगे तो आपको पता चलेगा अप्रैल 2019 में में राजद को औसत 10 से कम प्रतिशत लोगों को सर्च किया था और सितंबर 2020 में राजद की ग्रोथ अचानक से बढ़ गई है अब उसे लगभग औसत 40 फीसदी लोग सर्च कर रहे है औऱ पिछले एक महीने का विश्लेषण करे तो  राजद ने जबरदस्त छलांग लगाई है उसकी सर्च में 70 फीसदी उछाल आया है जो बहुत ही चौकाने वाला है  क्योकि  राजद का अधिकांश वोटर ग्रामीण है इसके विपरीत जद (यू) ने 90 प्रतिशत गिरावट देखी है इस विश्लेषण से साफ पता चलता है इस चुनाव में एक पार्टी और एक व्यक्ति का ग्राफ बहुत बुरी तरह नीचे जा रहा है 

बिहार को जानने वाले जानते है कि वहां भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं रहा है इसलिए लालू को चारा चोर कहने वाला जुमला इस बार नहीं चलेगा। लोग नीतीश से ऊब चुके हैं और शायद यह बात नीतीश भी जान चुके हैं वो बीजेपी का चिराग दाँव भी जान चुके हैं इसलिए वो आक्रमक चुनाव प्रचार भी नहीं कर रहे हैं जब सारी पार्टियां चुनाव जीतने के लिए लड़ रही है वो चुनाव हारने के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि उनकी अगली राजनीति इस हार से ही शुरू होगी और क्योंकि इसी से उनके अंदर का पुराना सपना जगेगा इसलिए इस चुनाव में सब जीतेंगे केवल नीतीश हारेगा!!


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