राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भूपेश ने की महंत की तारीफ ही तारीफ
16-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भूपेश ने की महंत की तारीफ ही तारीफ

भूपेश ने की महंत की तारीफ ही तारीफ

अमरीका के दौरे पर गए हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति और जातिवाद को लेकर बहुत सवाल किए गए। दरअसल उनके भाषण का विषय भी यही था, और छत्तीसगढ़ में उन्होंने पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण बढ़ाने का फैसला जिस तरह लिया, उससे भी जाति आधारित आरक्षण और राजनीति एकदम से खबरों में आए। हार्वर्ड में भारत के कुछ सबसे प्रमुख और चर्चित लोगों को इस कार्यक्रम में व्याख्यान के लिए बुलाया गया है, जिनमें भूपेश बघेल एक हैं। 

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में भूपेश बघेल से मंच पर यह सवाल किया गया कि भारत में आरक्षण से दलित-आदिवासी (एसटी/एससी), ओबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ा दिया गया है, और जब ऐसे लोग कॉलेज या किसी जगह पर पहुंचते हैं तो सवाल उनके मेरिट पर किए जाते हैं, लोग सवाल करते हैं कि आपके भीतर वैसी क्वालिटी नहीं थी, लेकिन आरक्षण से आ गए। ऐसे में आपने छत्तीसगढ़ में आपने एक दलित अधिकारी को मुख्य सचिव बनाया है, एक कबीरपंथी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया है, इस पर आप जो कहेंगे वो हमें भी आगे इन मुद्दों पर जवाब देने में काम आएगा। 

इस पर भूपेश बघेल ने कहा- सवाल अवसर का है। डॉ. चरणदास महंत विधानसभा अध्यक्ष हैं, मैं आपको बताना चाहूंगा वे पहले केन्द्रीय मंत्री थे, तीन या चार बार सांसद थे, और 1980 से लगातार विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य में वे गृहमंत्री थे, और उन्होंने अपनी काबिलीयत सिद्ध की है। 1980 से वे लगातार चुनाव लड़ भी रहे हैं, और अधिकांश चुनाव जीते भी हैं, जनता के बीच जाकर जीतकर भी आए हैं, और अपनी काबिलीयत साबित भी की है। 

भूपेश बघेल के साथ अधिकारियों के अलावा चरणदास महंत भी गए हुए हैं, और अभी यह नहीं मालूम है कि इस कार्यक्रम में वे मौजूद थे या नहीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने जिस दरियादिली से महंतजी की तारीफ की है, वह दरियादिली राजनीति में कुछ कम ही दिखाई पड़ती है। हार्वर्ड से आए एक वीडियो में सिर्फ मंच दिख रहा है, इसलिए दर्शकों में बैठे लोगों में कौन थे, यह पता नहीं चल रहा।

और खरीदने की जरूरत
भाजयुमो के एक पदाधिकारी पंचायत चुनाव जीतकर भी मायूस हैं। वजह यह है कि चुनाव जीतने के बाद उन्हें उपाध्यक्ष प्रत्याशी बनाने का वचन दिया गया था। भाजयुमो नेता ने सदस्यों को अपने पाले में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। तीन सदस्यों को अपने खर्चे पर  प्रदेश से बाहर भेज दिया।  

चुनाव के दो दिन पहले पदाधिकारी तीनों सदस्यों को लेकर रायपुर पहुंचे, तो उन्हें कहा गया कि एक और सदस्य के समर्थन की जरूरत होगी। इसके लिए जो खर्चा बताया गया, उसे सुनकर पदाधिकारी भी चकरा गए। भाजयुमो पदाधिकारी पहले ही तीनों सदस्यों पर काफी कुछ खर्च कर चुके थे। उन्होंने और बोझ उठाने से मना कर दिया। फिर क्या था, पार्टी ने उनकी जगह दूसरे को प्रत्याशी बना दिया। अंतिम क्षणों में प्रत्याशी बदलने का नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ा और उपाध्यक्ष चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 

घड़ा फोडऩे के लिए सिर मौजूद
पूरा एक बरस हो गया छत्तीसगढ़ में सरकार के कुछ बड़े कार्यक्रमों, चुनावों, और छत्तीसगढ़ी त्यौहारों की खबरों से परे अगर किसी किस्म की खबरें मीडिया पर लदी हुई हैं तो वे एफआईआर, अदालती पिटीशन, और स्टेऑर्डर की खबरें हैं। जो लोग एक-एक कतरन सम्हालकर नहीं रखते, उन्हें यह भी याद नहीं होगा कि किसके खिलाफ मामला कहां तक पहुंचा है, किस अदालत से जांच पर रोक लगी है, और उस रोक को हटाने का पिटीशन लगा है या नहीं? पूरे एक बरस में सरकार की जांच एजेंसियों, या जिला पुलिस की कार्रवाई अदालत में खड़ी होते नहीं दिख रही है। मामूली समझ रखने वाले लोग भी कार्रवाई के पहले ही समझ जाते हैं कि कागजों में कौन-कौन सी कमजोरियां छोड़ी जा रही हैं ताकि अदालत से तुरंत ही स्थगन मिल सके। ऐसी भी चर्चा रहती है कि सरकार के कुछ अफसर और आरोपी के वकील मिल-बैठकर कार्रवाई के कागज तैयार करते हैं, और ऐसा किसी एक मामले में ही हो रहा हो, ऐसा भी नहीं है। एक-एक करके सारे ही मामले अदालतों में जसपाल भट्टी के फ्लॉप शो साबित हो रहे हैं। जिन मामलों का सुप्रीम कोर्ट तक जाना तय है, उनके कागजात में भी जब कुएं जितने चौड़े और गहरे गड्ढे छोड़ दिए जाते हैं, तो लोगों को समझ आ जाता है कि यह कैसी मिलीजुली कुश्ती खेली जा रही है, और ऐसे टीम-वर्क के बाद जब घड़ा फोडऩे की बारी आती है, तो फिर एडवोकेट जनरल का सिर तो मौजूद रहता ही है।  ([email protected])

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