बाजू वाले की करनी, सामने वाला भुगत रहा
सोमवार को सत्ता पक्ष के विधायक ने सरकार ले आग्रह किया कि नेता प्रतिपक्ष पिछले 3-4 दिनों से पिछली सरकार के कार्यों की जांच की मांग कर रहे हैं, सरकार को मान लेनी चाहिए। इससे सदन की हाइप बढ़ेगी । दरअसल प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने जल जीवन मिशन के अधूरे लंबित कार्यों और ठेकेदार को भुगतान का प्रश्न उठाया था । उनका कहना था कि कुछ ठेकेदार ने काम अधूरा कर भुगतान ले लिया तो कुछ भुगतान न होने से काम नहीं कर रहे। और ऐसी ही प्रगति देखकर केंद्र पैसा नहीं दे रहा।
इस पर राजेश मूणत ने महंत से कहा कि नेताजी यह आपके पुराने कार्यकाल के करम हैं, इसलिए छत्तीसगढ़ की जनता भुगतान रही है। इस पर स्पीकर डॉ सिंह ने कहा करम नहीं कार्य कहिए। अजय चंद्राकर ने महंत और भूपेश बघेल की आसंदी (दोनों साथ बैठते हैं) की ओर देखकर चुटकी ली कि बाजू वाले की करनी का फल सामने वाला भुगत रहा है। महंत ने कहा कि कब तक पिछले 5 साल को लेकर चलेंगे। हमारी ही गलती रही जांच क्यों नहीं करा लेते? आपको मौका मिला है अब। कब तक बचना चाहेंगे। जांच करा लें।
मूणत ने कहा कि आप जब उपर (आसंदी)बैठते थे तब जांच करा लेते तो ऐसी स्थिति नहीं होती। जैसे हमारे अध्यक्ष (रमन)बीच-बीच में करते रहते हैं। अजय ने कहा- जहां-जहां संभावना थीं, नेताजी वहां वंचित रहे हैं। महंत ने कहा कि अब हम कह रहे हैं न, जांच करा लें, क्या दिक्कत है, तो जांच नहीं करा रहे। अजय ने स्पीकर से कहा कि बीते 3-4 दिनों से नेताजी जांच करा लें की मांग कर रहे हैं सरकार को मांग मान लेनी चाहिए। इससे सदन की भी ऊंचाई बढ़ेगी। क्योंकि नेता प्रतिपक्ष की मांग पर सरकार की घोषणा बड़ी बात होती है ।
नगर विकास में समरसता
हाल ही में हुए नगरीय निकाय व पंचायत चुनावों में भले ही भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत मिली हो, लेकिन कुछ नतीजे चौंकाने वाले भी रहे। मुंगेली, जहां से केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू और उपमुख्यमंत्री अरुण साव का ताल्लुक है, तथा जहां से दस बार के लोकसभा-विधानसभा विजेता पुन्नूलाल मोहले विधायक हैं, वहां नगरपालिका अध्यक्ष का पद कांग्रेस के हाथ में चला गया।
नगरपालिका अध्यक्ष को अपने विवेकाधिकार से प्रेसिडेंट ऑफ काउंसिल (पीआईसी) में विभिन्न विभागों के सभापति नियुक्त करने का अधिकार होता है। आमतौर पर यह उम्मीद की जा रही थी कि बहुमत में होने के नाते सभी सात सभापति कांग्रेस से होंगे, लेकिन अध्यक्ष रोहित शुक्ला ने एक अलग राह अपनाई। उन्होंने चार सभापति कांग्रेस से चुने और शेष तीन पर भाजपा के पार्षदों को नियुक्त कर दिया।
इस निर्णय से कांग्रेस के कुछ पार्षद नाराज भी हो गए हैं, लेकिन अध्यक्ष का मानना है कि उन्हें नगरवासियों ने विकास की उम्मीद के साथ चुना है और इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ सामंजस्य बनाना आवश्यक है। उसके सहयोग के बिना विकास कार्यों को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। भाजपा को तीन पद देने के बावजूद कांग्रेस का बहुमत बरकरार रहेगा, लेकिन कुछ भाजपा पार्षदों को साथ लेकर चलने से विकास योजनाओं की मंजूरी और क्रियान्वयन में आसानी होगी। अब चुनाव निपट चुका है, इसलिए सभी को मिलकर शहर के हित में काम करना चाहिए।
संयोग से उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास नगरीय प्रशासन विभाग भी है, ऐसे में भाजपा को प्रतिनिधित्व देने से यह सुनिश्चित हो गया है कि मुंगेली को आवश्यक बजट और संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। स्थानीय राजनीति में समन्वय की भूमिका अहम होती है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो अन्य नगरपालिकाओं और स्थानीय निकायों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
सत्ता गई गुटबाजी नहीं
सरगुजा में कांग्रेस का मतलब सिर्फ टीएस सिंहदेव नहीं हैं। वहां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थक भी बड़ी संख्या में हैं। रविवार की शाम गांधी चौक पर बघेल का स्वागत करने के लिए युवाओं के दो गुटों में होड़ लग गई। इतने उत्साहित हो गए कि जोश में होश खो बैठे और आपस में ही भिड़ गए। स्वागत कम, धक्कामुक्की और लात-घूंसे ज्यादा चले। कांग्रेस की अंदरूनी हालत का लाइव प्रदर्शन हो गया। सत्ता हाथ से गई, लेकिन गुटबाजी नहीं गई।