सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 14 सितम्बर। बरमकेला ब्लॉक के धनगांव व लैंध्रजोड़ी में स्थित प्रसिद्ध किंकारी जलाशय की दशा दिनों-दिन खराब होती जा रही है। देख रेख और मरम्मत के अभाव में डेम की जगह-जगह पत्थर धंसने लगे हैं। हालात ऐसे हैं कि आसपास के ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते सुधार कार्य नहीं किया गया तो कभी भी डैम धंस सकता है, जिससे आसपास के दर्जनों गांव जलमग्न हो सकते हैं। डैम की मेड़ पर जगह - जगह बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं, जिससे उसकी मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। गांव के लोग रात-रातभर जागकर पहरा देते हैं। विभागीय अधिकारी इस स्थिति के लिए कर्मचारियों की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं और सरकार से फंड की मांग कर रहे हैं।
किंकारी जलाशय परिसर में बना रेस्ट हाउस भी बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। अंदर रखा सामान टूट-फूट चुका है और भवन जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि यह जगह अब शराबियों का अड्डा बन गई है। लोगों का कहना है कि - यदि समय रहते डैम की मरम्मत और सौंदर्यीकरण नहीं किया गया तो यह विभाग की गंभीर लापरवाही मानी जाएगी ।
किंकारी जलाशय सिर्फ जल स्रोत ही नहीं बल्कि दर्शनीय स्थल और पिकनिक स्पॉट के रूप में भी जाना जाता है। यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिर में सावन माह के हर सोमवार को हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचते हैं,वहीं प्रसिद्ध घंटेश्वरी मंदिर में श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां हर मनोकामना पूर्ण होती है।
छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी पर्यटक यहां पिकनिक मनाने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।
डैम का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसका ओवरफ्लो पानी नाला में आकर तीन धाराओं के संगम जैसा दृश्य प्रस्तुत करता है, जिसे लोग गंगा जमुना-सरस्वती का संगम मानकर श्रद्धा भाव से देखते हैं। किंकारी जलाशय क्षेत्र प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का संगम है, लेकिन उपेक्षा और मरम्मत की कमी से यह धरोहर खतरे में है ।


