राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पाकिस्तान तक से ‘हमदर्दी’
09-Sep-2020 6:00 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पाकिस्तान तक से ‘हमदर्दी’

पाकिस्तान तक से ‘हमदर्दी’

इधर छत्तीसगढ़ में बिलासपुर आईजी लगातार साईबर ठगी के खिलाफ जागरूकता का अभियान चला रहे हैं, और दूसरी तरफ अब ठग हैं कि वे झारखंड और बिहार के साथ-साथ पाकिस्तान तक से फोन करके ठग रहे हैं।

इस अखबार के संपादक को आज पाकिस्तान से एक फोन आया, और वहां भी कई दोस्त होने की वजह से बिना नंबर परखे उठा लिया। वहां से कोई आदमी बड़ी फिक्र से पूछ रहा था कि सरकार की तरफ से कोरोना पर मिलने वाली 20 हजार रूपए की मदद बैंक खाते में आ गई है, या नहीं? अखबारनवीस होने के नाते होना तो यह चाहिए था कि कुछ और देर उसका मजा लिया जाता, लेकिन काम अधिक होने से चूक हो गई, और फोन तुरंत काट दिया। अब ठगों को एक नया मुद्दा और मिल गया है, कोरोना पर सरकार की तरफ से किसी मुआवजे का लालच। लोग सावधान रहें, सरकार तो छह बरस पहले के 15 लाख रूपए भी अभी तक खाते में नहीं डाल पाई है जो कि ब्याज मिलाकर 25-30 लाख रूपए हो जाने थे, 20 हजार रूपए की बात केवल झांसा है।

कोरोना मौतों में शवों को जलाने का संकट 

जब कोरोना से कोई मौत होती है तो उनके परिवार को प्रियजन को खो देने के अलावा यह दर्द भी सालता है कि अंतिम संस्कार रीति-रिवाज के अनुसार नहीं कर पाये। इधर, मौतों का आंकड़ा बढऩे के साथ एक नई समस्या शवों के जलाने, दफनाने की आ रही है। रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर, कोरबा, जांजगीर, राजनांदगांव आदि में वहां के स्थानीय लोग अपने इलाके के श्मशान गृहों का इस्तेमाल करने से रोक रहे हैं। कई जगह आंदोलन हुए, चक्काजाम भी किया गया। किसी अंतिम यात्रा में इस तरह का दृश्य अपेक्षित नहीं होता,  पर कोरोना का भय लोगों में समाया हुआ है। लोग पीडि़त मरीजों को मृत्यु के बाद भी अपने आसपास नहीं देखना चाहते। कुछ जिलों में स्थानीय प्रशासन ने लोगों के विरोध को देखते हुए आश्वस्त किया है कि अब मृतक जिस क्षेत्र का निवासी होगा, उसी क्षेत्र में उसका शव दाह होगा। इस तरह का विरोध केवल छत्तीसगढ़ में नहीं हो रहा है, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में भी घटनायें हुई हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और उसके बाद कई राज्यों ने दिशानिर्देश जारी कर साफ किया है कि शवों को जलाने से किसी तरह का संक्रमण फैलने का कोई सबूत नहीं है। जलने के दौरान शरीर का तापमान 800 से 1,000 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इस तापमान में कोरोना वायरस का शवों से निकलकर फैलना तार्किक नहीं है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यदि उपचार और मौत के बाद शवों को दाहगृह पहुंचाते तक मानकों का पालन किया जाता है तो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, परिवार के सदस्यों और शवों को जलाने वाले लोगों को किसी तरह का संक्रमण नहीं होगा। जिन समुदायों में शवों को दफनाने की परम्परा है वहां के लिये अलग गाइडलाइन है। प्लास्टिक में लिपटे शवों से देर बाद संक्रमण फैल सकता है। इसलिये दफनाने के बाद उसके वायुकणों को फैलने के लिये पर्याप्त खुली जगह हो और लोगों को भी दूरी बनाकर रखनी चाहिये। मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंस रखने की सलाह के अलावा ऐसे मामलों में भी लोगों के बीच वैज्ञानिक जागरूकता लाने की जरूरत है।

फिलहाल यह भी है कि अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले बहुत करीबी लोग भी पॉजिटिव हुए जा रहे हैं. कड़वी हकीकत यह है कि उन्हीं के अंतिम संस्कार में जाना चाहिए, जिनके साथ ऊपर भी जाना पड़े तो दिल-दिमाग तैयार रहें।

कई धन्ना सेठ ऐसे निपटे

छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण अपने शबाब पर है। कोरोना ने वीआईपी और माननीयों को भी अपनी चपेट में ले लिया। जबकि तमाम वीआईपी और माननीयों ने एतिहात बरतने में कोई कमी नहीं की। कुछ लोग तो ऐसे भी थे, जो सिर्फ जरुरी काम के सिलसिले में बाहर निकल रहे थे। उसके बाद भी उन्हें कोरोना ने धर लिया। ऐसे में सवाल तो उठते हैं कि कहां से संक्रमण आ गया। ऐसे ही राजधानी के धन्ना सेठ माननीय के बारे में चर्चा चली तो उनकी सावधानी के कई किस्से सामने आए। जब संक्रमण के बारे में चर्चा हुई तो अधिकांश बगले झांकने लगते थे, क्योंकि मामला ही ऐसा था कि कोई कुछ बोलना भी नहीं चाहते थे। जैसे-जैसे समय बीतते गया संक्रमण की परत भी खुलने लगी। धन्ना सेठ टाइप माननीयों के बारे में कहा जाता है कि लॉकडाउन के समय से ताश की फड लगती थी, जोकि अनलॉक तक जारी रही। इसी दौरान कई बड़े लोग इसके चपेट में आ गए, क्योंकि इस दौरान सोशल डिस्टेसिंग का तो पालन किया जा सकता है, लेकिन एक ही ताश को सभी खिलाड़ी बारी बारी से बांटते भी है और खेलते समय हाथ में लेते भी है। ऐसी चर्चा है कि ताश के शौकीनों को उनके शौक ने अस्पताल पहुंचा दिया।

मंत्री जी का फंडा

कोरोना काल में कई मंत्रियों ने अपने आपको आइसोलेट कर लिया था। स्वाभाविक है क्योंकि राजधानी में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, लिहाजा सतर्कता तो बरतनी ही पड़ती है। इस दौरान सभी घर में गरम पानी, भाप, हल्दी दूध का सेवन कर अपने आप को बचाने में लगे थे। खास बात यह भी संक्रमण के कारण अस्पतालों में भी जगह नहीं थी, सभी जगह हाउसफुल की स्थिति थी। वे अपने समर्थकों और परिचितों को अस्पताल में जगह नहीं दिलवा पा रहे थे। ऐसे में एक मंत्री ने आइसोलेट होना ही बेहतर समझा, ताकि वे भी सुरक्षित रहें और लोग भी। फोन भी बात करते थे तो सबसे पहले यही बात करते थे कि अस्पताल में जगह नहीं है, इसलिए हल्दी दूध पीएं और च्यवनप्राश खाकर घर पर रहें। उनके इतना कहते ही कई लोग समस्या बताए बिना ही फोन रख देते थे।

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