राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सुबह के नजारे
21-Nov-2024 3:51 PM
 राजपथ-जनपथ : सुबह के नजारे

सुबह के नजारे

बाग-बगीचों में कई बड़ी दिलचस्प चीजें दिखती हैं। एक बगीचे के बाहर एक बहुत मोटा सा नौजवान आकर स्कूटर को स्टैंड पर चढ़ाकर उस पर बैठकर आधा-एक घंटा वीडियो गेम खेलता है, और फिर चले जाता है। हो सकता है उसे डॉक्टर ने सुबह घूमने जाने के लिए कहा हो। जाहिर है कि उसका मोटापा कम हो नहीं रहा है। अब दो दिन पहले वही नौजवान सुबह-सुबह स्कूटर बाहर खड़ा करके छोटे से बगीचे की बेंच पर आकर बैठा, और कोई एनर्जी ड्रिंक पीने लगा, साथ-साथ मोबाइल फोन तो था ही।

हिन्दुस्तान के छत्तीसगढ़ जैसे हिस्से में लोगों में सार्वजनिक जीवन की सभ्यता छू भी नहीं गई है। सुबह घूमने वालों के जत्थे देखें, तो दो-तीन लोग भी पूरी सडक़ घेरकर चल सकते हैं, और हॉर्न या साइकिल की घंटी बजाने  वाले को घूर भी सकते हैं। गांवों की सडक़ों पर गोधूलि बेला में लौटने वाले जानवरों के रेवड़ जिस तरह सडक़ों को घेरकर चलते हैं, शहरों में सुबह घूमने वाले इंसानों का हाल इसी तरह रहता है। किसी रिहाइशी इलाके से निकलते हुए लोगों के जत्थे सुबह-सुबह से इतनी चीख-पुकार की हँसी-मजाक करते चलते हैं कि आसपास रहने वाले लोगों के मन में उनके लिए नफरत ही पैदा हो जाए।

नए विधायक की चर्चा

एक नए नवेले विधायक के क्रियाकलापों की खूब चर्चा हो रही है। चुनाव जीतने से पहले उन्हें सिद्धांतवादी सैनिक माना जाता था, लेकिन थोड़े ही दिनों में वास्तविकता सामने आ गई। चर्चा है कि पंचायतों से लेकर अलग-अलग योजनाओं में काम दिलाने के नाम पर उनसे जुड़े लोगों ने काफी उगाही की है। विधायक महोदय ने अलग-अलग मॉडल लेकिन एक रंग की तीन लग्जरी थार खरीदे हैं। उत्तर प्रदेश, और बिहार के बाहुबली विधायकों की तर्ज पर उनकी खूब चर्चा है।

विधायक महोदय ने अपने क्षेत्र के लोगों के लिए एक अलग से ऐप बनवा रहे हैं जिसमें लोग अपनी समस्याओं की जानकारी घर बैठे दे सकते हैं। विधायक का दावा है कि ऐप में आई समस्याओं की शिकायत का निराकरण तुरंत किया जाएगा। मगर पार्टी के लोग उनके तौर तरीकों से नाखुश हैं। एक-दो नेता ने तो उनके ऐप की खिल्ली उड़ाते हुए कह दिया है कि लोग शिकायत लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, वहां तो उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पा रहा है। ऐप से कौन सी समस्या का निराकरण हो जाएगा। विधायक के खिलाफ अब क्षेत्र में नाराजगी बढ़ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि निकाय-पंचायत चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।

अब दोनों भवन बराबर

रिश्वत-घूस, भ्रष्टाचार के फोन-पे, योनो, यूपीआई,आरटीजीएस गूगल पे, व्हाट्सअप पे जैसे कई विकल्पों के बीच कैश लेना कहां की अकलमंदी है, वह भी ऑफिस परिसर में? लेकिन देव बाबू (देवनारायण सिन्हा) ने सोचा इंद्रावती भवन के टॉप फ्लोर पर देनदार को बुलाकर ले लिया जाए तो नीचे वालों को नजर नहीं आएगा। और ऊपरवाला (ईश्वर) देखे तो भी कोई दिक्कत नहीं है। मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त संचालक ने देवनारायण ने कल यही किया। अगर पहली बार रिश्वत ले रहे थे, तो देव बाबू इंद्रावती के ही अपने दूसरे समकक्षों से तरीके पूछ लेते, जिनके हाथ वर्षों से उजले हैं। नहीं तो पड़ोस के भवन के महानदी में हाथ धो रहे लोगों से आइडिया ले लेते। जहां के लोग इन डिजिटल पेमेंट एप का मजे से इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन ऊपरवाला सब देख रहा था चौथे माले की छत से। उसके तार एसीबी से जुड़े रहते हैं। बस लेनदेन करने वाले माध्यम हर बार अलग-अलग लोग होते हैं। सीधे नीली छतरी वाले को हाजिर नाजिर बनाने के बजाए किसी कॉफी शॉप, अमृत तुल्य टी आउटलेट, या रेस्टोरेंट होटल के कमरे में देनदार को बुला लेते ।

