राजपथ - जनपथ
विदेशी मेहमानों की खिदमत तो करें वन अफसर..
उत्तरी अमेरिका के ध्रुवीय इलाके से लगभग 12 हजार किलोमीटर की उड़ान भरकर गोल्डन पेसिफिक प्लोवर पक्षी ने इन दिनों छत्तीसगढ़ में डेरा डाल रखा है। देश के दो तीन और स्थानों पर ये रुके हुए हैं। यह दुर्लभ दृश्य करगी रोड कोटा के मोहनभाठा में देखा जा सकता है। 22 से 25 सेंटीमीटर के आकार वाले ये पक्षी खुराक लेने या खराब मौसम के कारण कुछ दिन के लिये रुक जाते हैं फिर अगले ठिकाने के लिये उड़ जाते हैं। लम्बी यात्रा होने के बाद भी वे अपना रास्ता नहीं भूलते। काले रंग के इन पक्षियों के शरीर में पीले धब्बे होते हैं। मोहनभाठा ऐसी जगह है जहां लुप्तप्राय पक्षियों की आमद प्राय: दर्ज होती रहती है। पक्षी प्रेमी और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर आतुरता से उसकी प्रतीक्षा करते रहते हैं, पर उनकी सुरक्षा के प्रति वन विभाग की उदासीनता सदैव की तरह बनी हुई है। पिछली बार पक्षी महोत्सव जोर-शोर से मनाया गया था कुछ जगहों को चिन्हांकित कर उन्हें पक्षी विहार के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था। पर पक्षियों को अनुकूल माहौल मिले इसके लिये कोई प्रयास नहीं किये गये हैं। भारी वाहनों की आवाजाही, पक्षियों का शिकार करने वालों का मंडराना, तालाबों और अन्य जल स्रोतों के प्रदूषित होते जाने के कारण प्रवासियों की संख्या लगातार घट रही है। वन्यजीव प्रेमी पत्रकार प्राण चड्ढा, जो राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं- समय-समय पर सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर चिंता जताते हैं। गोल्डन पेसिफिक फ्लोवर की तस्वीर भी उन्होंने ही खींची है।
चुनाव यूपी में है और ठोक यहां देंगे?
छत्तीसगढ़ में राम के मुद्दे को कांग्रेस ने पहले भी झटक रखा है। राम वन गमन पथ, सरकार बनने के बाद की पहली घोषणाओं में शामिल था। राम-रथ यात्रा निकाली जा चुकी है। अब तो हर गांव में रामायण मंडलियों को बाजा-गाजा खरीदने के लिये अनुदान दिया जा रहा है। दबी जुबान से भाजपा ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। चंदखुरी को माता कौशल्या का जन्म स्थान मानने से भी इंकार किया, पर आस्थावान वोट बिदक सकते थे इसलिये तूल नहीं दिया गया।
अब सुकमा एसपी द्वारा थानेदारों को लिखी गई चि_ी को आधार बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने धर्मांतरण पर सरकार को घेरा है। जिस तेवर से कल राजधानी में प्रदर्शन हुआ और बयान दिये गये, लगता है विधानसभा चुनाव में इसे एक मुद्दा बनाया जा सकता है। बीते कई चुनावों में देखा जा चुका है कि लोकसभा चुनाव में तो यह हुआ पर विधानसभा में राज्य सरकार के कामकाज पर ही नतीजे आये। धर्मांतरण को मुद्दा बनाना है तो लोगों का खून खौलने तक उकसाना पड़ेगा। दो चार विधानसभा क्षेत्र नहीं बल्कि पूरे राज्य में। इसके लिये समय भी करीब दो साल का है। शायद इसीलिए कल युवा मोर्चा के नेता ने कहा- ‘पहले रोकेंगे, नहीं माने तो ठोकेंगे।’ हिंसक कार्रवाई की चेतावनी दी जाने वाली यह भाषा छत्तीसगढ़ की प्रकृति को सूट नहीं करती। पार्टी वालों को चाहिये कि इन्हें वे यूपी बुला लें, क्योंकि फिलहाल चुनाव वहीं होने वाले हैं। वहां उनके ऐसे तेवर का ज्यादा ठीक तरह से इस्तेमाल हो सकेगा।
पेड़ पौधों के प्रति तृतीय लिंग की कृतज्ञता
रक्षाबंधन पर रायपुर में यह सबसे हटकर अलग दृश्य था। तृतीय लिंग समुदाय ने पेड़-पौधों को तिलक लगाकर प्रणाम किया और रक्षा सूत्र बांधा। रानी शेट्टी, विशाखा, मीठी सहित अन्य ने मितवा संकल्प समिति के बैनर पर यह कार्यक्रम रखा। इनका कहना था कि पेड़-पौधे ऑक्सीजन के स्त्रोत हैं। ये नहीं होते तो हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते थे। हमने कोरोना की दूसरी लहर में भी इसे देख लिया। इस कार्यक्रम में अलग-अलग सामाजिक संगठनों के लोग भी शामिल हुए, दूरी घटी, भ्रांतियों को दूर करने में मदद मिली।
आईटीबीपी कमांडो सुधाकर शिंदे का मारा जाना
नारायणपुर जिले में जिस जगह पर आईटीबीपी के असिस्टेंट कमांडर सुधाकर शिंदे ने साथी एएसआई गुरुमुख सिंह के साथ नक्सली मुठभेड़ में जान गंवाई, वह उसी जगह की घटना है जहां 15 अगस्त को ग्रामीणों के साथ मिलकर उन्होंने तिरंगा फहराया था। ग्रामीणों को मिठाई, राशन व दवाएं भी उन्होंने उपहार में दी थी। घोर नक्सल इलाके में तैनाती देकर राष्ट्र ध्वज फहराना ड्यूटी के प्रति उनके जुनून को रेखांकित करता है। ग्रामीण उस दिन उनके साथ थे, पर शायद नक्सलियों ने भी उन्हें पहचान लिया था। सर्चिंग के लिये वे निकले थे और घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर उन्हें अपने निशाने पर ले लिया। संवेदना संदेश की औपचारिकताओं के साथ उनका नाम भी शहीदों की सूची में दर्ज हो गया। पर, अफसोस ही जता सकते हैं कि ऐसी घटनाएं अब न ब्यूरोक्रेसी को झकझोरती है न राजनीति को। क्या अगले स्वतंत्रता दिवस पर ऐसा नहीं होगा?