राजपथ - जनपथ
कोरोना के हॉटस्पॉट कटघोरा में सख्ती के लिए छत्तीसगढ़ के दबंग और तेजतर्रार आईपीएस उदय किरण की खासतौर पर तैनाती की गई है। उदय किरण जहां भी पोस्टेड रहे हैं, वे बीजेपी-कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ अधिकारियों को खटकते रहे हैं। विवादों से उनका गहरा नाता रहा है। बिलासपुर में बीजेपी के सांसद और मेयर को उन्होंने सीएम के कार्यक्रम में जाने नहीं दिया था, तो वहां पत्रकारों के साथ बदसलूकी के कारण भी वे चर्चा में रहे। नेताओं की बेल्ट से पिटाई और बंदूक तानने के कारण तो हर कोई उनसे खौफ खाने लगा था। महासमुंद पहुंचे तो तत्कालीन विधायक की पिटाई के बाद पूरे प्रदेश में उनकी दबंगई की चर्चा होने लगी थी। उनके खिलाफ डीजीपी, एचएम, सीएम से शिकायत की गई। कुछ लोगों ने तो त्राहिमाम-त्राहिमाम करते हुए हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई थी। खैर, अब यही अफसर कटघोरा के लिए ब्रम्हास्त्र साबित हो रहे हैं। कटघोरा के पुरानी बस्ती इलाके में कोरोना का संक्रमण इस कदर फैला हुआ कि सरकार की नींद हराम है। वहां सामुदायिक संक्रमण के खतरे को भांपते हुए पूरे इलाके को सील कर दिया गया है और कर्फ्यू जैसा माहौल है। स्थिति यह है कि पुलिस वाले भी उस इलाके में बमुश्किल जा पाते हैं। पूरे इलाके की निगरानी ड्रोम कैमरे से की जा रही है। ऐसे में लोगों को घरों में कैद रखना बड़ी चुनौती है। लिहाजा, सरकार को ऐसे अफसर की तलाश थी, जिसके नाम का ही लोगों में खौफ हो। ऐसे नाजुक समय में उदय किरण सरकार के क्राइटेरिया में बिल्कुल फिट बैठे हैं, क्योंकि उन्हें डंडा, बेल्ट और बंदूक तानने में खूब महारत हासिल है। खास बात यह भी है कि जिन वीआईपी लोगों को उनका प्रसाद मिला है, वे भी उनको वहां जिम्मेदारी देने की तारीफ कर रहे हैं। ये भी वक्त वक्त की बात है कि जो कभी आंखों की किरकिरी थे, वो आज आंखों का तारा हो गए हैं।
लालबत्ती के बेचारे
अचानक उभरी कोरोना महामारी के कारण सत्ताधारी दल कांग्रेस के नेता सर्वाधिक हताश और परेशान हैं, क्योंकि यह वक्त उनके पुरस्कार का था। उम्मीद की जा रही थी कि निगम मंडलों की कुर्सियां बंटेगीं और वे पंद्रह बरस बाद सत्ता सुख प्राप्त करेंगे। दावेदार नेताओं ने कुर्सियों पर रुमाल बिछाना भी शुरु कर दिया था, लेकिन अब ऐसा लग रहा है जैसे उन्हीं रुमालों को वायरस ने जकड़ लिया है। बेचारे इन नेताओं के पास इस संक्रमण में मुक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कुछ पदाधिकारी तो शुभ मुहूर्त देखकर पूजा पाठ करने की सलाह तक दे रहे हैं। आमतौर पर नेता पद पाने के लिए खुद पूजा पाठ और हवन करते हैं, लेकिन फिलहाल कोरोना को भगाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। लालबत्ती की चिंता में दुबले हुए जा रहे एक नेता ने दूसरे दावेदार से पूछा कि कोरोना संकट से निपटने के तरीके तो सरकार ढ़ूंढ़ लेगी, लेकिन हमारे अच्छे दिन लाने का कोई उपाय हो तो बताओ। दावेदारी वाले नेता ने ढांढ़स बांधते हुए कहा कि मेरी भी यही चिंता है और उसी के लिए यह उपाय किया जा रहा है। उनका कहना था कि ज्योतिष के अनुसार कोरोना ने राहू केतु की तरह लालबत्ती पर अपनी वक्र दृष्टि डाल दी है। ऐसे में पूजा पाठ करके करोना को भगाने में सफल हो गए, तो लालबत्ती पाने में भी सफल हो जाएंगे। मानो नेताजी का आशय यह था कि जहान है तभी जान है।
मकान मालिक को पद
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी गठित करने में सफल हो गए हैं। हालांकि इसमें उन्हें एक साल से ज्यादा का समय लग गया। एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस की संचार विभाग और प्रवक्ताओं की सूची भी जारी हो गई। इसमें एक्का-दुक्का को छोड़कर करीब-करीब वही पुराने चेहरे हैं, जो पिछली कार्यकारिणी में थे, हालांकि इस सूची में जगह पाने के लिए पार्टी नेताओं की ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, क्योंकि बरसों से कई नेता वहीं के वहीं हैं। उन्हें लगता है कि उनका कद बढऩा चाहिए। उनके बॉडी लैग्वेंज में भी वरिष्ठता के भाव दिखाई देते हैं। संभव है कि संगठन के बड़े नेता उनकी वरिष्ठता को भांप नहीं रहे हैं, या फिर भांपना नहीं चाहते। कुल मिलाकर ऐसे तथाकथित, या स्वघोषित वरिष्ठों के चेहरों पर पद पाने के बाद भी खुशी गायब है। दूसरी तरफ एक-दो नए नेता पदाधिकारी बनाए जाने से काफी खुश हैं, क्योंकि वे सत्ताधारी पार्टी के मीडिया विभाग में आ गए हैं। लेकिन कुछ कांग्रेसियों को उनकी खुशी सहन नहीं हुई, तो मीडिया के सामने पोल खोलना शुरू कर दिया। मीडिया को सूची का विश्लेषण करने के लिए बताया कि गया कि नई सूची में प्रवक्ता बनाए गए एक नेता कांग्रेस के एक बड़े पदाधिकारी के मकान मालिक हैं और एक अन्य दूसरी पार्टी से आने के बाद से लगातार इंतजाम अली की भूमिका निभा रहे थे। अब इन कांग्रेसियों को कौन समझाए कि ये तो पार्टी की पुरानी परंपरा है। पद पाने की बेसिक क्वालिटी है। इसको अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। ([email protected])