विचार / लेख

सुनो भाई उधो, थैंक्यू ट्रम्प साहेब, थैंक्यू...!
01-Jul-2025 8:58 PM
सुनो भाई उधो, थैंक्यू ट्रम्प साहेब, थैंक्यू...!

-परमानंद वर्मा

जिस काम को भगवान श्रीकृष्ण नहीं कर सके, भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा जैसे महारथी भी असफल रहे, उसी तरह के कठिनतम, दुष्कर कार्य को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुटकी बजाते हुए चंद मिनटों में कर दिखाया। द्वापर में महाभारत युद्ध तो होकर ही रहा लेकिन कलियुग में ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान और ईरान-इजराइल के मध्य जारी युद्ध को रुकवाने का श्रेय ले लिया। एक महाविनाश रुक गया। उनके शांति प्रस्ताव के प्रयास से इसी संदर्भ में पढिय़े यह छत्तीसगढ़ी आलेख...

वाह... वाह..! कतेक कमाल के हस ट्रम्प साहेब, थैंक्यू... थैक्यूं...! जरूर नोबेल पुरस्कार के हकदार हस। अउ ये तोला मिलना चाही। चाही का मिल के रइही।

मंय ओला केहेंव, अतेक बड़े दू-दू ठन युद्ध आतंक ला रुकवा देय, ये दोनों काम कम बड़े बात हे? भारत-पाकिस्तान अउ इजराइल-ईरान जिहां घमासान मचे रिहिसे, जन, धन, घर दु्आर सबके नुकसान होवत रिहिसे, चारों डहर हाहाकार मचे रिहिसे, आगी कस बरत रिहिस ओ देश मन तेला रोकवा देस, कोनो कम बड़े बात हे? थैंक्यू... थैंक्यू...।

सुखराम जब अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप संग मोबाइल मं बात करते रिहिसे तब ओकर नाती राम परसाद ओकर मन के बात ला सुनत रिहिसे।

राम परसाद अपन बबा सुखराम ल हांसत कहिथे- ये बबा, तंय बिलकुल आज ले अड़हा के अड़हा रहिगेस गा।

नाती पूछथे-‘कइसे का होगे रे बुजा, तेमा मोर बात ल सुनके हांसत हस।

‘हांसत येकर सेती हौं बबा, अरे ओतेक बड़े काहत लागे अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प अउ ओला तैं ठैंक्यू...ठैंक्यू... काहत हस, तोला कोन मास्टर अंगरेजी पढ़ाय हे, कोदो देके पढ़ाय हे का तोर दाई-ददा मन।

- कइसे का होगे संगवारी, कुछु गलती बोल परेंव का, तैं हासत हस?

- ठैंक्यू...ठैंक्यू नहीं, थैक्यू... थैक्यू बोले जाथे। नइ आवय अंगरेजी तब छत्तीसगढ़ी मं जोहार साहेब... जोहार साहेब बोले कर। अपन भाखा मं बात करे मं कांही लाज शरम के बात नइहे।

फेर हमर मास्टर हा तो तीन-तीन विषय मं एम.ए. करे रिहिसे। अंगरेजी, संस्कृत अउ छत्तीसगढ़ी में। अतेक बड़े विद्वान करा पढ़े हौं। कोनो कम बात हे का? आजकल के टूरा तुमन का जानिहौ अंगरेजी? ट्यूशन पढ़-पढक़े बोदा होगे हौ, अउ आय हस मोर गलती निकाले बर।

-‘गलती तो गलती हे बबा, तोर बात ला सुनके मोला हांसी घला आवत हे। ओतेक बड़े धनी-मानी देश अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप अउ तंय भारत जइसन छोटे देस के छोटे शहर के रहइया अउ पटवारी हस तेकर से भला ओहा का बात करही?

सुखराम बबा नाती राम परसाद ल समझावत कहिथे- तंय नइ जानस रे लपरहा, हमर ओकर मन के कतेक पारिवारिक संबंध हे। हमर गांव के गउंटिया गनेश राम नायक विधायक रिहिसे तेकरे संग हमर ददा अमरीका गे रिहिसे. तब ट्रम्प के बाप संग विधायक के अच्छा दोसती रिहिसे। ओ सब बात ला मोला बताय रिहिसे तब ले ट्रंप के परिवार संग हमर मन के संबंध आज ले बने हे।

राम परसाद कहिथे- अइसे का, अतेक बड़े मनखे से तोर संबंध बने हे। बड़े खुशी के बात हे, अतेक दिन ले काबर नइ बताय बबा?

मौका परे मं कोनो बात खुलथे। आज ओ ट्रम्प अमरीका के राष्ट्रपति बने हे, एकर पहिली घला चुने गे रिहिसे तभो ओला ठैंक्यू... ठैंक्यू... के हे रेहेंव फोन लगा के।

- ‘फेर उही ठैंक्यू... ठैंक्यू... काहत हस, जब मंय तोला सुधार के बतावत हौं थैंक्यू... थैंक्यू... काह तब ले...!

- ‘ठीक हे बेटा, अब सुधार के बोलिहौं।

राम परसाद पूछथे- ‘बबा तब ओला का बात बर बधाई देवत हस?

-‘अरे झन पूछ बेटा, जइसे कोनो घर मं आगी लग जथे तब ‘फायर ब्रिगेड आके बुझाथे नहीं, वइसने कस काम ट्रम्प करे हे।

-‘का काम?

-‘भारत-पाकिस्तान मं युद्ध मातगे रिहिसे, कतेक बड़़े पहाड़़, संकट, ऑफत आगे रिहिसे तेला उही हर जान सकत हे. अइसने अभी ईरान अउ इजरायल मं महाभारत मातगे रिहिसे।  डोन,मिसाइल रॉकेट ले गोला-बारुद बरसात  रिहिसे। अरबो, खरबो के नुकसान होगे दूनो देश ला। तौन ला समझौता करके रुकवाइस, ये कोनो कम बड़े बात ह़े

‘बात तो सही काहत हस बबा, फेर मंय सुने हौं अउ अखबार मं पढ़े हौं, टीवी मं देखे हौं। ट्रम्प तो घला ईरान ऊपर हमला कर दे रिहिसे। अउ ओला तंय शांति के मसीहा बतावत हस, तब अइसन नइ करना रिहिसे?

इही तो बात हे ना, लइका मन नइ जानौं। 'भय बिनु प्रीति न होय गोसाई जउन बात रमायन म तुलसीदास लिखे हे, गलत नोहे। सीधा अंगुरी ले घीव नइ निकलय, टेडग़ा मं निकलथे। इही ला सियानी अउ भारत मं कूटनीति कहिथे बेटा, समझे।

राम परसाद कहिथे- ‘अच्छा...अच्छा- समझगेंव बबा, अतेक शांति के मसीहा हे ट्रम्प हा तब ओ ‘टैरिफ का मामला हे जेमा ओहर लूट मचावत हे, सालों से राहत अमरीका मं दूसर देस के नागरिक, विद्यार्थी, कर्मचारी मन ला काबर भगावत हे, ये कोन से नियाव हे? ये तो सरासर गलत हे, अनियाव हे, अइसन नइ करना चाही।

सुखराम बताथे- ये ओकर देस के निजी अउ आंतरिक मामला हे। एकर ऊपर हम नइ गोठिया सकन। अतके बेर कोनो दुआरी मेर आके हुद कराथे- पटवारी हावस का गो? तहां ले नाती-बबा के संवाद टूट जथे।


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