राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पांच सौ किलो मिठाई बंटी
22-Nov-2024 4:02 PM
राजपथ-जनपथ : पांच सौ किलो मिठाई बंटी

पांच सौ किलो मिठाई बंटी

राज्य मंत्रालय में गुरुवार को कम से कम पांच सौ किलो मिठाई बटीं। हर मंजिल के हर कमरे से अधिकारी कर्मचारी मुंह मीठा कर निकल रहे थे। आप इसे अति,अतिश्योक्ति कह रहे होंगे। मगर बॉटम से टॉप फ्लोर तक 155 लोग बुधवार को पदोन्नत हुए थे। आकलन कर लीजिए। अब मिठाई का हिसाब हम हिसाब बताते हैं। इन 155 में से अब हरेक ने एक किलो भी लिया होगा तो 155 किलो का हिसाब सीधा बैठता है। लेकिन 900 से अधिक अमले वाले मंत्रालय में इन 155 ने बधाई के बदले शेष 745 का मुंह मीठा कराने कम से कम तीन-तीन किलो के डिब्बों का इंतजाम किया था। इस तरह से 465 किलो का सीधा हिसाब मिल गया।

पुराने शहर के हर कोने की मिष्ठान भंडार से मिठाई पहुंची थी। कम पड़ी तो कुछ ने पास के अभनपुर से मंगवाया। वहां से भी 25-30 किलो पेड़े आए ही होंगे। एक कर्मचारी ने तो अपनी वर्किंग टेबल पर कल फाइलें हटाकर मिठाई के डिब्बे रख दिए थे। बधाई देने वालों ने सामान्य से पेड़े से लेकर रसमलाई, मिल्क केक, रसगुल्ले, गुलाब जामुन जैसे हर वैरायटी की मिठाई खाई। हां बहुतायत में काजू कतली ही रही।

मिठाई इतनी अधिक रही कि मधुमेह के इस दौर में कई लोग, मना नहीं कर पाए और पीले रंग के सरकारी बड़े लिफाफे में घर के लिए रखने लगे। एक-एक पीस के हिसाब से इनके पास भी एक-एक  किलो तक मिठाई इक_ा हो गई। हंसी ठ_ों के दौर में एक ने कहां इतना हो गया है कि मैं घर लौटने पर शाम को मोहल्ले की दुकान में तीन सौ रुपए किलो में बेच दूंगा। बताया गया है कि 24 वर्षों में पहली बार इतनी अधिक संख्या में पदोन्नतियां हुईं हैं। वर्ना सालाना 10-20 ही होते रहे हैं। खास बात यह है कि पदोन्नत सौ से अधिक तो राज्य गठन के बाद हुई भर्ती परीक्षाओं में चयनित अधिकारी कर्मचारी हैं। यानी यह पूरा मूल छत्तीसगढिय़ा बैच है। सो इतनी खुशी तो बनती ही है।

केवल इनकम टैक्स ही नहीं...

अब केवल जीएसटी, इनकम टैक्स या ईडी की दबिश से छापों की इतिश्री नहीं होगी। किसी भी पहली एजेंसी की रेड के बाद 22 विभाग एक के बाद उस अधिकारी-कर्मचारी, कारोबारी उद्योग समूह पर सिलसिले वार लगातार अपने समयानुकूल छापे जांच करेंगे। इसे कंसिक्वल रेड इंक्वायरी कहा जाता है। दरअसल केंद्रीय वित्त विभाग ने रेवेन्यू चोरी के हर लीकेज को बंद करने एक ग्रुप ऑफ डिपार्टमेंट बनाया है। यह राज्य से लेकर दिल्ली तक बनाया गया है। इसके प्रमुखों को हर माह दो माह कंप्लायंस रिपोर्ट मुख्यालय देनी होती है। कि फलां विभाग के पहली रेड के बाद अन्य विभागों ने अपने-अपने दायरे में क्या-क्या किया? इनकम टैक्स के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र व राज्य के करीब 22 विभागों को मिलाकर यह काम होता है । जैसे इनकम टैक्स ने रेड मारा तो वह अपनी रेड की रिपोर्ट सीबीआई, ईडी, डीआरआई, नारकोटिक्स ब्यूरो, फेमा जैसी एजेंसियों के साथ साथ सी-जीएसटी, से लेकर राज्य के एस-जीएसटी, एसीबी-  ईओडब्ल्यू, लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट से शेयर कर इन मामलों के उल्लंघन पर टैक्स चोरी की जांच करवाएगा। यानी पहली रेड चाहे किसी भी विभाग की हो  उसके बाद आरोपित वर्ष-दो वर्ष के लिए डिजिटल न सही डिपार्टमेंटल अरेस्ट तो हो ही गया समझो। इधर इससे रेड करने वाला हर विभाग भी परेशान है। क्या इसे न खाउंगा न खाने दूंगा की गारंटी का हिस्सा माना जाए।

