राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : श्रीचंद और दिग्विजय
01-Dec-2020 5:59 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : श्रीचंद और दिग्विजय

श्रीचंद और दिग्विजय

दो चुनाव अधिकारियों के कोरोना से मौत की वजह से चेम्बर चुनाव स्थगित हो गया है, लेकिन एक दिन पहले तक जोर शोर से प्रचार चल रहा था। खुद श्रीचंद सुंदरानी एकता पैनल के प्रचार की कमान संभाले हुए थे। सुंदरानी प्रदेशभर का दौरा कर रहे थे। दुर्ग में उन्होंने एक बार फिर दिग्विजय सिंह की तारीफ की, और कहा-व्यापारियों के लिए सबसे अच्छे सीएम थे। वैसे तो पहले भी यह बात कह चुके हैं। हालांकि उन्होंने रमन सिंह की भी तारीफ की, और कहा कि जब भी उनके ( रमन सिंह) पास चेम्बर की तरफ से कोई मांग आई, उसे फौरन मंजूर किया।

दिग्विजय की तारीफ करने के पीछे ठोस वजह भी है। सुनते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार में सेल्स टैक्स खत्म कर वैट लागू करने की योजना बनाई गई थी, तो दिग्विजय सिंह ने चेम्बर और अन्य व्यापारी संगठनों से सुझाव लेकर इसका क्रियान्वयन किया गया। जब भी वे रायपुर आते थे, तो उस समय के चेम्बर अध्यक्ष पूरनलाल अग्रवाल और महामंत्री श्रीचंद सुंदरानी को पूरा महत्व देते थे। यही वजह है कि श्रीचंद, दिग्विजय की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

गौरीशंकर के खिलाफ मोर्चा

बलौदाबाजार में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है। गौरीशंकर के खिलाफ रोज शिकायतें लेकर बलौदाबाजार के कार्यकर्ता रायपुर आते हैं, और रमन सिंह, पवन साय व अन्य प्रमुख नेताओं से मिलकर गौरीशंकर को जिले की राजनीति से दूर रखने का आग्रह करते हैं। सुनते हैं कि गौरीशंकर से नाराज कार्यकर्ताओं को शिवरतन शर्मा और अन्य विरोधी नेताओं का साथ मिल रहा है।

गौरीशंकर के खिलाफ नाराजगी की वजह यह है कि बलौदाबाजार जिले के एक मंडल अध्यक्ष की पिछले दिनों मृत्यु हो गई। मंडल अध्यक्ष के खाली पद के लिए यह तय हुआ कि जिले की कोर कमेटी की बैठक में नाम फाइनल किया जाएगा। मगर कोर कमेटी की बैठक से पहले ही जिला अध्यक्ष डॉ. सनम जांगड़े ने गौरीशंकर अग्रवाल की सिफारिश पर नियुक्ति कर दी, जिसे जिले के दूसरे बड़े नेता पचा नहीं पा रहे हैं। रोज नाराज कार्यकर्ताओं का जत्था रायपुर पहुंचता है, और शिकायतें कर लौट जाता है। पिछले कुछ दिनों से यह सिलसिला चल रहा है। अब बड़े नेता नाखुश रहेंगे, तो कार्यकर्ताओं का गुस्सा शांत होने का सवाल ही नहीं है।

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