विचार / लेख
-ध्रुव गुप्त
हिन्दी सिनेमा की सबसे ग्लैमरस, सबसे विवादास्पद, सबसे संवेदनशील अभिनेत्रियों में एक रेखा की अभिनय-यात्रा और उसका रहस्यमय आभामंडल समकालीन हिंदी सिनेमा के सबसे चर्चित मिथक रहे हैं। तमिल फिल्मों के एक सुपर स्टार जेमिनी गणेशन और अभिनेत्री पुष्पवल्ली के अविवाहित संबंधों की उपज रेखा का दुर्भाग्य था कि बाप ने उसे अपनी संतान मानने से इंकार किया और मां ने अपना कज़ऱ् उतारने के लिए बचपन में ही उसे सी ग्रेड की फिल्मों में धकेल दिया।
दर्जनों तमिल फिल्मों के बाद1970 में ‘सावन भादों’ से उसका हिंदी फिल्मों में पदार्पण हुआ। यह फिल्म तो चली, लेकिन मामूली और अनगढ़-सी दिखने वाली सांवली और मोटी रेखा का मज़ाक भी कम नहीं उड़ा। अपने कैरियर की शुरुआत में वह अभिनय के लिए नहीं, उस दौर के आधा दर्जन से ज्यादा अभिनेताओं के साथ अपने अफेयर और अभिनेता विनोद मेहरा और व्यवसायी मुकेश अग्रवाल के साथ दो असफल शादियों के लिए जानी जाती थी। वर्ष 1976 की फिल्म ‘दो अनजाने’ के नायक अमिताभ बच्चन से जुडऩे के बाद व्यक्ति और अभिनेत्री के तौर पर भी रेखा का रूपांतरण शुरू हुआ।
देखते-देखते सावन भादो, धरम करम, रामपुर का लक्ष्मण जैसी फिल्मों की भदेस, अनगढ़ रेखा उमराव जान, सिलसिला, आस्था, इजाज़त, आलाप, घर, जुदाई और कलयुग की खूबसूरत, शालीन, संज़ीदा अभिनेत्री में बदल गई। रेखा के व्यक्तित्व और अभिनय में यह बदलाव किसी चमत्कार से कम नहीं था।
अपनी परवर्ती फिल्मों के किरदारों में रेखा ने अभिनय के कई प्रतिमान गढ़े। यह वह दौर था जब उन्हें दृष्टि में रखकर फिल्मों की कहानियां लिखी जाती थी! रेखा को अभिनेत्रियों का अमिताभ बच्चन कहा गया। लंबे अरसे से फिल्मों में वे कम ही दिख रही हैं, लेकिन चरित्र भूमिकाओं में ही सही, आज भी रूपहले परदे पर उनकी उपस्थिति एक जादूई सम्मोहन छोड़ जाती है। पता नहीं इसमें कितनी सच्चाई है और कितनी कल्पना, लेकिन अमिताभ बच्चन-रेखा के रहस्यमय प्रेम का शुमार राज कपूर-नर्गिस, दिलीप कुमार-मधुबाला, देवानंद -सुरैया के बाद हिंदी सिनेमा की सबसे चर्चित प्रेम-कथाओं में होता है। 66 बरस की चिर युवा और चिर एकाकी रेखा को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं, मेरे एक शेर के साथ!
जिस एक बात पे दुनिया बदल गई अपनी
सुना है आपने हमसे कभी कहा भी नहीं !


