सरगुजा
न्याय व्यवस्था का मौजूदा बजट अत्यंत सीमित है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित-सिंहदेव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 16 नवंबर। सरगुजा सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस एवं फोरम फॉर फास्ट जस्टिस द्वारा आयोजित नेशनल कॉन्क्लेव 2025 का शुभारंभ 15 नवंबर को हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 10 बजे मल्टी पर्पज़ ग्राउंड से निकाली गई विशाल रैली के साथ हुआ। यह रैली न्याय व्यवस्था में व्यापक सुधार की मांग और त्वरित न्याय तथा अपनी 11 सूत्रीय मांग, जिसमें ग्राम न्यायालय की स्थापना, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा के जाति में सुधार तथा उन्हें संरक्षण देने , तथा अन्य मांगों के संकल्प को लेकर निकाली गई।
रैली का शुभारंभ फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवान जी रैयानी के द्वारा किया गया, उक्त रैली महामाया चौक होते हुए पीजी कॉलेज आटोडोरियम में सम्पन हुआ,जहां पर राष्ट्रीय अधिवेशन की शुरूआत हुई, जिसमें कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टी. एस. सिंह देव पूर्व उप मुख्यमंत्री के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
यह राष्ट्रीय सम्मेलन देश की मौजूदा न्यायिक प्रणाली में कमियों,जनता की समस्याओं और समाधान के ठोस सुझावों पर केंद्रित रहा। कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों—महाराष्ट्र, मुंबई, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में डेलीगेशन शामिल हुए। उक्त कार्यक्रम का आयोजन सरगुजा सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस के अध्यक्ष डॉ. डी के सोनी ने किया, तथा मंच संचालन राहुल पाण्डेय ने किया।
इन प्रतिनिधि मंडलों में न्याय, सामाजिक सुधार और मानवाधिकार से जुड़े कई प्रख्यात व्यक्तित्व, के लोग हैं जिसमें भगवान जी रैयानी,राज काचारू, मुख्तार अंसारी,नजीर खान, जया विंध्याला,बालू अक्कीसा, विनय कांबले,जे डी सिंह,प्रवीण पटेल, विपुल श्रीवास्तव, और अन्य राष्ट्रीय स्तर के विचारक एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि टी. एस. सिंह देव ने न्याय व्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था का मौजूदा बजट अत्यंत सीमित है,जिसके कारण न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है और वर्तमान में पूरे देश में लगभग 5 करोड़ से ज्यादा मामले न्यायालयों में लंबित हैं।
और जो संसाधन अभी वर्तमान न्यायपालिका के पास उपलब्ध हैं उससे लंबित प्रकरणों के निपटारे में 324 साल लग जाएंगे।
उन्होंने सरकार से मांग की कि न्याय के लिए अलग से और पर्याप्त बजट प्रावधान किया जाए, जिससे अदालतों के निए ज्यादा न्यायाधीशों और न्यायिक कर्मचारियों, की नियुक्ति हो सके, जिससे लंबित मामलों का तेजी से निपटारा संभव हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना करना अत्यावश्यक है, ताकि ग्रामीण स्तर पर भी लोग आसानी से न्याय पा सकें। ग्राम न्यायालयों को आज की तकनीक से नए टेक्नोलॉजी के माध्यम से स्थापित करें जिससे कि कम खर्च में न्याय प्राप्त हो सके।
नेशनल कॉन्क्लेव 2025 में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने भी अपनी-अपनी क्षेत्रीय समस्याएँ, पीडि़त परिवारों के अनुभव और न्याय मिलने में आ रही बाधाओं पर खुलकर चर्चा की।
कई वक्ताओं ने कहा कि न्याय केवल देने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि मिलने का अधिकार है, और इसके लिए एक तेज, पारदर्शी तथा संवेदनशील प्रणाली का निर्माण समय की मांग है।
कार्यक्रम में यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि देशव्यापी स्तर पर न्याय जागरूकता अभियान, जन-संवाद कार्यक्रम तथा लोक अदालतों को सशक्तकरण जैसे कदम उठाए जाएँ—ताकि आम जनता कानूनी प्रक्रियाओं को समझ सके और न्याय प्राप्ति में स्वयं को निर्भीक महसूस करे।
इस सम्मेलन के माध्यम से सरगुजा स्वर्णकार सोसाइटी फॉर फास्ट जस्टिस एवं फोरम फॉर फास्ट जस्टिस ने स्पष्ट संदेश दिया कि बिना न्यायिक सुधार के लोकतंत्र अधूरा है, और त्वरित न्याय हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।संगठन ने सरकार, न्यायपालिका और समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे मिलकर न्याय व्यवस्था को सक्षम, आधुनिक और जनसुलभ बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ।
उक्त कार्यक्रम में सरगुजा में अच्छा कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को भी सम्मानित किया गया जिसमें श्री नवनीकांत दत्ता जिन्होंने कंज्यूमर राइट्स एक्टिविस्ट के रुम में सराहनीय कार्य किया, श्री सत्यम द्विवेदी स्नेक मेन को भी सम्मानित किया गया, साथ ही साथ डॉ. प्रशांत को भी उनके जल संरक्षण में सराहनीय कार्य करने के कारण सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में सरगुजा सोसाइटी के सचिव इंजोर दास महंत, कोषाध्यक्ष एकांत सिंह, हैप्पी सोनी, प्रीति विश्वास, आस्था पांडेय, अजय गौतम, आलोक शुक्ला, राजन यादव, नीरज यादव, तथा काफी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


