राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सबसे बड़ा सौदा?
26-Nov-2024 2:32 PM
राजपथ-जनपथ : सबसे बड़ा सौदा?

सबसे बड़ा सौदा?

चर्चा है कि रायपुर के बाहरी इलाके की जमीन का एक बड़ा सौदा फाइनल हुआ है। जमीन के खरीददार भी एक बड़े बिल्डर हैं। जिनके प्रोजेक्ट न सिर्फ रायपुर, बल्कि बिलासपुर में भी चल रहे हैं। डेढ़ सौ एकड़ जमीन का सौदा करीब 12 सौ सीआर में फाइनल हुआ है जिसे अब तक का सबसे बड़ा सौदा करार दिया जा रहा है।

सौदे से जुड़े सभी पक्षकार रायपुर के ही हैं। जिनमें एक उद्योगपति भी हैं। कई दौर की बैठक के बाद जमीन के सौदे पर मुहर लगी है। खरीददार बिल्डर अब यहां हाऊसिंग प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू भी कर दिया है। माना एयरपोर्ट के नजदीक होने की वजह से इसे सबसे महंगा प्रोजेक्ट बताया जा रहा है। फिलहाल तो इस जमीन के सौदे की कारोबारी जगत में जमकर चर्चा है।

पीएससी दागदार, तो निजी एजेंसी कितनी निष्पक्ष?

वन विभाग में 15 सौ से अधिक बीट फारेस्ट आफिसर जो वन रक्षक कहलाते हैं कि भर्ती मंगलवार तडक़े शारीरिक  मापदंड परीक्षा (फिजिकल टेस्ट)के साथ  से पूरे प्रदेश में शुरू हो गई है। जो 7 दिसंबर  तक चलेगी। रायपुर के कोटा स्टेडियम में भी हो रही है। यह भी जानकारी दी गई है कि

यह थर्ड पार्टी भर्ती हो रही है। यानी पीसीसीएफ कार्यालय ने हैदराबाद और दिल्ली की एक निजी एजेंसी से सेलेक्शन के लिए कांट्रेक्ट किया है जो अंतिम सलेक्टेड लिस्ट देगी। जब एनटीए, पीएससी के चयन में भरोसा उठ गया है तो निजी एजेंसी का चयन कितना  भरोसेमंद, निष्पक्ष होगा समझा जा सकता है। ये तो उन्हीं नामों पर ब्लू टिक लगाएगा जो नाम वन मंत्रालय, पीसीसीएफ दफ्तर आदि से आएंगे।

अब बात आती है कि जब इस प्रदेश में भृत्य तक की नियुक्त पीएससी, इंजीनियरों, शिक्षकों, लिपिकों की भर्ती व्यापमं करता रहा है तब उसी के समकक्ष पदों पर भर्ती निजी एजेंसी से क्यों की जा रही है? और फिर बीट गार्ड को बीएफओ पद नाम दिया ही जा चुका है। तो अफसर के नाते पीएससी तो कर ही सकता है। खैर, पीएससी भी बदनाम हो चुका है तो निजी एजेंसी पर भरोसे वाले वन विभाग की क्या बिसात,भर्ती संदेह से परे नहीं होगी। और फिर अभ्यर्थियों की वजह से भर्ती प्रक्रिया रात के अंधेरे में भी चल रही है। अंधेरे का काम कब साफ सुथरा होता है।

इसका मतलब समझा जा सकता है। वैसे इस भर्ती को लेकर पिछले पखवाड़े भर से पूरे प्रदेश के वन मंडलों से शंका संदेह उभरे हुए हैं। इसकी शिकायतें  जब मीडिया तक पहुंची पड़ताल करने लगे तो डीएफओ, भर्ती स्थलों में प्रवेश के लिए पीसीसीएफ से अनुमति अनिवार्य कर चुके हैं। भर्ती इतनी निष्पक्ष है तो विभाग को क्या उजागर होने का खतरा नजर आ रहा। खैर जो भी हो चयन सूची जारी होने के बाद आरटीआई है, कोर्ट है। सच्चाई तो बाहर आ ही जाएगी।

भर्ती वन विभाग की, ड्यूटी शिक्षकों की

वन रक्षक भर्ती के लिए  वन विभाग ने अपने एपीसीसीएफ से लेकर निचले से निचले क्रम के हजारों कर्मचारी तैनात किए  हैं। बताया जा रहा है कि ये भी कम पड़ गए हैं। तो स्कूलों के व्यायाम शिक्षकों की भी ड्यूटी लगा दी गई है। ऐसा राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ है। रायपुर की भर्ती के लिए शहर के नहीं अभनपुर, आरंग, तिल्दा और अन्य दूरदराज के विकासखंड, संकुल के शिक्षकों की। इनकी ड्यूटी मैदानी तैयारियों और व्यवस्था में सहयोग के लिए लगाई गई है ।

