सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 29 अक्टूबर। वर्ष 1992 में सरगुजा राजपरिवार के स्वामित्व वाली अलकनंदा टॉकीज़ का लाइसेंस निरस्त किए जाने के मामले में अदालत ने उस समय के कलेक्टर टी.एस. छतवाल को दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही का दोषी मानते हुए 34,795 की क्षतिपूर्ति राशि ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है।
अदालत में प्रस्तुत दस्तावेजों के अनुसार, 2 मार्च 1992 को राजपरिवार के अरुणेश्वर शरण सिंहदेव के स्वामित्व वाली टॉकीज़ को सिनेमा संचालन का लाइसेंस जारी किया गया था। टॉकीज़ का संचालन उनके बड़े भाई, तत्कालीन विधायक टी.एस. सिंहदेव द्वारा किया जा रहा था।
उसी समय वाड्रफनगर क्षेत्र के बिजाकुरा गांव में तीन लोगों की भूख से मौत की घटना के बाद राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस मामले को तत्कालीन कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री देवेंद्र कुमारी सिंहदेव ने विधानसभा व मीडिया में उठाया था। इसके बाद 19 अप्रैल 1992 को कलेक्टर ने अलकनंदा टॉकीज़ का लाइसेंस निरस्त करने का नोटिस जारी किया।
23 अप्रैल तक जवाब देने की समय सीमा थी, लेकिन 24 अप्रैल को जबलपुर हाईकोर्ट ने सिंहदेव परिवार के पक्ष में स्थगन आदेश जारी कर दिया। आरोप है कि उसी दिन आदेश की जानकारी देने के बावजूद कलेक्टर ने लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की और टॉकीज़ का संचालन रोक दिया, जिससे दो दिनों के चार शो नहीं हो सके।
बाद में सिंहदेव परिवार ने आर्थिक क्षति का दावा किया। अदालत में हुई सुनवाई के दौरान आबकारी विभाग ने बताया कि इस प्रकरण से संबंधित फाइल उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने कलेक्टर टी.एस. छतवाल को जिम्मेदार ठहराया और राजपरिवार को क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया।
राजपरिवार के अधिवक्ता संतोष सिंह ने फैसले को कानून और न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि सरगुजा पैलेस सदैव संवैधानिक प्रक्रिया में विश्वास रखता आया है।


