सुकमा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोंटा, 22 मई। सुकमा जिले के विकासखंड कोंटा के अंतर्गत नक्सल प्रभावित वन परिक्षेत्र गोल्लापल्ली में इन दिनों सागौन सहित इमारती पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर हैं । लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर सागौन का अवैध कटाई से लेकर फर्नीचर के निर्माण व बिक्री का पूरा कार्य खुलेआम कर रहे हैं।
मरईगुड़ा लिंगनपल्ली के आगे से गोल्लापल्ली के पहाड़ी तक सैकड़ों नहीं हजारों की तादात में सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई की गई हैं, इनके ठूंठ अभी भी मौजूद हैं, जिन पर वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे वन तस्करों के हौसलों बुलंद हैं और अब वे सडक़ किनारे के पेड़ों को काटकर परिवहन करने में लगे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण ग्राम मरईगुड़ा से मात्र सात-आठ किमी अन्दर जंगलों में बड़ा वन तस्कर गिरोह कार्यरत है, जो वन अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से वनों को खत्म करने में लगा हैं ।
कई घरों में बन रहा अवैध सागौन से फर्नीचर
ग्रामीणों ने बताया कि जंगल में इमारती लकडिय़ों की कटाई कर तेलंगाना इलाके में खपाया जा रहा है और अवैध कटाई कर क्षेत्र में गोल्लापल्ली से मरईगुड़ा , गंगलेर , कोत्तूर , लिंगनपल्ली, रामपुरम , तक 15 घरों में आरा मशीन लगाकर फर्नीचर की दुकानें संचालित हो रही हैं। गोल्लापल्ली रेंज कार्यालय से महज चार पांच किमी दूरी में ही लकड़ी काटने के मशीनें लगी हुई हैं।
दिन में भी कटाई
पहले तो रात के अंधेरे में जंगलों के सफाया और लकड़ी की कटाई का काम किया जाता था , लेकिन अब दिन दहाड़े पेड़ों की अवैध कटाई की जा रही हैं , इसमें सबसे ज्यादा सागौन के पेड़ों को काटने का काम किया जा रहा है । साथ ही पीपल , नीम आदि वृक्षों की कटाई का काम भी खूब किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने लगाया मिलीभगत का आरोप
मीडिया ने ग्रामीणों से चर्चा की तो उन्होंने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि सागौन की कटाई के खेल में बीट गार्ड से लेकर अफसरों की मिलीभगत प्रतीत होती है। ग्रामीण ने कहा जो यहां हो रहा है, वो एक चौथाई भी नहीं है। असली खेल तेलंगाना के भद्राचलम से लेकर खम्मम तक फैले लकड़ी मिल की है। जब जब बात उठती है , तब तब किसी छोटे तस्कर की बलि ले ली जाती है। इस खेल में मुख्य रूप वो वनकर्मी शामिल हैं जो डेढ़ दशक से ज्यादा यहां पदस्थ है। तेलंगाना के मिल मालिकों और यहां वर्षों से पदस्थ कर्मचारियों के बीच एक सिंडिकेट है। यहां के अवैध मार्ट इस सिंडिकेट के बीच कुछ भी नहीं ।

फर्नीचर बनाने के नाम पर मीडिया ने की थी चर्चा
गोल्लापल्ली से मरईगुड़ा तक पंद्रह जगहों पर फर्नीचर बनाया जाता है। घरों में सिलपट, चिरान, कटर मशीन , राउटर, रमदा मशीन , हैंड कटर मशीन और बढ़ाई के काम में इस्तेमाल होने वाले उपकरण देखे गए हैं । इस क्षेत्र में बढ़ाई का कार्य करने वाले ने एक मीडियाकर्मी को बताया कि पिछले एक दशक से फर्नीचर बनाने के कार्य कर रहे हैं , सभी प्रकार के फर्नीचर यहां पर बनाये जाते हैं। फर्नीचर बनाने के बाद छत्तीसगढ़ बॉर्डर पार कराने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है।
कार्रवाई की जाएगी
सुकमा के डीएफओ अक्षय भोसले का कहना है कि हाल ही में मेरे द्वारा मराईगुड़ा, गोल्लापल्ली, किस्टारम का दौरा किया गया है, जो भी वनों का अवैध रूप से कटाई कर परिवहन कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। घरों में संचालित मिलों पर कहा कि जिनके पास आरा मिल का लाइसेंस नहीं हैं, जिनके द्वारा अवैध रूप से मशीन का उपयोग किया जा रहा है, उनको जब्त कर कार्रवाई की जाएगी।


