सारंगढ़-बिलाईगढ़

सवा 9 करोड़ की ठगी, मुख्य आरोपी को उम्र कैद, 1.80 करोड़ अर्थदंड
02-Aug-2025 7:10 PM
सवा 9 करोड़ की ठगी, मुख्य आरोपी को उम्र कैद, 1.80 करोड़ अर्थदंड

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

सारंगढ़, 2 अगस्त। छग के सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में बहुचर्चित रोशनी फाउंडेशन ठगी मामले में विशेष न्यायाधीश जितेंद्र कुमार जैन की अदालत ने मुख्य आरोपी को आजीवन कारावास एवं 1.80 करोड़ के कठोर अर्थदंड की सजा सुनाई है ।

यह निर्णय उन सैकड़ों पीडि़त निवेशकों के लिए न्याय का उजाला लेकर आया है, जिनसे करोड़ों रु. यह कहकर वसूले गए थे कि - उन्हें प्रतिमाह 30 प्रतिशत का रिटर्न व एक वर्ष पश्चात संपूर्ण मूलधन लौटाया जाएगा।

27 जनवरी 24 को अर्जुन लाल जांगड़े सहित लगभग 27 पीडि़तों द्वारा थाना सरसींवा में की गई शिकायत के अनुसार, सेमरिया गांव में नारायण मानिकपुरी ने रोशनी फाउंडेशन के नाम से एक निवेश योजना चलाई, जिसमें लोगों को चेक और नकद के माध्यम से धन निवेश के लिए प्रेरित किया गया।

समय सीमा पूरी होने के बाद भी कोई भुगतान नहीं हुआ तब यह मामला उजागर हुआ और विवेचना के दौरान यह सामने आया कि - लगभग 250 लोगों से 9 करोड़ 28 लाख 5 हजार रुपए की ठगी की गई थी।

पुलिस टीम की जांच में खुलासा हुआ कि - यह एक पूर्व नियोजित, योजनाबद्ध और संगठित आर्थिक अपराध था, जिसमें मुख्य आरोपी के साथ-साथ अन्य सहयोगियों की भी सक्रिय भूमिका रही। अदालत ने मामले की गंभीरता, निवेशकों की आर्थिक क्षति तथा आरोपी की आपराधिक मानसिकता को ध्यान में रखते हुए यह कठोर दंड सुनाया है।

प्रकरण के मुख्य आरोपी नारायण दास मानिकपुरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं 75 लाख अर्थदंड धारा 409 आपराधिक न्यासभंग के तहत आजीवन कारावास एवं 1 करोड़ अर्थदंड छग निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 10 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं  5 लाख जुर्माना। सहअभियुक्त रेशम कैवर्त, घासीदास मानिकपुरी नान्हूदास मानिकपुरी एवं सुखदेव कठौतिया को धारा 420 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं ? 2 लाख जुर्माना उक्त अधिनियम की धारा 10 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं ? 1.80 लाख जुर्माना धारा 6 के तहत 3 माह सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई ।

इस प्रकरण में न्यायालय ने राज्य की ओर से लोक अभियोजक पीएन. गुप्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि - आरोपियों ने गरीब जनता की गाढ़ी कमाई को छल पूर्वक हड़पकर सामाजिक विश्वास को गहरी ठेस पहुँचाई है, और ऐसे कृत्यों पर यदि कठोर संदेश न दिया जाए, तो समाज में कानून का भय समाप्त हो जाएगा।


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