राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : टेंडर और पसंद
20-Nov-2024 4:29 PM
राजपथ-जनपथ : टेंडर और पसंद

टेंडर और पसंद

आम लोगों की सेहत से जुड़े एक विभाग में सैकड़ों करोड़ के टेंडर को लेकर हलचल मची है। सुनते हैं कि ठेके के लिए कई नामी-गिरामी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। इनमें से विभाग के मुखिया ने भी अपनी 'पसंद' छांट ली। लेकिन इसमें एक पेंच फंस गया है।

चर्चा है कि एक फोन मुखिया तक पहुंच गया। उन्हें कंपनी का नाम भी बता दिया गया, और उसे ही सपोर्ट करने कह दिया गया। मुखियाजी इससे निराश हैं, और वो मना भी नहीं कर सकते।

मुखिया ने टेंडर होने के पहले ही उस कंपनी का नाम प्रतिस्पर्धी कंपनियों को बता दिया, जिन्हें काम दिया जाना है। बाकी कंपनियां भी अलग-अलग रास्ते से पार्टी और सरकार के नेतृत्व तक पहुंच रही हैं। पार्टी के लोग मुखिया की नादानी से नाराज बताए जा रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।

ब्यूरोक्रेसी और छत्तीसगढ़

24 वर्ष में दो बार कांग्रेस और भाजपा की चौथी सरकार बनी है। राजनीतिक रूप से स्थिर छत्तीसगढ़ को बीते 24 वर्षों में ब्यूरोक्रेसी ने एक नई पहचान दी है। यह कि ब्यूरोक्रेसी के तीनों ही अंग आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के अफसर दलीय समर्थन के आधार पर पहचाने और नामजद  गिनाए जा सकते हैं। तीनों ही कैडर के अफसरों ने स्वयं ही साथी अफसरों को बांटा। सरकारों की निकटता हासिल करने हर नई सरकार के कर्ताधर्ताओं के समक्ष एक दूसरे की विचारधारा, पारिवारिक पृष्ठभूमि को पेश किया। फलस्वरूप पिछली  सरकार के फ्रंट रनर अफसर नई सरकार के बैक-बेंचर बने और बनाए गए।

राज्य सेवा के तो खुलकर ही भाजपा कांग्रेस के बताए और गिने ही जाते हैं। इन्हीं कारणों से कई अफसर सैंया भए कोतवाल की बेफ्रिकी में गड़बडिय़ां करते रहे । हर अफसर यह भूला कि हर पांच वर्ष बाद चुनाव होते हैं, नई सरकारें आती है। और हर सरकार की करप्शन पर नो टॉलरेंस की कथित गारंटी होती है। नतीजे सबके सामने है। भ्रष्टाचार के सैकड़ों मामले एसीबी-ईओडब्ल्यू, लोकायोग से लेकर आयकर, सीबीआई-ईडी में दर्ज हैं। इनमें अखिल भारतीय सेवा से लेकर राज्य सेवा के 180 से अधिक अफसर या तो गिरफ्तार हैं या जांच के चक्कर काट रहे हैं। इनमें सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों ही हैं।

 विधानसभा के प्रश्नोत्तरी में दी जाती रही इस जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के साथ बने दो अन्य राज्यों के मुकाबले ऐसा अनुपात अपने यहां अधिक नजर आता है। राज्य के सेवारत में समीर विश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया, एसएस नाग, एपी त्रिपाठी आईटीएस (निलंबित) सेवानिवृत्तों में अनिल टूटेजा, टीएस सोनवानी जेल में हैं, तो डॉ आलोक शुक्ला, निरंजन दास गवाही-पूछताछ-पेशियां झेल रहे हैं।

आईपीएस में जीपी सिंह देशद्रोह के मामले में जेल से वापसी कर निलंबन काट रहे हैं। राज्य पुलिस सेवा के अफसर तो प्रदेश के पहले राजनीतिक हत्याकांड में लिप्त रहे हैं। लेकिन आईएफएस के लिए सौभाग्य कहा जा सकता है कि अब तक किसी पर कानून के हाथ नहीं पहुंचे हैं लेकिन जंगल में मंगल कर रहे कई अफसर सफाई के दस्तावेज लेकर लोकायोग, एसीबी-ईओडब्ल्यू के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं।

मालवाहक पर ‘विधायक प्रतिनिधि’ की सवारी!

 

निजी वाहनों में विधायकों, मंत्रियों, सांसदों के प्रतिनिधि लिखकर खुद को व्हीआईपी बताने का चलन तो देखा गया है, पर किसी मालवाहक में भी अब दिखें तो चौकें नहीं। इसकी भी शुरूआत हो चुकी है। एमसीबी जिले के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने एक भाजपा नेता की गाड़ी की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली तो हलचल मच गई। यह एक मालवाहक गाड़ी है, जिसमें नंबर प्लेट के साथ विधायक प्रतिनिधि लिख रखा गया था। कमरो ने जैसे डिजिटल ट्रैफिक पुलिस का काम किया। उन्होंने साथ ही कमेंट भी लिखा कि क्या इस गाड़ी का काम अवैध ट्रांसपोर्टिंग के लिए किया जाता है? काल्पनिक सीएम दीदी ( विधायक रेणुका सिंह) के क्षेत्र में कुशासन दिख रहा है।

बहरहाल, फजीहत होने पर गाड़ी के मालिक ने पट्टी हटा दी। साथ ही सफाई दी कि पिता भाजपा व्यवसायी प्रकोष्ठ के सह-संयोजक हैं, इसलिए ऐसा किया। मगर, कमरो ने एक दूसरा खुलासा भी किया है। उनके मुताबिक मालवाहक के नंबर का कोई रिकॉर्ड कोरिया जिले के परिवहन विभाग में दर्ज नहीं है। हालांकि यह गाड़ी कहां से खरीदी गई, इसका पता चल गया है। ये सवाल उठता है कि बिना पंजीयन के कोई गाड़ी बाहर कैसे निकली? और पंजीयन नहीं है तो गाड़ी को कोई नंबर कैसे लिखा है?

