बस्तर में पत्रकार की पांचवी हत्या
बीजापुर के मुकेश चंद्राकर को मिलाकर हाल के वर्षों में बस्तर में पांच पत्रकारों की हत्या हो चुकी है। साईं रेड्डी, विनोद बख्शी, मोहन राठौर और नेमीचंद जैन की इससे पहले जान ली जा चुकी है।
विगत कुछ वर्षों में भारत में पत्रकारों के अपहरण, हत्या और अन्य जुल्म की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जो लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा है।
2021 में एक रिपोर्ट के अनुसार उस वर्ष भारत में 228 पत्रकारों पर 256 हमले हुए थे, जिसमें हत्या भी शामिल थी। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2015 में मात्र 45 दिनों के भीतर चार पत्रकारों की हत्या हुई थी।
बीते दो दशकों में 79 पत्रकार अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें से कई हत्याएं भ्रष्टाचार और माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग के कारण हुई थीं।
मुकेश चंद्राकर की हत्या भी एक घटिया सडक़ निर्माण की रिपोर्टिंग के चलते की जाने की बात सामने आ रही है। अपहरण के तीन दिन पहले उन्होंने पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार के खिलाफ खबर चलाई थी। हाल ही में अहमदनगर में एक पत्रकार का अपहरण कर हत्या कर दी गई, जो कि स्थानीय माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग कर रहा था।
यूपी के जगेन्द्र और संदीप कोठारी की हत्या सत्ता और माफिया से टकराने का परिणाम थी। 5 सितंबर 2017 को बेंगलूरु में गौरी लंकेश को घर से बाहर गोली मारकर मार डाला गया था। उसकी हत्या दक्षिणपंथी कट्टरता के खिलाफ टकराने के कारण की गई थी। इस मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 18 जमानत पर बाहर हैं। बाहर आने पर कट्टर हिंदू संगठनों ने आरोपियों का स्वागत किया था।
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार की उदासीनता ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। कई मामलों में पुलिस और प्रशासनिक तंत्र भी माफियाओं के दबाव में काम करते हैं।
दूसरी जगहों की तरह बस्तर में भी सच लिखने और बोलने वालों का अकाल पड़ा हुआ है। मुकेश चंद्राकर और उनके साथियों ने बीहड़ इलाकों में जाकर सच उजागर किए थे। पता नहीं, इस हत्या का बस्तर और छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता पर कितना घातक असर होगा।
फील्ड में टोटा, मंत्रालय सेफ जोन
क्या मंत्रालय, संचालनालय में पोस्टिंग अफसरों खासकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए सेफ जोन हो गया है। फील्ड के दफ्तर सामान्य प्रशासन कानून व्यवस्था संभालने के लिए पीएससी से चुने गए डिप्टी, संयुक्त और एडिशनल कलेक्टर की कमी से जूझ रहे हैं। और मंत्रालय, संचालनालय में इस कैडर के अफसर बहुतायत हो गए हैं। इनकी पोस्टिंग पर नजर, हिसाब- किताब रखने वाले जीएडी का ही कहना है कि प्रतिनियुक्ति के निर्धारित पदों से दो गुने राप्रसे अफसर दोनों भवनों में पदस्थ हो गए हैं। यहां तक कि दूर दूर तक वास्ता न होने के बावजूद पीएचई, पीडब्ल्यूडी, वन, जल संसाधन, शिक्षा जैसे तकनीकी विभागों में भी डिप्टी कलेक्टर पदस्थ हो गए हैं। जबकि इनमें इन्हीं विभागों के तकनीकी अफसर उप सचिव पदस्थ किए जाने के नियम परंपरा भी रही है और होते भी रहे हैं।
