राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कॉम्पलेक्स विवाद में कूदे विधायक
11-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कॉम्पलेक्स विवाद में कूदे विधायक

कॉम्पलेक्स विवाद में कूदे विधायक 

शहर के मध्य में स्थित एक व्यावसायिक कॉम्पलेक्स के मालिकाना हक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सुनते हैं कि एक पुराने कारोबारी ने दशकों पहले नजूल जमीन लीज पर लेकर कॉम्पलेक्स खड़ा किया था। दूकानें किराए पर दी थी। जमीन के लीज की अवधि खत्म होने से पहले कॉम्पलेक्स की दूकानों को बेचना शुरू कर दिया। खास बात यह है कि सारी दूकानें एक ही व्यक्ति ने खरीदी है। चर्चा है कि कॉम्पलेक्स के खरीददार  की पिछली सरकार में गहरी पैठ रही है। और पिछली सरकार के रहते खरीदी बिक्री से जुड़े काफी काम निपट गए थे। मगर कुछ काम बाकी रह गए थे। 

सरकार बदलते ही खरीदी-बिक्री को लेकर कुछ लोगों ने अलग-अलग स्तरों पर शिकायत कर दी। इसमें बड़ा पेंच यह भी था कि कॉम्पलेक्स के पिछले हिस्से में सरकारी दफ्तर चल रहा था। संबंधित विभाग ने कॉम्पलेक्स के मालिक से भवन किराए पर लिया था। अब बदली परिस्थितियों में सरकारी भवन को खाली कराना आसान नहीं था। तब खरीददार ने सत्तारूढ़ दल के एक विधायक से मदद मांगी। 

विधायक महोदय एक दिन सरकारी दफ्तर में जा धमके और अफसरों से खुद को भवन का मालिक बताकर भवन खाली करने के लिए कह दिया। आधा अरब से अधिक की इस संपत्ति की खरीदी-बिक्री और इससे जुड़े विवादों को लेकर शिकायतकर्ता जांच के लिए दबाव बनाए हुए हैं। शिकायतकर्ता और विधायक, दोनों ही सत्तारूढ़ दल के हैं। इसके चलते प्रशासन भी पशोपेश में हैं। फिर भी मामले को सुलझाने की कोशिश हो रही है। मगर अब तक सुलझ नहीं पाया है। देर-सवेर इसको लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। 

दिल्ली चुनाव में सुनील सोनी की सक्रियता
दिल्ली चुनाव में भाजपा ने करीब 80 सांसदों को विधानसभावार प्रचार की जिम्मेदारी दी थी। इनमें रायपुर के सांसद सुनील सोनी भी थे। सुनील सोनी को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के चुनाव क्षेत्र नई दिल्ली की कमान सौंपी गई थी। सोनी पहली बार सांसद बने हैं। दिल्ली की गतिविधियों से ज्यादा परिचित नहीं रहे। फिर भी उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। 

सुनील सोनी का हाल यह था कि वे अकेले ही भाजपा के लिए वोट मांगने निकल जाते थे। स्थानीय कार्यकर्ता बड़े नेताओं के साथ रहते थे।  चुनाव परिणाम का भी सबको अंदाजा था इसलिए कार्यकर्ता सुनील सोनी के साथ प्रचार में जाने से परहेज करते थे। सुनील सोनी ने इसकी परवाह नहीं की और वे अंत तक डटे रहे। सुनील सोनी के लिए यह काफी था कि पार्टी ने उन्हें दिग्गज नेता के खिलाफ प्रचार का जिम्मा सौंपा। जबकि छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह और अन्य नेताओं को प्रचार के लिए बुलाया ही नहीं गया था। इससे सुनील सोनी के समर्थकों को भविष्य में पार्टी संगठन में महत्व मिलने की उम्मीद  है। 


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