बहरहाल कहा जा रहा है कि 24 वर्षों में पहली बार एसीबी ने राज्य के दूसरे प्रशासनिक मुख्यालय इंद्रावती भवन से संयुक्त संचालक जैसे वरिष्ठ अफसर को रंगे हाथों पकड़ा है। हालांकि इससे पहले पुराने मंत्रालय (डीकेएस) में भी एक अरेस्टिंग हो चुकी है। राज्य परिवहन प्राधिकार के निज सचिव को परमिट दिलाने के बदले पकड़ा गया था । यह अलग बात है कि वो साहब के लिए ले रहा था, या अपने, या दोनों के लिए। साहब आज एक आयोग में आयुक्त हैं। इस तरह से इंद्रावती, महानदी दोनों के ही रंगने का खुलासा हो गया है।

चांदी, और डिनर जीतने का मौका

सामान्य ज्ञान में रुचि रखने वाले जो लोग केबीसी में सलेक्ट नहीं हो पाए हैं और अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर जाने से वंचित हैं। उनके लिए मुंबई के न सही रायपुर के अमिताभ दुबे चांदी का सिक्का जीतने का अवसर दे रहे हैं। अमिताभ, जेसीसी के पूर्व अध्यक्ष, मास्टर ट्रेनर और कई अहम पदों पर रहे हैं।

यह अवसर एग्जिट पोल के जरिए हारने और जीतने वाले का नाम तय करने वालों के लिए है। यह स्पर्धा, केबीसी टाइप तकनीकी रूप से पेचीदा भी नहीं। बस वाट्सएप पर जवाब भेज देना है। स्पर्धा का पहला ही चरण आसान कर दिया गया है। वह यह कि रायपुर दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी की जीत तय बता दी गई है। बस जीत की लीड बताना है। नतीजे उतने ही अंतर से आए तो तीन विजेताओं को चांदी का सिक्का और दस बीस के अंतर के आसपास रहे तो इन तीन निकटवर्तियों को डिनर। इसके लिए रिजल्ट प्रिडिक्शन का समय कल 22 की रात 12 बजे तक रखा गया है। अब देखना है कौन भाजपा की और कौन कांग्रेस की लीड बताता है।

सैटेलाइट कॉलर वाला हाथी

छत्तीसगढ़ में बढ़ते हाथी-मानव द्वंद्व और दुर्घटनाओं में होने वाली के बीच यह खबर महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश ने बाघ और चीतों की तर्ज पर अब हाथियों में भी सैटेलाइट कॉलर लगाने की योजना शुरू की है। इसका पहला प्रयोग बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में किया गया।

मार्च 2024 में शहडोल जिले के जयसिंहनगर से एक घायल हाथी को रेस्क्यू कर उसका इलाज किया गया। स्वस्थ होने के बाद उसे सैटेलाइट कॉलर लगाकर जंगल में छोड़ दिया गया। यह हाथी 10 सदस्यीय झुंड का हिस्सा था, जिससे वह वापस मिल गया।

इस योजना में झुंड की पहचान कर उनमें से एक हाथी को कॉलर पहनाना है। इसके बाद वह हाथी अपने झुंड में लौट जाएगा। सैटेलाइट कॉलर से उस हाथी के मूवमेंट के आधार पर पूरे झुंड की स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।

अब भी सैटेलाइट से हाथियों के झुंड की निगरानी होती है, लेकिन उनकी सही लोकेशन का पता नहीं चल पाता। इस नए प्रयोग का फायदा यह होगा कि हाथियों का झुंड यदि गांव के करीब पहुंच रहा हो, तो समय रहते ग्रामीणों को सतर्क किया जा सकेगा। हाथियों को खदेडऩे या ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का कार्य अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। इसके अलावा बिजली तारों के संपर्क में आने के कारण हाथियों की मौत हो रही है। यह भी समय पर पता लग सकेगा कि वे किसी ऐसे रास्ते में तो नहीं बढ़ रहे हैं, जहां उन्हें खतरा हो सकता है। यह प्रयोग अपने राज्य के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है, जहां हाथियों और इंसानों के बीच टकराव एक गंभीर समस्या है।

तब और अब, कुछ दिनों के भीतर

छत्तीसगढ़ के एक सबसे वरिष्ठ न्यूज-फोटोग्राफर गोकुल सोनी ने राजधानी रायपुर के एक बड़े तालाब की यह दुर्गति दिखाई है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा-यह तस्वीर हमारे रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन बंधवा तालाब की है। इनसेट में जो तस्वीर देख रहे हैं वह कुछ दिन पहले की है जब यहां कमल फूल खिला हुआ था। पूरा तालाब इन कमल फूलों की पत्तियों से आच्छादित था। तब यहां की सुन्दरता देखते ही बनती थी। पता नहीं इसे किसकी नजर लगी पूरे तालाब में कमल फूल की पत्तियां मर गयी है। कमल फूल जो जीवन और सौंदर्य का प्रतीक है अब मर चुका है। यहां जीवन और सौंदर्य की जगह गंदगी और मृत्यु ने ले ली है। ऐसा मैं यहां इसलिये कह रहा हूं क्योंकि तब यहां बड़ी संख्या में पानी में रहने वाले पक्षियों ने भी अपना डेरा बनाया हुआ था। नगर निगम द्वारा इस तालाब की सफाई, वाटर टिटमेंट जैसे अनेक बातें कही गयी। अखबारों में भी अधिकारियों के इन झूठे वादों को बड़ा-चढ़ा कर छापा गया लेकिन स्थति आपके सामने है। (rajpathjanpath@gmail.com)


अन्य पोस्ट