पंचायत और राजनीति
प्रदेश के जिला पंचायत के चुनाव में भाजपा का दबदबा कायम है। अब तक 16 जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव हुए हैं। सभी जगहों पर भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य ही अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। यद्यपि प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रदेश के 18 जिला पंचायतों में कांग्रेस को बहुमत मिलने का दावा किया था, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि 16 जिला पंचायतों में चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस ने पर्यवेक्षक तक नियुक्त नहीं कर पाई। एक तरह से पार्टी ने पहले ही मैदान छोड़ दिया।
कांग्रेस ने जिला संगठन के भरोसे में ही जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। हाल यह रहा है कि दुर्ग में तो कांग्रेस प्रत्याशी ने नामांकन तक नहीं भरा। भाजपा समर्थित प्रत्याशी यहां से निर्विरोध निर्वाचित हुई। खास बात यह है कि भाजपा ने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की रेस में रहे अपने कई दिग्गज नेताओं को ठिकाने भी लगाया है।
पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव सिर्फ इसलिए लड़ा था कि वो जिला पंचायत अध्यक्ष बन जाए। मगर पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया। सिद्धनाथ बागी होकर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन भाजपा समर्थित अधिकृत प्रत्याशी के मुकाबले टिक नहीं पाए।
इसी तरह कोरिया में पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े अपनी पसंद का अध्यक्ष बनवाना चाह रहे थे। मगर वो पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी को राजवाड़े हरवा नहीं पाए। इससे परे बेमेतरा में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल अपने पुत्र अंजु बघेल को जिला पंचायत उपाध्यक्ष बनवाना चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें महत्व नहीं दिया। मन मसोसकर बघेल को पीछे हटना पड़ा, और यहां भाजपा की राह आसान हो गई। भाजपा अपने संगठन, और प्रबंधन के बूते पर जिला पंचायतों में दबदबा बनाए रखने में कामयाब रही है।
भूपेश-ताम्रध्वज को झटका
दुर्ग के जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को तगड़ा झटका लगा है। यहां कांग्रेस ने मैदान ही छोड़ दिया, और भाजपा प्रत्याशी सरस्वती बंजारे निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में कामयाब रहीं।
अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित दुर्ग जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अनुसूचित जाति महिला के लिये आरक्षित था। पूर्व सीएम बघेल, और ताम्रध्वज साहू के प्रभाव वाले दुर्ग में अध्यक्ष पद के लिए कांटे की टक्कर के आसार थे। यहां भाजपा के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 6 और कांग्रेस की 5 थीं। एक निर्दलीय सदस्य प्रिया साहू के भाजपा का साथ देने से जिला पंचायत में भाजपा की स्थिति मजबूत दिख रही थी। भाजपा ने जिला पंचायत सदस्य सरस्वती बंजारे को चुनाव मैदान में उतारा। और फिर परन्तु यहां चुनाव में ट्विस्ट तब आ गया, जब कांग्रेस ने मैदान ही छोड़ दिया, और भाजपा प्रत्याशी सरस्वती बंजारे निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुई है।
जिला पंचायत सदस्य और कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष की एकमात्र उम्मीद उषा सोनवानी के अचानक लापता हो गई। उनके बेटे ने मोहन नगर थाने में शिकायत भी की, कांग्रेस की किरकिरी और तब हो गई जब उनकी एकमात्र दावेदार ने अध्यक्ष पद के लिये न तो फार्म भरा और न वोट देने पहुंची। चर्चा है कि कांग्रेस के पदाधिकारियों ने चुनाव निर्विरोध कराने में अहम भूमिका निभाई है। बहरहाल, आरोप-प्रत्यारोप का विवाद जारी है।