नई गाइडलाइन से क्या बदलने वाला है?

सरकार की नई गाइडलाइन संपत्ति की खरीदी-बिक्री प्रक्रिया में कई बदलाव लाने वाली है। अब संपत्ति की रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प ड्यूटी बाजार मूल्य के बजाय सरकारी मूल्य के आधार पर ही देना होगा। इससे खरीदार अब संपत्ति की वास्तविक कीमत लिखवा सकेंगे, क्योंकि ड्यूटी सरकारी मूल्य पर ही निर्भर करेगा।

सरकार ने कुछ समय पहले स्टाम्प ड्यूटी में 30 प्रतिशत की छूट समाप्त कर दी थी। अब उन लोगों को कुछ तो राहत मिल सकती है जो अधिक बाजार मूल्य वाली संपत्ति खरीदते हैं। साथ ही बैंक संपत्ति की वास्तविक कीमत के आधार पर अधिक लोन दे सकते हैं। सरकार को भी इस गाइडलाइन से लाभ होगा। पहला, संपत्ति की बिक्री से विक्रेता को प्राप्त रकम का स्पष्ट आकलन किया जा सकेगा, जिस पर इनकम टैक्स विभाग नजर रख पाएगा। 

हालांकि, इस बदलाव के बावजूद कई लोग अपनी संपत्ति की वास्तविक कीमत लिखने में झिझक सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि संपत्ति की बिक्री और खरीदी के बीच की अवधि में हुई मूल्य वृद्धि के आधार पर 12.5 प्रतिशत तक आयकर देना पड़ता है। आने वाले समय में पता चलेगा कि संपत्ति के सौदों में कितनी पारदर्शिता आई।

सीबीआई के लंबे हाथ दिखने लगे 

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की हालिया गतिविधियां सुर्खियों में हैं। राज्य लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी की गिरफ्तारी ने न केवल राजनीतिक बल्कि प्रशासनिक हलकों में भी हडक़ंप पैदा कर दिया है।

अप्रैल में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सीबीआई पर लगी पाबंदी हटाने के साथ-साथ पीएससी 2021 के घोटाले की जांच का जिम्मा उसको सौंपा गया। हालांकि, शुरुआती महीनों में जांच धीमी रही। जून में सीबीआई द्वारा दफ्तर में छापा मारने की आई खबरों को आयोग ने खारिज कर दिया था।

अब सीबीआई ने सोनवानी के साथ बजरंग इस्पात के डायरेक्टर श्रवण गोयल को गिरफ्तार किया है। सीबीआई का आरोप है कि गोयल के बेटे और बहू को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए सोनवानी के खाते में एनजीओ के माध्यम से 45 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए। हालांकि, दो डिप्टी कलेक्टर पदों के लिए यह रकम मामूली लग सकती है, लेकिन माना जा रहा है कि आगे की जांच में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।

सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव, आईएएस अमृत खलको और अन्य लोग पर एफआईआर दर्ज की है। शुरूआती जांच में कम से कम 18 मामलों का खुलासा हुआ है, जिनमें पीएससी के चेयरमैन, आईएएस, उनके रिश्तेदारों और राजनेताओं के करीबियों को बड़े पदों पर नियुक्ति दिए जाने की शिकायतें हैं। यह माना जा सकता है कि सीबीआई ने सबूत जुटाने में वक्त लिया, जिसके बाद गिरफ्तारी शुरू हुई।

सोनवानी और गोयल की गिरफ्तारी के साथ ही सोमवार को सीबीआई ने कोरबा में दो कारोबारियों और एक श्रमिक नेता के ठिकानों पर छापा मारा। एसईसीएल खदान के भूमि अधिग्रहण मुआवजे में हेराफेरी की जांच के तहत यह कार्रवाई हुई।

वहीं, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी रहे एपी त्रिपाठी के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश भी राज्य सरकार ने जारी किया है। वहीं, दिल्ली से आए एक बड़े घटनाक्रम में सीबीआई ने सेक्स सीडी कांड की अदालती कार्रवाई दिल्ली में कराने के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले लिया। अब इस मामले की सुनवाई रायपुर में ही होगी। यह आवेदन सीबीआई ने तब लगाया था जब प्रदेश में उसे तत्कालीन सरकार ने बैन कर दिया था।

छत्तीसगढ़ में जांच एजेंसियों की सक्रियता को केंद्र सरकार की सख्ती के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। सीजीपीएससी घोटाले में कार्रवाई का इंतजार था, जो अब शुरू होती दिख रही है। हालांकि, छत्तीसगढ़ ने झीरम घाटी कांड और चावल घोटाले जैसे मामलों में धीमी न्याय प्रक्रिया देखी है। यह देखना बाकी है कि सीजीपीएससी, शराब, कोयला घोटाले के मामले कब अंजाम तक पहुंचेंगे। (rajpathjanpath@gmail.com)


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