राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ओनली कैश !
13-Jan-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ओनली कैश !

ओनली कैश! 
शादी-ब्याह या किसी पारिवारिक कार्यक्रम में अधिकांश लोग उपहार स्वरुप लिफाफा लेकर जाते हैं, जिसमें हम अपनी हैसियत के मुताबिक कैश रखते हैं, लेकिन बहुत सारे लोग उपहार में कैश देना पसंद नहीं करते और गुलदस्ता या सामान बतौर गिफ्ट देते हैं। वैसे देखा जाए, तो उपहार लेने-देने का प्रचलन बरसों पुराना है, हालांकि समय के साथ इसमें बदलाव आया है, पुराने समय में तो कैश देने-लेने का ही रिवाज अधिक प्रचलित था। आजकल तो कई आमंत्रण में उपहार नहीं लाने के संदेश दिखाई और सुनाई देते हैं। ऐसा करने वालों की मंशा होती है कि पारिवारिक कार्यक्रमों को मेलजोल तक सीमित रखा जाए और उपहार की औपचारिकता में न बांधा जाए। बावजूद इसके शादी-ब्याह जैसे कार्यक्रम में लोग खाली हाथ जाना उचित नहीं समझते और वर-वधू को आशीर्वाद स्वरुप कुछ न कुछ देना जरूरी समझते हैं। 

खैर, यहां पर उपहार का लेना-देना बहस का विषय नहीं है, क्योंकि यह व्यक्तिगत ज्यादा है। इसके जिक्र के पीछे भी एक शादी का न्यौता है, जोकि हमें सोशल मीडिया में देखने को मिला। दरअसल, कार्ड में लिखा गया है कि द कपल इज ऑन द मूव, सो ओलनी कैश एज गिफ्ट इज वेलकम। सही भी है क्योंकि नवदंपत्ति को शादी के बाद बाहर जाना है और उपहारस्वरुप मिले सामानों को वे अपने साथ ले जाने की स्थिति में नहीं है तो ऐसा संदेश वाजिब दिखाई पड़ता है। शादी-ब्याह में नई गृहस्थी के हिसाब से बड़े और महंगे उपहार भी दिए जाते हैं, जो या तो उनके पास पहले से होते हैं या फिर वे उसके उपयोग करने की स्थिति में नहीं होते। मना करने के बाद भी कुछ न कुछ उपहार दिए ही जाते हैं, तो कैश लिए जाना ही सही तरीका हो सकता है। यह मेहमान और मेजबान दोनों के लिए सुविधाजनक है और व्यर्थ के खर्चों से बचाने वाला भी है। 

कुछ लोग शादी पर उपहार देने में लड़के और लड़की में फर्क करते हैं। अगर वे दूल्हे के परिवार के न्यौते पर पहुंचे हैं, तो वे लिफाफे में सिर्फ शुभकामना का छपा हुए एक कार्ड लेकर जाते हैं, और अगर दुल्हन-परिवार की ओर से मिले न्यौते पर गए हैं, तो कोशिश करते हैं कि अपने खाए पर लड़की के पिता के हुए अंदाजन खर्च से अधिक का लिफाफा देकर आएं। इनमें भी रायपुर के एक प्रमुख व्यक्ति इतने कट्टर हंै कि एक दिन में ऐसी दो किस्म की शादियां हो, तो वे वर पक्ष के न्यौते वाला खाना खाते हैं, और कन्या पक्ष के न्यौते की दावत में कन्या को नगदी का लिफाफा देकर आते हैं। उनका मानना है कि लड़की के पिता को तो लड़के वाले वैसे ही लूट लेते हैं, उस पर और बोझ क्यों बना जाए।

लालबत्ती की बेचैनी
छत्तीसगढ़ में अब लालबत्ती के दावेदारों की बेचैनी बढऩे लगी है। सालभर से ज्यादा का इंतजार पूरा होने वाला है और बैक टू बैक चुनाव भी अंतिम पड़ाव पर है, हालांकि दावेदारों को खुश होना चाहिए, क्योंकि फल प्राप्ति का समय आ गया, लेकिन स्थिति उलट हो गई है। दरअसल, कहा जा रहा है कि लालबत्ती की लिस्ट भी किश्तों में निकाली जाएगी। संभव है कि पहली लिस्ट सीमित हो। कुछ खास लोगों को लालबत्ती मिले। ऐसे में नंबर कटने की आशंका से दावेदार परेशान हैं और इसके लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक लॉबिंग चल रही है। कुछ लोगों का तो यह भी दावा है कि लालबत्ती के लिए बोली भी शुरू हो गई है। इस दावे की सच्चाई पर संशय हो सकता है, लेकिन जोड़-तोड़ में कोई संशय नहीं है। इसका अंदाजा सरकार के नजदीकी लोगों और मंत्रियों के बंगलों में भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। तमाम दावेदार सक्रिय देखे जा सकते हैं। ऐसे ही एक दावेदार को इसकी जानकारी लगी तो समझ आया कि दावा मजबूत रखने के लिए ऐसा करना पड़ता है, वो भी निकल पड़े अभियान में। जैसे ही वो अभियान में कूदे उनका वास्ता दूसरे दावेदारों से हुआ। सभी के अपने अपने अनुभव और तौर तरीके। किसी ने उनसे कहा कि आपकी लालबत्ती तो पक्की है आपको ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं, लेकिन तीसरे दावेदार को पता चला तो उन्होंने जातीय समीकरण में उनको निपटा दिया। नेता बड़े कन्फ्यूज्ड हो गए कि लालबत्ती मिलेगी या नहीं और केवल प्रत्याशा में वे अभियान में कूद गए हैं, जिसमें पैसे भी खर्च हो रहे हैं। इस असमंजस में उनको परिवार के लोगों ने सलाह दी कि आपको लालबत्ती जब मिलेगी तब समझना, लेकिन अभी तो आपके नेतागिरी के चक्कर में धंधे पानी पर असर पड़ रहा है। बच्चों की शादी-ब्याह का समय निकल रहा है। लालबत्ती के चक्कर में धंधा पानी चौपट हो गया तो कहीं के नहीं रहेंगे। एक तो व्यापार पहले से मंदी की चपेट में है। बेचारे नेताजी को परिवार वालों की सलाह जची और कारोबार में ज्यादा फोकस कर रहे हैं और समय बचने पर ही दावा आपत्ति के लिए निकलते हैं और वो भी बंगले में जुटने वाले अभियान से हटकर दावेदारों को फिट अनफिट का समीकरण बताने में लग गए हैं। ([email protected])

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