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इम्तियाज अली अधूरे प्यार को ही जिंदा प्यार क्यों मानते हैं?
03-Jul-2025 7:34 PM
इम्तियाज अली अधूरे प्यार को ही जिंदा प्यार क्यों मानते हैं?

फि़ल्म निर्माता और निर्देशक इम्तियाज अली का सोशल मीडिया पर ट्रेंड करना कोई नई बात नहीं है लेकिन पिछले 29 जून को उनका अचानक ट्रेंड करना थोड़ा अजीब सा था।

जब इसकी वजह जानने के लिए ट्रेंड देखना शुरू किया तो पता चला कि एक न्यूज चैनल पर उनका इंटरव्यू आया है, जिसकी वजह से वह ट्रेंड कर रहे हैं।

एक यूजऱ के कॉमेंट ने अपनी ओर ध्यान खींच लिया, जिसमें लिखा गया था कि इम्तियाज़ अली फि़ल्मों का निर्देशन नहीं करते बल्कि वह भावनाओं का निर्देशन करते हैं।

एनडीटीवी के प्रोग्राम ‘क्रिएटर मंच’ पर इम्तियाज़ अली ने अपनी फिल्मों के बारे में बात की, जहां उनसे प्यार को परिभाषित करने के लिए कहा गया।

जवाब में उन्होंने कहा, ‘जो प्यार पूरा हो जाता है, वह ख़त्म हो जाता है, जो अधूरा रह जाता है, वह जि़ंदा रहता है और यही वजह है कि ‘हीर-रांझा’ से लेकर ‘लैला-मजनूं’ तक मोहब्बत की सभी महान दास्तानें अधूरी हैं।’

अधूरा प्यार

उन्होंने विस्तार से बताया, ‘सब पूरा होकर ख़त्म हो जाता है। जो आधा है, वह जि़ंदा है क्योंकि जब कोई चीज़ अपने अंजाम को पहुंच जाती है तो वह ख़त्म हो जाती है। फिर इसमें कोई जिज्ञासा बची नहीं रहती।’

‘कोई दिलचस्पी नहीं रह जाती है, कोई ऊर्जा नहीं रह जाती है लेकिन जब कोई चीज अधूरी रह जाती है तो वह शख़्स और उसे देखने वाला उसके बारे में सोचता रहता है। वह चीज़ उसकी जिंदगी का हिस्सा बनी रहती है, शायद यही वजह है।’

जब उनसे यह कहा गया कि उनकी फिल्मों और ख़ास तौर पर 'रॉकस्टार' में हीर अपने पति को धोखा दे रही होती है, तो उन्होंने कहा, ‘आप मोहब्बत की सभी बड़ी दास्तानें देखें तो उसमें महिलाएं शादीशुदा होती हैं लेकिन वह अपने प्यार को भुला नहीं पातीं और अपने प्रेमी से मिलती हैं।’

दिलजीत सिंह पर सवाल

एनडीटीवी के पत्रकार और प्रोग्राम के प्रेज़ेंटर शुभंकर मिश्रा ने इम्तियाज़ अली से दिलजीत सिंह के बारे में भी एक सवाल किया। यह सवाल था कि उनका पाकिस्तानी अभिनेत्री के साथ काम करना कितना सही था?

इम्तियाज अली ने उनके साथ ‘अमर सिंह चमकीला’ बनाई है।

इम्तियाज अली ने कहा कि वह दिलजीत सिंह को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं, इसलिए कह सकते हैं कि ‘वह एक देशभक्त हैं और इस धरती के बेटे हैं। वह कंसर्ट्स के अंत में भारत का झंडा लहराते हैं और पंजाब की धरती का बखान करते हैं।’

उन्होंने कहा कि किसी कलाकार को फि़ल्म में कास्ट करना किसी अभिनेता का नहीं बल्कि यह फिल्म बनाने वालों का फैसला होता है।

इससे पहले ‘हाईवे’ और ‘रॉकस्टार’ जैसी संवेदनशील और सुपरहिट फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर इम्तियाज अली ने एक बार कहा था कि फिल्मी दुनिया के लोग राजनीतिक बयानों के लिए फिट नहीं हैं।

उन्होंने कहा था कि डायरेक्टर और फि़ल्म प्रोड्यूसर के तौर पर, ‘मैं मानता हूं कि देश या विदेश में होने वाली घटनाओं से हम प्रभावित ज़रूर होते हैं। हम उन्हें समझ सकते हैं, दिखा भी सकते हैं लेकिन पूरी जानकारी के बिना इस पर कोई राय नहीं दे सकते।’

उनसे एक सवाल उनके व्यक्तिगत जीवन में प्रेम के बारे में किया गया जिस पर उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह अपनी मोहब्बत को ढूंढने में एक दिन कामयाब हो जाएंगे।

‘रॉकस्टार 2’ का इरादा है क्या?

