विचार / लेख
-विनोद वर्मा
बस्तर के नगरनार स्टील संयंत्र को शुरु होने से पहले ही नरेंद्र मोदी सरकार ने विनिवेश सूची में डाल रखा है. यानी इस संयंत्र को किसी निजी कंपनी को बेचने की तैयारी कर ली गई है. लेकिन अब एक नया मोड़ आ गया है. इसे स्थापित करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी ने डी-मर्जर करने का फ़ैसला किया है. आसान शब्दों में यह कि एनएमडीसी पहले इस संयंत्र से अपने आपको अलग कर रहा है. इसके बाद इसका निजीकरण किया जाएगा.
शेयर मार्केट में उछाल बता रहा है कि बाज़ार इस फ़ैसले से ख़ुश है. इन दिनों शेयर बाज़ार और जनता की ख़ुशी में तालमेल वैसे भी बचा नहीं है.
यानी नरेंद्र मोदी सरकार बस्तरवासियों की उम्मीद नगरनार को किसी अंबानी या अडानी या जिंदल को बेचने की दिशा में एक ठोस क़दम उठा लिया है. इस बीच यह भी फ़ैसला हुआ है कि इस संयंत्र को अगले साल शुरु किया जाए. हज़ारों करोड़ के निवेश के बाद उत्पादन शुरु न करने के पीछे भी एक सुनियोजित षडयंत्र है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने एनएमडीसी को ज़मीन औऱ दूसरी सुविधाएं उपलब्ध करवाईं थीं क्योंकि यह सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है और इससे बस्तर के आदिवासियों का भला होगा. लेकिन जब यह संयंत्र शुरु होने से पहले ही निजी हाथों में चला जाएगा तो बस्तर के सपनों का क्या होगा?
'देश नहीं बिकने दूंगा' वाले जुमले का क्या हुआ यह तो पूछना लोगों ने बहुत पहले ही बंद कर दिया है. अब तो तय हो गया है कि यह जुमला अब 'देश नहीं बचने दूंगा' हो चुका है.
(विनोद छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार हैं. यह टिप्पणी उन्होंने अपने निजी फेसबुक पेज पर की है.)


