सारंगढ़-बिलाईगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 6 सितंबर। शुक्रवार को ईद मिलादुन्नबी मुस्लिम समाज ने धूमधाम के साथ मनाया। विशाल जुलूस निकाला गया, जो बड़े मस्जिद से शहर के मुख्य मार्ग होते,छोटे मस्जिद के पास पहुंचा, जहां नंदा चौक पर मुस्लिम समाज द्वारा भव्य स्वागत और ठंडा पिलाया गया ।
जामा मस्जिद के अध्यक्ष शेख जुम्मन ने बताया कि हजऱत मोहम्मद साहब ने हमें सिखाया कि - हमेशा सच बोलो । किसी के साथ अन्याय मत करो गरीब यतीम और मजबूर लोगों की मदद करो । इंसानियत और भाईचारा सबसे बड़ा धर्म है । नूरानी मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद इकबाल ने बताया कि - ईद मिलादुन्नबी केवल खुशी मनाने का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि - हम अपने जीवन को पैग़म्बर साहब की शिक्षाओं के अनुसार चलाएँ । जिस तरह वे गरीबों का सहारा बनते थे, हमें भी जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए । किसी भूखे को खाना खिलाना, किसी दुखी का सहारा बनना ही सच्चा जश्न-ए-मिलाद है । जुलूस का जगह-जगह स्वागत कर ठंडा बांटकर सर्व समाज ने जश्न मनाया ।
इस घटना से समझा जा सकता है कि बस्तर में आम आदमी के लिए ट्रेन सेवा कितनी जरूरी है। रायपुर तक की यात्रा अगर बस से करनी हो तो हर यात्री को आने-जाने में 1200 रुपये देने पड़ते हैं। यह रकम किसी किसान, मजदूर या मध्यम वर्गीय परिवार के लिए बहुत बड़ी होती है। रुपये बचाने की खातिर लोग अपने समय और आराम दोनों की कुर्बानी दे रहे हैं। अगर बस्तर से दुर्ग तक की इंटरसिटी एक्सप्रेस फिर से चल पाती या रावघाट रेल लाइन पूरी हो जाती, तो इन्हें इतनी तकलीफ़ें न उठानी पड़तीं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि जिन इलाकों को प्राथमिक रेल सेवा तक नहीं मिल पाई, वहां न जनप्रतिनिधि गंभीर दिखते हैं और न रेल विभाग। छत्तीसगढ़ का बिलासपुर रेल जोन देश के सबसे ज्यादा आमदनी देने वाले जोन में से एक है। यहां हजारों करोड़ की रेल परियोजनाएं चल रही हैं। जो पैसे खर्च करने में सक्षम हैं उनके लिए यहां से दो वंदे भारत जैसी हाई-टेक ट्रेनें चल रही हैं, तीसरी जबलपुर के लिए चलने वाली है, लेकिन बस्तर को आज भी बुनियादी रेल सेवा का इंतज़ार है।