सुकमा

हर बच्चे को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार-अवध
28-Aug-2022 9:54 PM
हर बच्चे को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार-अवध

बच्चों को सुरक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के बारे में भी किया जागरूक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
 सुकमा, 28 अगस्त।
चाइल्डलाइन टीम ने ग्राम पंचायत -तोंगपाल मंदिर पारा  सुकमा की  बस्ती में ओपन हाउस प्रोग्राम आयोजित कर बच्चों के अधिकारों के बारे में जानकारी दी। साथ ही स्वयं की सुरक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता के बारे में भी जागरूक किया।

कार्यक्रम में चाइल्ड लाइन समन्वयक अवध बघेल ने बताया कि 0 से 18 वर्ष को बच्चा माना जाता है। चाइल्ड लाइन विशेष रूप से इनके लिए काम करती है। एक आपातकालीन टेलीफोन सेवा है, जिसका नि:शुल्क नंबर 1098 है, जो दुर्गम क्षेत्र में मुसीबत में फंसे बच्चे हो, फोन करके आसानी से उन तक मदद पहुंचाई जा सकती है। यह टोल फ्री नंबर किस तरह कार्य करता है इसकी विस्तृत जानकारी दी।

चाइल्डलाइन कॉल सेन्टर के बारे में बताया गया। मानव तस्करी के जाल किस तरह फैले हैं एवं उनसे कैसे बचा जा सकता है। बच्चों को हरेक बच्चे को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है। गुमशुदा, बाल मजदूरी, शोषित बच्चेए बाल मजदूरी, घर से भागे बच्चे, बाल विवाह, जीने का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार, अनाथ, दिव्यांग तथा अन्य कठिन परिस्थितियों में फंसे बच्चों की सहायता के लिए चाइल्डलाइन 24 घंटे कार्यरत है।

इस दौरान काउंसलर चैश्वानी सिन्हा ने बताया कि  चाइल्ड राइट्स कानून के सबसे बड़े लाभ के रूप में लोगों में एक जागरूकता का आना है चाहे विद्यालय हो या अन्य कोई स्थल, कम या ज्यादा मात्रा में लोगों को बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता किया गया तथा चाइल्डलाइन सुकमा टीम मेंबर श्री अमृत नाग एवं मिस गीता यादव जी के द्वारा समाज विकसित हो रहा है इसके साथ ही में मनुष्य की आपराधिक भावना भी बढ़ रही है. मानव को पिछले युग में कई बदलाव देखने को मिले है. कुछ समय पहले आपराधिक दिमाग वाले लोग समाज की वस्तुओं को निशाना बनाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में ये छोटे बच्चों और शिशुओं को निशाना बनाने लगे हैं. मानवता पशुता में ढ़लती जा रही है. छोटे बच्चों और शिशुओं को वो लोग निशाना बनाने लगे हैं. जो अपने यौन आकर्षण के लिए इनका गलत इस्तेमाल करते हैं क्योंकि इन्हें मालूम है कि कम उम्र के बच्चे कमजोर व नासमझ होते हैं और दूसरों से जल्दी घुल-मिल जाते हैं व दूसरों पर जल्दी विश्वास भी कर लेते हैं. इस तरह के ज्यादातर अपराधी घर में से ही या आस-पड़ोस या जान पहचान वाले ही होते हैं. कई बार बच्चों को स्कूल कर्मचारी के साथ स्कूल ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट के लोग भी ऐसे अपराध करते हैं।    
 
कार्यक्रम में तोंगपाल - सरपंच - उप सरपंच, पंच, जनपद पंचायत सदस्य जनप्रतिनिधि , परियोजना अधिकारी श्री रवाठे, तोंगपाल सुपरवाइजर एव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन , जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र  रविन्द्र कोठरे, समाज कल्याण विभाग  राजेंद्र ध्रुव एवं ग्रामवासी उपस्थित रहे।


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