राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सुब्रमणियम अगले गृह सचिव होंगे?
10-Oct-2019
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सुब्रमणियम अगले गृह सचिव होंगे?

सुब्रमणियम अगले गृह सचिव होंगे?

छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस बीवीआर सुब्रमणियम की वापसी की संभावना तकरीबन खत्म हो गई है। सुब्रमणियम जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव हैं। वे छत्तीसगढ़ के अपने बैच के अकेले अफसर हैं, जो कि केन्द्र सरकार में सचिव पद के लिए सूचीबद्ध हुए हैं। उनके बैचमेट  सीके खेतान और आरपी मंडल, केन्द्र सरकार में सचिव के पद पर सूूचीबद्ध होने से रह गए। हालांकि दोनों के पास राज्य में मुख्य सचिव  बनने का अवसर है, जो कि मौजूदा मुख्य सचिव सुनील कुजूर के एक्सटेंशन न होने की दशा में इस माह के आखिरी में खाली हो सकता है। मगर फिर भी दोनों में से एक रह जाएंगे। 

सुब्रमणियम के पास पाने के लिए बहुत कुछ है। उनके करीबी अफसर मानकर चल रहे हैं कि जम्मू कश्मीर के बाद वे केन्द्र सरकार में अगले गृह सचिव होंगे। यह पद डेढ़ साल बाद खाली होगा। तब तक वे जम्मू कश्मीर में सेवाएं देते रहेंगे। सुब्रमणियम राज्य के पांचवें अफसर हैं, जो कि केन्द्र सरकार में सचिव के पद के लिए सूचीबद्ध हुए हैं। उनसे पहले एसके मिश्रा, एके विजयवर्गीय, शिवराज सिंह और सुनील कुमार सचिव पद के लिए सूचीबद्ध हुए थे। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें  केन्द्र में जाने नहीं दिया और चारों यहीं मुख्य सचिव बनकर रिटायर हुए। पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, डीएस मिश्रा और अजय सिंह संयुक्त सचिव तक तो सूचीबद्ध हो गए थे, लेकिन उन्होंने भारत सरकार में काम नहीं किया, इसलिए सचिव के पद पर सूचीबद्ध नहीं हो पाए। 

चुनावी चंदे की कमी, कार्यक्रमों से भी तौबा

चित्रकोट में भाजपा के नेता फंड की कमी का रोना रो रहे हैं। दंतेवाड़ा में तो कईयों ने खुद के जेब से पैसा भी लगाया था, लेकिन इस बार ज्यादातर लोगों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। महाराष्ट्र और हरियाणा में भी चुनाव हैं और दिल्ली के सारे नेता वहीं व्यस्त हैं। ऐसे में वहां से फंड आने की उम्मीद ही नहीं है। स्थानीय बड़े कारोबारियों ने मंदी को कारण बताकर भाजपा कोई ज्यादा मदद नहीं कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी की हालत वर्ष-2003 से पहले जैसी हो गई है, तब प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं थी। ऐसा नहीं है कि पार्टी नेताओं के पास पैसे की कमी है। पिछले 15 सालों में बड़े नेताओं ने काफी कुछ बना लिया है, लेकिन वे उपचुनाव में जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं। वैसे भी नगरीय निकाय के चुनाव निकट हैं। इसमें भी काफी कुछ खर्च करना पड़ सकता है।  

सुनते हैं कि खर्चों से बचने के लिए पार्टी के फंड मैनेजर कोई कार्यक्रम कराने से भी परहेज करने लगे हैं और यह भी चाहते हैं कि फिलहाल कोई बड़ा नेता न आए। इन नेताओं का मानना है कि दिल्ली वालों के नखरे काफी रहते हैं। एक नेता ने किस्सा सुनाया कि  एक बेहद अनुशासित और सादगी पसंद माने जाने वाले संगठन के एक बड़े नेता का वर्ष-2002 में आगमन हुआ। यह नेता वर्तमान में केन्द्र सरकार में मंत्री हैं। उस समय प्रदेश में सरकार तो थी नहीं, नेताजी की दिल्ली वापसी के लिए इकॉनामी क्लास में फ्लाइट की टिकट बुक कराई। पर नेताजी अड़ गए कि वे बिजनेस क्लास में ही यात्रा करेंगे। इसके बाद पार्टी नेताओं ने आपस में चंदा इकट्ठा कर बिजनेस क्लास की टिकट कराई। अब प्रदेश में सरकार जाने के बाद पुराने दिन याद आने लगे हैं। 
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