इस भर्ती से इनका क्या लेना-देना, जबरिया ड्यूटी लगाई गई है। रायपुर डीईओ ने इन शिक्षकों की ड्यूटी लगाते हुए भर्ती स्थल में उपस्थिति न होने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी जारी कर दी है। 10 दिसंबर तक ये शिक्षक अपने स्कूल से बाहर रहेंगे। तब तक स्कूलों में पीटी-खेल नहीं होंगे। इसे ही कहते हैं शिक्षकों से गैरशिक्षकीय कार्य लेना। और शिक्षक संगठनों के नेता चुनाव, वोटर लिस्ट पुनरीक्षण जैसे राष्ट्रीय कार्यों की ड्यूटी को गैरशिक्षकीय बताकर विरोध बुलंद करते हैं लेकिन राजधानी के ही इनके नेताओं के मुंह से सप्ताह भर बाद भी एक शब्द नहीं निकला है। बढ़ती कडक़ड़ती ठंड में दूरदराज के शिक्षकों के साथ अनहोनी होने पर ये दिखावा करने डीईओ के विरोध में वह भी केवल एक दो दिन के लिए  झंडा बुलंद कर अपने नेता होने के कर्तव्य की इतिश्री कर लेंगे । ये व्यथा हमारी नहीं है,ड्यूटी लगे शिक्षकों की है।

अफसरशाही का तमाशा

बिलासपुर में नायब तहसीलदार और थानेदार, दोनों ने अपनी-अपनी ताकत और रुतबे का प्रदर्शन किया। नायब तहसीलदार ने अपने पद का रौब झाड़ा तो थानेदार ने वर्दी की गर्मी दिखाई। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों के समर्थकों ने एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें खींच लीं।

राजस्व विभाग के जूनियर अफसरों ने एक दिन की हड़ताल कर दी, वहीं थानेदार के समर्थन में कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन हुआ। दो लोगों के विवाद में दोनों तरफ के ताकतवर संगठन सामने आ गए।  एक के पक्ष में कार्रवाई करते तो दूसरा नाराज हो जाता। दोनों विभागों के मंत्रियों के सामने भी संकट था। उन तक बात चली गई थी। वे अपने-अपने अमले को नाराज नहीं करना चाहते थे। उन्होंने इस तमाशे पर नाराजगी जताते हुए आदेश दिया- तुरंत मामला सुलझाओ।

कलेक्टर और एसपी ने दोनों को बुलाया और समझाया। बंद कमरे में दोनों ने अपने-अपने बर्ताव को लेकर एक-दूसरे से माफी मांगी, मामला सुलझ गया। प्रदर्शन और ज्ञापन का दौर थम गया। अब इससे पहले थानेदार ने गुस्से में जो नायब तहसीलदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, उसके खत्म होने में देर नहीं लगेगी। लाइन अटैच थानेदार को भी नई पोस्टिंग मिल ही जाएगी।

मगर, पूरे घटनाक्रम ने दोनों विभागों की पोल खोलकर रख दी है। जब नायब तहसीलदार थानेदार को उसकी औकात दिखाने की कोशिश करता हो और थानेदार गुस्से में  धक्का- मुक्की कर एफआईआर दर्ज कर लेता हो, तो अंदाजा लगाइए कि ऐसे अफसर आम जनता के साथ कैसा सलूक करते होंगे।

सोचिए, आप किसी थानेदार या तहसीलदार से त्रस्त हैं और आपका मामला सुलझाने कलेक्टर या एसपी आपको बंद कमरे में बुलाएं। तहसीलदार या थानेदार आपसे अपने बर्ताव के लिए माफी मांगे। इस घटना को देख-सुनकर, आप उस सुशासन का इंतजार तो नहीं कर रहे हैं?

अद्भुत रंगोली

इंदौर की हुनरमंद शिखा ने नीमच में देश की 100 महान विभूतियों को 84 हजार वर्गफीट की रंगोली में उकेरा। तस्वीर के मध्य में शिखा अपने हाथ फैलाए खड़ी हैं। कृति में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी जगह दी गई है। यह कलाकारी एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज की गई है।

(rajpathjanpath@gmail.com)


अन्य पोस्ट