राजपथ - जनपथ
गणेश शंकर के आने से बीजेपी पर डबल फॉलोऑन !
छत्तीसगढ़ कैडर के एक और रिटायर्ड आईएएस गणेश शंकर मिश्रा ने बीजेपी में शामिल होकर सियासी पारी की शुरूआत की है। गणेश शंकर मिश्रा वही अफसर हैं, जो विधानसभा परिसर में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल से भिड़ गए थे। मिश्रा उस समय जलसंसाधन विभाग के सचिव थे और उन्होंने भूपेश बघेल पर गलत बयानी का आरोप लगाया था, जिसके बाद मीडिया के सामने दोनों के बीच जमकर बहस हुई थी। कांग्रेस अध्यक्ष ने मिश्रा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि वे कागज दिखा दें, तो वे माफी भी मांग लेंगे। बीजेपी के शासनकाल में मिश्रा को रिटायरमेंट के बाद सहकारिता आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें हटा दिया गया। मिश्रा पर रेडियस वॉटर मामले में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। विधानसभा की लोकलेखा कमेटी में गणेश शंकर मिश्रा के ससुराल पक्ष के रिश्तेदार रविंद्र चौबे ने ही उन पर सबसे अधिक चढ़ाई की थी।
तमाम मामलों पर वे कांग्रेस के निशाने पर रहे हैं। अब वे विपक्षी दल में शामिल हो गए हैं। ऐसे में कांग्रेस को उनके खिलाफ मुखर होने का मौका मिल गया है। देखना यह है कि मिश्रा सियासी पारी में कांग्रेस के लगाए गए आरोपों से किस तरह से बचते हैं, लेकिन लोग क्रिकेट की भाषा में चुटकी ले रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी पहले से ही फॉलोऑन बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में कोई ऐसा खिलाड़ी आ जाए जिस पर पहले से फॉलोऑन चढ़ा हुआ है, तो टीम का संघर्ष और बढऩा स्वाभाविक है।
मंडल के बजाए कमंडल का खतरा
छत्तीसगढ़ सरकार ने समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों की तरक्की के लिए चर्मकार, रजककार, लौहशिल्प, तेलघानी जैसे बोर्ड और मंडल का गठन किया है। इससे समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व भी मिलेगा और उनके लिए योजनाएं भी शुरू की जा सकेगी। इस तरह लगभग हर समाज के लिए बोर्ड और मंडल का गठन किया जा चुका है। ऐसे में ब्राम्हण समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की तरक्की के लिए मंडल के गठन का सुझाव आया, ताकि पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान का कार्य करने वाले इस वर्ग के पंडित-पुरोहितों का भला हो सके। समाज के कई लोगों को सुझाव पसंद भी आया, लेकिन पदाधिकारी ने आशंका जाहिर की कि मंडल की जगह अगर कमंडल पकड़ा दिया गया, तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। इसके बाद समाज के लोगों ने मंडल के लिए दबाव बनाने के विचार को त्याग दिया।