विचार / लेख
किरनहार, 01 सितम्बर। पश्चिम बंगाल में वीरभूम जिले के किरनहार से करीब 200 किलोमीटर दूर मिराती गांव में प्रत्येक वर्ष की तरह पारंपरिक दुर्गापूजा तो होगी लेकिन इस बार यह गांव अपने माटीपुत्र और बचपन के मित्रों के बीच ‘पोलटू’ के नाम से लोकप्रिय रहे प्रणव मुखर्जी की कमी महसूस करेगा और यहां के लोग उनकी वाणी में ‘चंडीपाठ’ नहीं सुन पायेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति का जन्म इसी मिराती गांव में हुआ था और यह गांव उनके निधन के बाद शोक में डूबा हुआ है। श्री मुखर्जी अपने बचपन के मित्रों के बीच ‘पोलटू’ के नाम से जाने जाते थे। वह यहां अपने पैतृक गृह में दुर्गा पूजा करते थे और स्वयं चंडी पाठ करते थे। श्री मुखर्जी के घर पर हर साल होने वाली दुर्गा पूर्जा गांव का सबसे बड़ा वार्षिक कार्यक्रम होता रहा है।
गांव के एक निवासी ने बताया कि दुर्गा पूजा के दौरान पूरे पांच दिनों तक उनके घर पर दोपहर और रात का भोजन होता था।
एक अन्य व्यक्ति का कहना था कि ‘पोलटू’ को लेकर सिर्फ इसी बात को लेकर गर्व नहीं रहा कि वह देश के पहले नागरिक बने बल्कि तमाम व्यस्तताओं और उच्च सुरक्षा प्रबंधों के बावजूद वह अपनी विनम्रता नहीं भूले और अपने बचपन के दिनों के मित्रों के साथ यहां आकर मिलते रहे।
पूर्व राष्ट्रपति जब बीमार पड़े थे और सारे गांव ने उनके स्वस्थ होने के प्रार्थना की थी और उन्हें उम्मीद थी कि ‘पोलटू ’अगले महीने दुर्गा पूजा में फिर यहां आयेंगे।(UNIVARTA)