जब उनसे पूछा गया कि क्या ‘वह रॉकस्टार 2’ बनाने के बारे में सोच रहे हैं तो उन्होंने कहा कि कोई और बनाए तो बेहतर होगा। उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है, वैसे, ‘किसी फिल्म के साथ ‘टू’ लग जाए तो वह कामयाब हो जाती है।’

सोशल मीडिया पर उनकी बातों पर काफ़ी कमेंट्स किए गए। यहां तक कि उनके कुछ पुराने इंटरव्यूज भी शेयर किया जा रहे हैं।

एक यूजऱ ने लिखा, ‘रॉकस्टार केवल एक फि़ल्म नहीं बल्कि मुझे ऐसा लगा कि यह एक ऐसा जीवन है जो मुझे जीना है।’

उन्होंने गीतकार इरशाद कामिल के साथ अपनी दोस्ती का भी जि़क्र किया और कहा कि वह ऐसे शख़्स हैं जो उनकी सभी नौ फिल्मों में उनके साथ रहे हैं।

जमशेदपुर से संबंध रखने वाले और दिल्ली के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई करने वाले इम्तियाज अली ने करीना कपूर और शाहिद कपूर के साथ 2007 में ‘जब वी मेट’ बनाई थी जो बेहद कामयाब रही।

उसके बाद उन्होंने सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण के साथ ‘लव आजकल’ बनाई और यह उनकी अब तक की सबसे कामयाब फिल्म मानी जाती है।

फिर रणबीर कपूर और नरगिस फाखरी के साथ उनकी फिल्म ‘रॉकस्टार’ आई। इसके बारे में उन्होंने कहा कि इसमें काम करने वालों में जो तालमेल था, वह उन्हें फिर देखने में नहीं मिला।

उनकी फिल्म ‘हाईवे’ को बहुत साराहा गया। उसमें आलिया भट्ट और रणदीप हुड्डा ने अहम रोल अदा किया है। इस तरह उनकी एक फिल्म ‘कॉकटेल’ आई, जिसमें एक बार फिर सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण थे।

‘तमाशा’ को देर से सराहा गया

उनकी फिल्म ‘तमाशा’ ने भी दर्शकों का बहुत मनोरंजन किया। उनका कहना था कि ‘तमाशा’लोगों को थोड़ी देर से समझ में आई।

इसके बाद शाहरुख़ और अनुष्का शर्मा के साथ उनकी फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ आई जो बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही।

‘लैला-मजनूं’ और ‘लव आजकल’ का सीक्वल भी कोई ख़ास पसंद नहीं किया गया लेकिन पिछले साल उनकी फि़ल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ ने उन्हें फिर से कामयाबी के रास्ते पर ला खड़ा किया।

सोशल मीडिया पर लोगों ने इम्तियाज अली को उनकी फि़ल्मों के लिए याद करते हुए उनकी फिल्मों की ख़ासियत की चर्चा की।

जॉन बनेगा डॉन नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘उनकी कहानी स्क्रीन के वक््त की पाबंद नहीं, वह बहुत देर तक रहती है। इम्तियाज़ अली दर्द और जज़्बे को उसी शायराना ब्रश से पेंट करते हैं। जब वह कहानी सुनाते हैं तो सिनेमा (दर्शकों का) व्यक्तिगत अनुभव बन जाता है।’

जयपुर लिट्रेरी फेस्टिवल के एक्स हैंडल से एक पोस्ट शेयर किया गया जिसमें वह कहते हैं कि उनकी फिल्म ‘तमाशा’ को लोगों ने देर से समझा जबकि शाहरुख खान के साथ उनकी फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ नाकाम हो गई तो उन्हें अहसास हुआ कि स्टार कामयाबी की गारंटी नहीं और कोई भी चीज कामयाब और नाकाम हो सकती है, लेकिन आपका काम आपके साथ जाता है।

वेदांती श्री नाम की एक यूजऱ ने लिखा, ‘आप इम्तियाज़ अली के काम की तारीफ़ नहीं कर सकते। आप केवल उसे महसूस कर सकते हैं। वह जज़्बात, तन्हाई और जुनून को पेश करने के मास्टर हैं।’

साहिल सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘इम्तियाज अली हर युवा की पहचान हैं। उन्होंने सभी युवाओं के दिल जीते हैं और हर नौजवान उनकी फिल्म का बेसब्री से इंतजार करता है।’

सैफ खान नाम के एक यूजर ने लिखा, ‘इम्तियाज अली भारतीय सिनेमा के ऐसे फिल्म निर्माता हैं, जिसके किरदार केवल सीन से ही नहीं गुजऱते बल्कि जज़्बात और बदलाव से भी गुजऱते हैं और हम सब उनसे ख़ुद को जोडक़र देखते हैं।’ (bbc.com/hindi)


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