राजेश मूणत और रमशीला साहू को छोड़कर रमन सरकार के तकरीबन सभी मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कुछ न कुछ प्रकरण हैं, और वे जांच के घेरे में आ गए हैं। बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ उनकी अपनी सरकार ने ही जांच बिठा रखी थी, इसलिए नई सरकार को आगे कुछ करने की जरूरत नहीं है।
पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा पर गलत जानकारी देकर पत्नी के नाम गैस एजेंसी हासिल करने के मामले की पड़ताल चल रही है। अजय चंद्राकर भी आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच के घेरे में हैं। अमर अग्रवाल और उनके परिवार के कई उद्योगपति सदस्यों के खिलाफ तरह-तरह के केस दर्ज भी हंै, और चर्चा में भी हैं। सुनते हैं कि अमर ने आबकारी में काफी खेल खेला था और एसआर सिंह नाम का अभी लापता या फरार चल रहा भूतपूर्व अफसर अमर की मेहरबानी से ही नौ-नौ बार संविदा नियुक्ति पाकर बड़े-बड़े आईएएस अफसरों से भी ऊपर आबकारी की पूरी साजिश करते रहा, और हजारों करोड़ का दो नंबर का काम उसी दौर में हुआ। राजेश मूणत के खिलाफ अभी तक कोई ठोस प्रकरण नहीं आया है। जबकि खुद डॉ. रमन सिंह कई प्रकरणों में घिर गए हैं। अब 15 साल सरकार में थे, तो गलती होना स्वाभाविक था। कुछ गलतियां अनजाने में हुई, तो कुछ लापरवाही से हुई, शायद यह सोचकर कि सत्ता परिवर्तन होगा ही नहीं। सरकार में बाकी उपेक्षित-तिरस्कृत नेता-अफसरों का यह मानना रहा कि रमन सिंह की टीम यह मानकर चल रही थी कि वे अमर-बूटी पा चुके हैं, और खा चुके हैं। इसी धोखे में बहुत से मामले खड़े रह गए जो कि आज जांच और कटघरे तक पहुंचा रहे हैं। फिलहाल मौजूदा सरकार के लिए अगले चुनाव में जाने तक के लिए काफी कुछ मसाला तैयार हो गया है।