सुकमा

सुकमा-पुसगुन्ना मुठभेड़ में 2 हार्डकोर नक्सली ढेर हथियार सहित भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद
12-Jun-2025 10:02 PM
सुकमा-पुसगुन्ना मुठभेड़ में 2 हार्डकोर नक्सली ढेर हथियार सहित भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सुकमा, 12 जून। सुकमा जिले के थाना कूकानार क्षेत्रांतर्गत डुनमपारा पुसगुन्ना के जंगल पहाड़ी इलाके में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 2 हार्डकोर माओवादी (01महिला, 01पुरुष) मारे गए।  मुठभेड़ स्थल से नक्सलियों के शव,  एक इंसास राइफल, एक भरमार हथियार एवं भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ एवं नक्सल सामाग्री बरामद किया गया।

 पुलिस अधीक्षक सुकमा  किरण चव्हाण ने बताया कि जिला सुकमा के थाना कूकानार क्षेत्रांतर्गत डुनमपारा पुसगुन्ना के जंगल पहाड़ी इलाके में कटेकल्याण एरिया कमेटी में सक्रिय माओवादियों के उपस्थिति के सूचना पर जिला पुलिस बल एवं डीआरजी की संयुक्त पुलिस पार्टी नक्सल विरोधी सर्च अभियान में रवाना हुए थे।

अभियान के दौरान माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच लगातार फायरिंग हुई।  मुठभेड़ स्थल से 02 हार्डकोर माओवादी (01महिला, 01पुरुष) का शव हथियार सहित बरामद हुआ है।

 प्रारम्भिक तौर पर मारे गए माओवादी की पहचान एवं 5 लाख ईनामी पेदारास एलओएस/कमांडर कटेकल्याण एरिया कमेटी (एसीएम) मुचाकी बामन निवासी चिकपाल थाना कटेकल्याण जिला दंतेवाड़ा एवं कटेकल्याण एरिया कमिटी सीनियर पार्टी सदस्या अनीता अवलम निवासी बीजापुर क्षेत्र के रूप में हुई है। बस्तर के आईजी सुन्दरराज पी. ने  बताया कि -वर्ष 2024 में नक्सल विरोधी अभियान में प्राप्त बढ़त को आगे बरकरार रखते हुये वर्ष 2025 में भी बस्तर संभाग अंतर्गत सुरक्षा बलों द्वारा प्रभावी रूप से प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादी संगठन के विरूद्ध नक्सल विरोधी अभियान संचालित किये जाने के परिणाम स्वरूप विगत वर्ष 2024-2025 के 17 महिने  में कुल 411 हार्डकोर माओवादियों के शव बरामद किये गये।

 सरकार के मंशा के अनुसार और जनता की इच्छा के अनुसार पुलिस मुख्यालय के मार्गदर्शन में बस्तर रेंज में तैनात डीआरजी/एसटीएफ/कोबरा/सीआरपीएफ/बीएसएफ/आईटीबीपी/सीएएफ/बस्तर फाइटर्स एवं अन्य समस्त सुरक्षा बल सदस्यों द्वारा मजबूत मनोबल एवं स्पष्ट लक्ष्य के साथ बस्तर क्षेत्र की शांति, सुरक्षा व विकास हेतु समर्पित होकर कार्य किया जा रहा है।

आईजी ने दोहराया कि ‘संकल्प: नक्सल मुक्त बस्तर मिशन’ अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि तेजी से साकार होती हुई हकीकत है। एक समय आतंक और हिंसा का प्रतीक रहा माओवादी आंदोलन अब अपने अंतिम दौर में पहुँच चुका है, जबकि शांति और विकास की नई सुबह बस्तर में दस्तक दे चुकी है।


अन्य पोस्ट