राजपथ - जनपथ

बंदे में आखिर क्या बात है?
चुनाव आयोग ने झारखंड, और महाराष्ट्र के डीजीपी को हटा दिया है। इन दोनों राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। राजनीतिक दलों की शिकायत पर दोनों राज्यों के डीजीपी को हटाया गया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा भाग्यशाली रहे हैं। गौर करने लायक बात यह है कि विधानसभा चुनाव के बीच डीजीपी अशोक जुनेजा को हटाने की मांग की गई थी।
भाजपा के एक प्रतिनिधि मंडल ने जुनेजा के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा चुनाव आयोग को सौंपा था। आयोग ने इस पूरे मामले में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। और जब भाजपा सरकार में आई, तो जुनेजा के हटने की अटकलें भी लगाई जा रही थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
यही नहीं, रिटायरमेंट के बाद छह महीने का एक्सटेंशन भी दे दिया गया। जिन दिग्गजों ने जुनेजा के खिलाफ शिकायत की थी वो अब भी समझ पा रहे हैं कि उन्हें एक्सटेंशन क्यों दिया गया। दबे स्वर में प्रदेश में खराब पुलिसिंग के लिए जुनेजा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चाहे कुछ भी हो, जुनेजा को दाद देनी ही पड़ेगी।
भाजपा के जिन नेताओं ने विधानसभा चुनाव के पहले जुनेजा को हटाने की माँग की थी, वे अब सामने पडऩे पर नजऱें छुड़ाने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
कुछ ऐसा ही भूपेश सरकार के आने के वक्त हुआ था। चुनाव के पहले कांग्रेस पार्टी अनिल टुटेजा के खून की प्यासी थी। और चुनाव हो गया फिर? फिर कांग्रेसी नए राजा से मुँह चुरा रहे थे।
छत्तीसगढ़ में रहने वाले...
भाजपा में संगठन चुनाव चल रहे हैं। दिसंबर के पहले पखवाड़े में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा, और दिसंबर के आखिरी हफ्ते में ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जो नाम अभी से चर्चा में है, उनमें केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान प्रमुख है। प्रधान छत्तीसगढ़ भाजपा के लंबे समय तक प्रभारी रहे हैं। वे उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी रहे हैं, और हाल में ही हरियाणा चुनाव में जीत के लिए रणनीति उन्होंने ही तैयार की थी।
धर्मेन्द्र प्रधान, पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। इन सबको देखते हुए छत्तीसगढ़ के कई भाजपा नेता अभी से धर्मेन्द्र प्रधान के अध्यक्ष बनने की संभावना जता रहे हैं। कई नेता उनके संपर्क में भी हैं।
खास बात यह है कि छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी रहे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं। मोदी के बाद वेंकैया नायडू प्रभारी थे, जो बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसके बाद राजनाथ सिंह प्रभारी बने वो भी राष्ट्रीय अध्यक्ष हुए। मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी रहे हैं।
ऐसे में धर्मेन्द्र प्रधान के प्रोफाइल, और छत्तीसगढ़ से जुड़े संयोग को देखकर उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की अटकलें लगाई जा रही है, तो वह बेवजह नहीं है।
टारगेट रेलवे का, या साहब का
रायपुर रेल ‘मंडल’ के रायपुर- दुर्ग के ट्रेन में चलने वाले टीटीई और प्लेटफॉर्म ड्यूटी करने वाले टीसी, इन दिनों अपने साहब से परेशान हैं। परेशानी की बात यह है कि बेटिकिट, बिना बुकिंग लगेज, बिना रिजर्वेशन के स्लीपर में सफर करने पर कार्रवाई का ‘मंडल’ का टारगेट पूरा करें या साहब का टारगेट पूरा करें। साहब ने इन सभी को अपने लिए मासिक टारगेट बांध दिया है कि मुझे इतना तो चाहिए ही। नहीं तो ट्रेन से उतार कर आफिस में बाबू गिरी या प्लेटफॉर्म में लूप लाइन में डाल दिए जाओगे।
रायपुर के टीटीई, नागपुर तक और दुर्ग के कटनी और विशाखापट्टनम तक ड्यूटी पर जाते हैं। इन सबकी कमाई साहब जानते जो हैं। क्योंकि वो स्वयं भी नीचे से ही ऊपर आए हैं। नागपुर से तीन माह पहले यहां आने के बाद अब साहब सक्रिय हुए हैं। वैसे साहब के यहां आने की वजह भी ऐसी ही कुछ प्रताडऩाएं रहीं है। इसे लेकर वहां की दो महिला टीसियों की शिकायत पर साहब महिला आयोग में पेशियों का सामना कर रहे हैं। अब देखना यह है कि टारगेट पूरा होता है या साहब पीछे हटते हैं।
झारखंड चुनाव में हसदेव
झारखंड में एक ओर विधानसभा में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए जूझ रहे हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़ का पड़ोसी राज्य होने के साथ-साथ दोनों आदिवासी बाहुल्य प्रदेश हैं। दोनों राज्य खनिज संसाधनों से संपन्न हैं। इन संसाधनों के दोहन के लिए जल-जंगल-जमीन को उजाडऩा और आदिवासियों को बेदखल करना, हर राजनीतिक दल के लिए मुद्दा रहा है। मगर, तब जब वह सत्ता में नहीं हो।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते थे कि भाजपा को वोट देना मतलब अडानी को हसदेव का जंगल सौंप देना। विधानसभा में जब हसदेव के जंगल को बचाने की संकल्प पारित किया गया तो सभी राजनीतिक दल साथ थे। विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने तब कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि वह जंगल काटने के लिए आदिवासियों पर बल प्रयोग कर रही है। हालांकि, अब भाजपा की सरकार बनने के बाद उतना ही बल या उससे अधिक लगाकर प्रस्तावित खदान के लिए कटाई का सिलसिला शुरू हो गया। कांग्रेस ने इसका विरोध किया, पर यहां कोई चुनाव सामने नहीं है, इसलिए विरोध औपचारिक ही रहा। इस ताजा पेड़ कटाई के दौरान लोग राहुल गांधी की प्रतिक्रिया भी ढूंढ रहे थे, नहीं मिली।
मगर, झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगभग हर चुनावी सभा में यह कह रहे हैं कि भाजपा झारखंड की सत्ता में इसलिये आना चाहती है ताकि यहां के जंगल और जमीन को वह अपने उद्योगपति मित्रों के हवाले कर सके। और इस बयान के दौरान वे छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों की हो रही कटाई का उदाहरण दे रहे हैं। भाजपा का यह रुख है कि वह इस मुद्दे पर कोई जवाब ही न दे। उसने यूसीसी, एनआरसी और बांगलादेशी घुसपैठ व सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार पर चुनाव पर प्रचार अभियान फोकस किया है।
हम भी लटककर चलते हैं...
चीन जैसे देशों में ट्रेनें लटककर चलती है, जो तकनीकी और इंजीनियरिंग का एक उदाहरण है। वहीं, हमारे भारत में लोग अक्सर भीड़-भाड़ वाली ट्रेनों में लटककर यात्रा करते हैं। यह स्थिति हमारे देश के यात्रियों की सहनशीलता और विवशता का उदाहरण है।