राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : अपील का क्या मतलब है?
28-Jan-2025 3:11 PM
राजपथ-जनपथ : अपील का क्या मतलब है?

अपील का क्या मतलब है?

नगरीय निकायों के लिए भाजपा ने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।  प्रत्याशी को लेकर कई जगह विवाद भी हो रहा है। खुद प्रदेश अध्यक्ष किरण देव के भतीजे ने सुकमा नगर पालिका अध्यक्ष प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और उन्होंने पार्टी छोडऩे का ऐलान कर दिया है। यही स्थिति कई जगहों पर है। मगर पार्टी की नीति साफ रही है कि एक बार घोषणा के बाद प्रत्याशी बदले नहीं जाते हैं। इस बार तो पार्टी ने प्रत्याशी चयन के खिलाफ सुनवाई के लिए गठित अपील समिति भी भंग कर दी है। 

अपील समिति में घोषित प्रत्याशी के खिलाफ शिकायत की जा सकती है, और गंभीर शिकायत होने पर समिति प्रत्याशी बदलने की अनुशंसा कर सकती है। इस बार रायपुर नगर निगम, और प्रदेश के कई जगहों पर प्रत्याशी बदलने की मांग भी उठी। और जब असंतुष्ट लोग अपील समिति में आवेदन के लिए गए, तो उन्हें पता चला कि अपील समिति का अस्तित्व ही नहीं है। समिति को कुछ दिन पहले ही भंग किया जा चुका है। 

पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि मेयर-अध्यक्ष के चयन के लिए चुनाव समिति की बैठक में खुद राष्ट्रीय सह महामंत्री शिवप्रकाश मौजूद थे। बाकी प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल, और पवन साय की जानकारी में लाकर, और उन्हें सूची दिखाकर ही जारी किया जा रहा था। और जब पार्टी के शीर्षस्थ लोग टिकट को लेकर फैसले ले रहे हैं, तो उनके फैसले के खिलाफ अपील का कोई मतलब नहीं है। 

चेहरा देखकर टिकट 

कांग्रेस में चेहरा देखकर टिकट देने की परम्परा रही है। यही वजह है कि कई जगह मजबूत नेता टिकट से वंचित रह जाते हैं, और इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ता है। इस बार भी मेयर, और पालिका  अध्यक्ष के चयन में ऐसा ही हुआ। पार्टी के कुछ लोग मानकर चल रहे हैं कि प्रदेश के 10 में से 3-4 जगहों पर ही पार्टी तगड़ा मुकाबला देने की स्थिति में है। बाकी जगहों पर भाजपा प्रत्याशी फिलहाल बेहतर स्थिति में दिख रहे हैं। पार्टी का चुनाव प्रबंधन कैसा रहता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

तीनों गुवाहाटी में !

भारतीय पुलिस सेवा के तीन अफसर जितेन्द्र सिंह मीणा, आरएन दास, और डी श्रवण केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। इनमें से जितेन्द्र सिंह मीणा सीबीआई, आरएन दास सीआरपीएफ, और डी श्रवण एनआईए में पदस्थ हैं। तीनों ही अफसर सालभर के भीतर प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि तीनों ही अफसर एक ही जगह गुवाहाटी में पोस्टेड हैं। तीनों का दफ्तर भले ही अलग-अलग है, लेकिन आपस में एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने का समय निकाल ही लेते हैं। 

कुंभ स्नान और सिपाही का पत्र 

प्रयागराज कुंभ समापन महाशिवरात्रि को होने जा रहा है। उससे पहले हर कोई, 144 वर्ष बाद हो रहे महाकुंभ में त्रिवेणी संगम में स्नान का पुण्य लाभ कमाने प्रयासरत है। निजी से लेकर सरकारी हर मुलाजिम इसके लिए छुट्टी हासिल करने अपने अपने स्तर पर यत्न कर रहा है। एक ऐसे ही पुलिस के सिपाही ने अपने एसपी को पत्र लिखकर छुट्टी का आवेदन दिया है। इसे पढऩे के बाद शायद कप्तान साहब भी स्नान के लिए कुम्भ चले जाएं। राजस्थान सरकार के पुलिस कांस्टेबल ने इतना विस्तृत वर्णन कर है कि जन्म जन्मांतर के पाप काटने के लिए कुंभ स्नान सी अनुमति देने का आग्रह किया है। पूरा पत्र हूबहू पढ़ें— 

गर्माहट से आई मुस्कान

यह कोरबा जिले के एक पहाड़ी कोरवा बाहुल्य गांव कदमझेरिया के सरकारी प्राथमिक शाला की तस्वीर है। पहाड़ों से घिरे इस इलाके में ठंड का प्रकोप कुछ अधिक ही होता है। 
इन बच्चों के पास गर्म कपड़े नहीं होते। स्कूल के शिक्षकों ने इनके लिए बोरी भर गर्म कपड़ों की व्यवस्था की। बच्चों ने अपनी-अपनी नाप से उन कपड़ों को पसंद किया और पहन लिया। शिक्षकों ने तय किया है कि वे हर माह अपने वेतन का एक प्रतिशत जमा करेंगे और बच्चों के लिए स्लेट, पेंसिल, कपड़े, जूते की उनकी जरूरत के अनुसार व्यवस्था करते रहेंगे।

चुनाव और मजदूरों का जाना एक साथ

खरीफ फसल कटने के बाद मजदूर दूसरे राज्यों में काम करने के लिए निकल जाते  हैं। छत्तीसगढ़ से हजारों मजदूरों का काम की तलाश में बाहर जाना होता है। इनमें से ज्यादातर अनुसूचित जाति और जनजाति परिवारों के होते हैं। जांजगीर-चांपा, सारंगढ़-बिलाईगढ़ आदि जिलों से बाहर जाने वाले अधिकतर लोग अनुसूचित जाति परिवारों के होते हैं। ये यूपी और उत्तरभारत के अन्य राज्यों में ईंट भ_ों में या फिर बिल्डिंग कंस्ट्र्क्शन के काम में लगे होते हैं। खबर आ रही है कि बस्तर से रोजाना दो ढाई सौ लोग तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु कूच कर रहे हैं। अंतर्राज्जीय बसें खचाखच भरी चल रही हैं। ये मजदूर अकेले नहीं बल्कि अपने परिवार के वयस्क मतदाताओं और बच्चों के साथ जा रहे हैं। इसका असर निश्चित रूप से प्रदेश में होने जा रहे स्थानीय चुनावों में, विशेषकर पंचायतों के चुनाव में दिखाई देगा। प्रशासन की ओर से इनको रोकने के लिए कोई चिंता जताई नहीं जा रही है।

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