सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिश्रामपुर, 26 नवंबर। आज एसईसीएल के सभी क्षेत्र में संयुक्त केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने नए चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
गेट मीटिंग और धरना-प्रदर्शन में हजारों श्रमिक एकजुट हुए और काला झंडा व काला फीता लगाकर केंद्र सरकार के निर्णय का विरोध जताया। प्रदर्शन के दौरान श्रमिकों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए मांग की कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया 4 श्रम कोड बिल को तत्काल वापस लिए जाए।
एसकेएमएस (एटक) के महासचिव कामरेड अजय विश्वकर्मा, एचएमएस के महामंत्री नाथूलाल पांडेय, एसईकेएमसी के महासचिव गोपाल नारायण तथा सीटू के महासचिव वीएम मनोहर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि देश की आजादी के पहले तथा बाद में श्रमिक कर्मचारियों के लिए बनाये गए 44 कानूनों को समाप्त कर यह 4 कोड बिल उद्योगपतियों के फायदे के लिए बनाया गया है।
चार कोड बिल मजदूर हितों के खिलाफ है। ट्रेड यूनियन के अधिकारों पर हमला है, इनके लागू होते ही श्रमिकों के अधिकार, स्थाई नौकरी और सुरक्षा प्रभावित होंगे। यह संहिताए मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश है।
सभी नेताओं ने बताया कि एसईसीएल सहित पूरे कोयला उद्योग में आज चारों संहिताओं को लेकर जोरदार विरोध हुआ है, यदि केंद्र सरकार जबरदस्ती इन श्रम संहिताओं को लागू करने पर अड़ी रही, तो कोयला उद्योग के सभी कर्मचारी उग्र आंदोलन, खदान बंद हड़ताल के लिए भी तैयार हैं।
सभी नेताओं ने स्पष्ट किया कि देशभर में 26 नवंबर को मजदूर वर्ग उद्योगों और कोयला खदानों के प्रवेश द्वार पर खड़े होकर काला फीता बांध कर 4 कोड बिल की प्रतियां आग के हवाले करते हुए यह संदेश है कि श्रमिक समुदाय को ये चार नए श्रम कानून किसी भी रूप में स्वीकार नहीं हैं।