इन्हें विभाग न मिले तो भी जीएडी पूल यानी रिजर्व में रहकर बिना काम के दिन काटना मंजूर है। महीनों से पूल में रहे ऐसे ही तीन अफसरों को कल ही पोस्टिंग मिली। फील्ड की किचकिच से दूर हींग लगे न फिटकरी की तरह, बंगला, कार नौकरों के साथ पूरा जलवा दबदबा और राजधानी में रहने का अवसर अलग। इस वजह से विभागों के वरिष्ठ अफसरों को अवसर नहीं मिल पा रहा साथ ही मंत्रालय, संचालनालय कैडर के लोग पदोन्नति से वंचित अलग हो रहे। इस पर मंत्रालय संघ किसी और से नहीं सीधे मुख्य सचिव से आपत्ति कर चुका है। सत्ताधीशों की निकटता का फायदा उठाकर मंत्रालय को सेफ जोन और नाराजगी के चलते लूप मानकर पदस्थ किए जाने वाले इन अफसरों के दोनों हाथों में लड्डू।
वहीं सेक्रेटेरिएट बिजनेस रूल के इतर मातहतों पर दबाव बना कर अफसरशाही चलाने वाले इन अफसरों के कारनामों से सरकार कई केस में कोर्ट में हार का सामना करती है। और तकनीकी ज्ञान न होने से योजनाएं धरातल पर नहीं होती, लेकिन इन्हें तो केवल अपने सेफ जोन से मतलब। सरकार ने इस वर्ष कामकाज में ढिलाई के बजाए कसावट पर जोर दिया है इसे खा ली पड़े फील्ड आफिसों के जरिए कैसे हासिल किया जाएगा यह देखने वाली बात होगी।
मेडिकल भुगतान के लिए कोशिश जारी
स्वास्थ्य विभाग में दवा सप्लाई करने वाली एक कंपनी के खिलाफ गड़बड़ी की शिकायत पर सरकार ने ईओडब्ल्यू-एसीबी से जांच कराने का ऐलान कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने सदन में इसकी घोषणा की थी।
चर्चा हैं कि घोषणा से पहले ही कंपनी को काफी कुछ भुगतान भी हो चुका है। भाजपा के दो सीनियर विधायक, जिन्होंने इस पूरे मामले को प्रमुखता से उठाया था, उन पर कंपनी के लोगों ने डोरे डालना शुरू कर दिया है।
कंपनी के लोग दोनों विधायकों से यह अनुरोध कर रहे हैं कि आप सहयोग करें, ताकि बकाया भुगतान हो जाए। मगर विधायक अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, और एक विधायक ने तो कंपनी के लोगों को बुरी तरह फटकार भी दिया। मगर कंपनी के लोगों ने आस नहीं छोड़ी है। और बकाया भुगतान के लिए मेहनत कर रहे हैं। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
है कोई आसपास?
लव गुरु रहे बिहार पटना के मटुकनाथ को फिर से जीवनसाथी की तलाश है। उन्होंने फेसबुक पर प्रेमिका की तलाश का ऐलान किया है। वह 50 से 60 साल की पढ़ी-लिखी, समझदार महिला चाहते हैं, जो सादा जीवन, किताबें और यात्रा पसंद करती हो। बता दें कि पूर्व प्रेमिका जूली से अलगाव के बाद वह अकेले हैं। उन्हें महिला कैसी चाहिए इसके लिए उन्होंने बाकायदा शर्त भी रखी है। मटुकनाथ ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा- एक पढ़े लिखे समझदार 71 वर्षीय बूढ़े किसान को पढ़ी-लिखी समझदार 50-60 के बीच की वृद्धा चाहिए। बहुत पसंद आ जाने पर उम्र में ढील दी जाएगी, शर्त एक ही है कि वासना रहित प्यार के लेनदेन में सक्षम हो। प्यार, पुस्तक और यात्रा में दिलचस्पी हो, परनिंदा से दूर रहे, जब किसी की चर्चा करें तो उसके गुण की चर्चा हो, सादा और स्वादिष्ट भोजन में निपुण हो।