राजपथ - जनपथ
रेल दुर्घटना, आपदा में अवसर?
अनूपपुर जिले के वेंकटनगर और निगोरा के बीच एक पुल पर मालगाड़ी के 15 डिब्बे बेपटरी हो गये। इनमें से 10 डिब्बे पुल के नीचे गिर गए। दिलचस्प बात यह है कि जिस तीसरी लाइन पर दुर्घटना हुई, उसे पिछले साल ही तैयार किया गया था। तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसके समय से पहले तैयार कर लेने को आपदा में अवसर बताया था। उनका 8 अगस्त 2020 का ट्वीट है- कोविड-19 के चलते रेलवे ने उठाया फायदा। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर-अनूपपुर जंक्शन पर पेंड्रा-निगोरा के बीच 26 किलोमीटर तक तीसरी लाइन बिछाने का काम समय से पहले पूरा कर लिया गया।
इसी लाइन पर हुई दुर्घटना के चलते अधिकारिक रूप से रेलवे ने 9-10 करोड़ का नुकसान बताया है। पर, बताते हैं कि वास्तविक क्षति इससे ज्यादा है। 15 डिब्बे तो पटरी से उतरे, डैमेज 26 हुए। इन दिनों ट्रेनों के कम चलने के कारण वैसे भी रेलवे नुकसान में हैं, ऊपर से यह मुसीबत। रेल लाइन शुरू करते वक्त तो लगा अवसर है, पर आज समझ में आ रहा है कि वाहवाही के लिये आपदा के दौरान की गई हड़बड़ी नई आपदा ले आई।
जंगल की रखवाली में कोताही
वन अधिकारी प्राय: पता लगा लेते हैं कि शिकार जंगल के किस बीट से किया गया है। जप्त सामग्री के साथ अक्सर उनकी पड़ताल मेल भी खाती है। पर ओडिशा और गरियाबंद की सीमा पर पिछले दिनों वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई बड़ी चेतावनी है। यहां पकड़े गए 6 शिकारियों से तेंदुए की चार, और बाघ की एक खाल बरामद की गई। एक साथ किसी जंगल से इतनी बड़ी संख्या में शिकार नहीं किया जा सकता। शिकार महीनों या वर्षों में किये गये होंगे। शिकारी अभी बेचने के फिराक में पकड़े गये। वन विभाग के अधिकारियों के सामने यह सवाल किया जाना चाहिए कि उनके पास तो अपने रेंज के तेंदुए और बाघ की गिनती होती है। पर, इतनी अधिक संख्या में शिकार होता रहा, शिकारी स्वच्छंद घूमते रहे, तब वे कहां थे? क्या जंगल की निगरानी इसी तरह हो रही है?
वामपंथ और नक्सली उग्रता
छत्तीसगढ़ सरकार की एक घोषणा कुछ दिन पहले हुई है कि अगले 2 सालों में ‘वामपंथ प्रभावित’ क्षेत्रों में 1637 करोड़ रुपए की सडक़ बनाई जाएगी। इस पर माकपा, भाकपा और भाकपा माले-लिबरेशन ने आपत्ति जताई है। उन्होंने सीधे सीएम को चि_ी लिखी है और कहा है कि आप की सरकार का इशारा निश्चित रूप से माओवाद प्रभावित या नक्सल प्रभावित उग्रवाद से है लेकिन ‘वामपंथ-प्रभावित’ शब्द का उल्लेख किए जाने से भ्रम पैदा होता है। वामपंथी ताकतों की देश की संसदीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका है और यह देश की मुख्यधारा से जुड़ी पार्टियां हैं। इस ओर ध्यान दिलाकर वामपंथी दलों ने ठीक ही किया, बहुत से लोगों को फर्क मालूम नहीं है। सरकार की प्रचार सामग्री तैयार करने वालों को तो जरूर पता होना चाहिये। किसी दिन ज्यादा समझ रखने वाली फोर्स उन्हें अर्बन नक्सली बताकर उठा ले तो?