राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बिजली दर पर सुनवाई, जले पर नमक
02-Jul-2025 6:20 PM
राजपथ-जनपथ : बिजली दर पर सुनवाई, जले पर नमक

बिजली दर पर सुनवाई, जले पर नमक

खुद को पावर कट फ्री और सरप्लस स्टेट कहने वाला छत्तीसगढ़ आज बिजली कटौती, ब्रेकडाउन और अघोषित कटौती बर्दाश्त कर रहा है। गांवों में रोज 4-6 घंटे की कटौती आम है और शहरों में भी बेहतर नहीं। गर्मी में लोग ओवरलोड से झुलसते रहे, अब बारिश में फाल्ट से घिरे पड़े हैं।

हाल ही में उपभोक्ता सेवा केंद्र 1912 में इंसान से बात करने की सुविधा बंद कर दी गई है। मोबाइल कंपनियों की तरह सब कुछ कम्प्यूटर के हवाले कर दिया गया है। कम्प्यूटर बताएगा कि शिकायत दर्ज है, मगर यह नहीं कि सुधार कब होगा। फ्यूज कॉल सेंटर तो ठिठोली का दूसरा नाम है। यहां बैठे दैनिक वेतनभोगी कर्मी सिर्फ शिकायत लिखते हैं, समाधान उनके बस की बात नहीं। दबाव डालने पर फोन लगाया तो साहब उठाएंगे नहीं। और, आपका फोन तो हरगिज नहीं उठाएंगे। हाल ऐसा है कि फील्ड में टीम ही नहीं, लेकिन पेपर में मैनपावर फुल है। रख-रखाव का जिम्मा साहबों से सेटिंग वाले उन ठेकेदारों पर है, जिनकी रुचि सिर्फ पेमेंट उठाने में है, न कि बिजली सप्लाई की निरंतरता में। किसान, उद्योग, व्यापारी सब कटौती की मार झेल रहे हैं।

जब सिस्टम खुद तहस-नहस  हो, तब बिजली दरें बढ़ाने की चर्चा मजाक है। छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग आजकल जन सुनवाई कर रहा है। दरअसल यह टैरिफ बढ़ोतरी को वैधता देने के लिए है। जब बिजली सप्लाई ही भरोसेमंद नहीं, तो कीमतें क्यों बढऩी चाहिए? पिछली सरकार ने 400 यूनिट तक बिल हाफ करने का वादा किया। धीरे-धीरे अब वही छूट नई दरों के बोझ में दबी जा रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगातार शिकायतें पोस्ट हो रही हैं। यही एक फोरम है, बाकी जगह तो कोई देखता, सुनता नहीं। ऐसे में विभाग और शासन दोनों खामोश हैं। क्या सरकार वाकई नहीं जानती या उसने जानबूझकर आंखें फेर रखी हैं?

भैंस एक बार फिर गई पानी में

दो दिन पहले सीएम विष्णुदेव साय ने राज्यपाल रामेन डेका से मुलाकात की, तो विशेषकर भाजपा में काफी हलचल रही। इस मुलाकात को कैबिनेट विस्तार से जोडक़र देखा जाने लगा। पार्टी के कुछ विधायक भी राज्यपाल, और सीएम के बीच बातचीत का एजेंडा जानने की कोशिश में लगे रहे। दरअसल, राज्यपाल 5 तारीख को विदेश दौरे पर रवाना हो रहे हैं। वो संभवत: 17 तारीख को लौटेंगे। कहा जा रहा है कि राज्यपाल, और सीएम के बीच विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर बात हुई। सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले विधेयकों पर राज्यपाल से चर्चा हुई है।

चर्चा है कि सीएम ने राज्यपाल को मैनपाट में पार्टी के प्रशिक्षण शिविर से भी अवगत कराया है। इसमें चार केन्द्रीय मंत्री पहुंच रहे हैं। कुल मिलाकर विधानसभा सत्र निपटने तक कैबिनेट का विस्तार टलता दिख रहा है। देखना है आगे क्या होता है।

अब सब कुछ मैनपाट के बाद

सरगुजा के हिल स्टेशन मैनपाट में भाजपा के प्रशिक्षण शिविर की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। खुद वित्त मंत्री ओपी चौधरी व्यवस्था की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। 7 से 10 जुलाई तक चलने वाले इस शिविर में साय कैबिनेट के साथ-साथ विधायक, सांसद भी रहेंगे। खास बात यह है कि शिविर में मंत्रियों को भी मोबाइल लेकर आने की अनुमति नहीं होगी। मंत्री-विधायक के स्टाफ भी शिविर से दूर रहेंगे।

चर्चा है कि पार्टी ने कुछ पदाधिकारियों को शिविर की व्यवस्था की जिम्मेदारी दी है। ये सभी पदाधिकारी शिविर से बाहर टेंट में रहेंगे, और जरूरत होने पर उन्हें बुलाया जाएगा। यद्यपि मैनपाट में ठहरने के सारे स्थल बुक हो चुके हैं। कुछ नेताओं ने तो अपने लिए आसपास के फार्म हाउस में इंतजाम कर लिया है।

बताते हैं कि निगम-मंडलों की एक सूची विधानसभा सत्र निपटने के बाद जारी हो सकती है। इसको देखते हुए पार्टी के कई नेता शिविर की व्यवस्था में अपनी भूमिका के लिए मेहनत कर रहे हैं। निगम-मंडलों के ऐसे कई दावेदार नेताओं के बायोडाटा भी पार्टी के रणनीतिकारों तक पहुंचा चुके हैं। शिविर से पहले आरएसएस, और अन्य माध्यमों से भी सिफारिशें आ रही हैं। मगर पार्टी के रणनीतिकार शिविर में नियुक्तियों को लेकर चर्चा करते हैं या नहीं, यह देखना है।

सेवाविस्तार, मोदी सरकार उदार

आखिरकार निवर्तमान सीएस अमिताभ जैन को तीन माह का एक्सटेंशन मिल गया। जैन प्रदेश के सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले सीएस हो गए हैं। हल्ला है कि सरकार ने जैन के उत्तराधिकारी का नाम भी तय कर लिया था, लेकिन ऐन वक्त में केन्द्र से मैसेज आया, और नई नियुक्ति तीन माह के लिए टल गई।

बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों में सीएस, और डीजीपी की नियुक्ति में केंद्र की भी दखल रहती है। केन्द्र सरकार अमिताभ जैन के अलावा गुजरात के डीजीपी विकास सहाय को भी छ: माह का एक्सटेंशन दिया है। दोनों ही आदेश एक साथ जारी हुआ।

अमिताभ जैन, छत्तीसगढ़ के पहले सीएस हैं जिन्हें एक्सटेंशन दिया गया है। हालांकि जैन को मिलाकर अब तक 12 सीएस हो चुके हैं। ये अलग बात है कि किसी भी सीएस के एक्सटेंशन के लिए प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजा गया था। यूपीए सरकार में सीएस-डीजीपी का एक्सटेंशन मिलना काफी कठिन था। मगर मोदी सरकार इस मामले में उदार रही है। अमिताभ जैन के उत्तराधिकारी की नियुक्ति से पहले चर्चा के पहले अलग-अलग स्तरों पर बातचीत होते रही। फिर केन्द्र का सकारात्मक मैसेज मिलने के बाद अमिताभ जैन के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा गया, और फिर पीएमओ ने इस पर मुहर लगाने में देर नहीं की।


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