सब कुछ दक्षिण के बाद

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पुनर्गठन तो हो चुका है, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक बदलाव की अनुमति नहीं मिली है। जबकि प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने लोकसभा चुनाव के पहले ही हाईकमान से कम से कम जिला, और ब्लॉक अध्यक्षों को बदलने की अनुमति मांगी थी। चर्चा है कि बदलाव पर फैसला कुछ हद तक रायपुर दक्षिण के चुनाव नतीजे पर निर्भर करेगा।

कहा जा रहा है कि रायपुर दक्षिण उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आते हैं, तो इसका काफी हद तक क्रेडिट प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को जाएगा। बैज ने ही युवा कांग्रेस अध्यक्ष आकाश शर्मा को प्रत्याशी बनाने की पुरजोर वकालत की थी। और बैज ताकतवर होकर उभरेंगे। उन्हें कांग्रेस संगठन में बदलाव की अनुमति मिल सकती है, लेकिन यदि नतीजे अनुकूल नहीं आते हैं, तो वो खुद मुश्किल में घिर सकते हैं। उन्हें हटाने की भी मांग हो सकती है। देखना है कि 23 तारीख को क्या कुछ होता है।

धान खरीद के लिए बस्तर में आंदोलन

भाजपा सरकार की नई सरकार की धान खरीदी का यह पहला साल है। प्रति क्विंटल 3100 रुपये भुगतान के आकर्षण ने किसानों में इसकी अधिक से अधिक पैदावार लेने की होड़ मची हुई है। पर उनकी जरूरत के मुताबिक खरीदी केंद्र नहीं खोले गए हैं। बस्तर में एक साथ कई स्थानों पर नए खरीदी केंद्र खोलने के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। भानुप्रतापपुर में संबलपुर इलाके से जुड़े कई गांवों में किसान नजदीक में खरीदी केंद्र नहीं खुलने से नाराज हैं। यहां की आदिम जाति सेवा सहकारी समिति ने बांसला में धान खरीदी केंद्र खोलने का प्रस्ताव सहकारी संस्था के पंजीयक के माध्यम से राज्य सरकार को भेजा था लेकिन नहीं खुला। इसका नतीजा यह है कि संबलपुर खरीदी केंद्र में ऐसे कई गांव शामिल किए गए हैं जिनकी दूरी 12 से 15 किलोमीटर है। इन्होंने प्रदर्शन किया है और चेतावनी दी है कि एक सप्ताह के भीतर नया केंद्र नहीं खोला गया तो मेन रोड पर चक्काजाम किया जाएगा।

सुकमा में कलेक्ट्रेट के सामने कल सैकड़ों किसानों ने प्रदर्शन किया। वे सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। यहां पहुंचे किसान कह रहे थे कि पिछले कई सालों से वे नए खरीदी केंद्रों की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। हालत यह है कि उनको 30-35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। उन्हें हर साल आश्वासन दिया जाता है, पर नहीं खोला जाता। पिछली सरकार तो छल कर रही थी, अभी भी सुनवाई नहीं हो रही है।

बस्तर संभाग के कई दूसरे स्थानों से भी इसी तरह की खबरें हैं। दूर-दूर गांवों की बसाहट होने के कारण हो सकता है पर्याप्त संख्या में नहीं खोले जा रहे हों पर यह 20 से 35 किलोमीटर दूरी तय करने की परिस्थिति तो गंभीर ही है। छोटे किसानों के लिए परिवहन की लागत बर्दाश्त करना भी मुश्किल है। ऐसे में फायदा बिचौलियों को मिलेगा और सरकार की 3100 रुपये की खरीदी की महती योजना से वंचित रह जाएंगे।

रेलवे ट्रैक का सी-फा

ट्रेनों में सफर के दौरान ट्रैक, स्टेशन और फाटक पर कई संक्षेप शब्द दिखते हैं लेकिन उनका मतलब पता नहीं होता। उनमें से ही एक है सी फा और उसी के नीचे लिखा डब्ल्यू एल। यह संकेत फाटक या लेवल क्रासिंग आने से पहले पायलट को सतर्क करने के लिए होता है। सी का मतलब सीटी, फा का फाटक। अंग्रेजी में भी यही- व्हिसिल और लेवल क्रासिंग है। इस जगह को क्रॉस करने पर लोको पायलट को ट्रेन की सीटी बजाने का निर्देश दिया गया है। (rajpathjanpath@gmail.com)


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