सारंगढ़-बिलाईगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 3 मई। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर छत्तीसगढ़ मस्तूरी के विधायक व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कृष्ण मूर्ति बांधी ने सारंगढ़ स्थित जिला भाजपा कार्यालय में प्रेस किया। पत्रकारों को संबोधित करते हुए विधायक ने की कहा हम हम 58 प्रतिशत आरक्षण पर न्यायालय से दी गई अंतरिम राहत का अभिनंदन करते हैं। इस फैसले से न केवल प्रदेश की तात्कालीन भाजपा सरकार के 58 प्रतिशत आरक्षण का फैसला सही साबित हुआ है, बल्कि कांग्रेस जिस तरह इस मामले में दोहरी राजनीति करती रही है, उसका भी पर्दाफाश हुआ है।
भाजपा शासन काल में लागू आदिवासियों के 32 फीसदी आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा षड्यंत्र कर हाईकोर्ट में याचिका लगवाकर, अपास्त घोषित किए गए आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी यह समझ लेना चाहिए कि वे संविधान से ऊपर नहीं हैं सही नीयत से कानून बनाने पर क्या होता है, यह सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से जाहिर हुआ है।
अगर सच में आपकी नीति सस्ती राजनीति से प्रेरित नहीं बल्कि वास्तव में वंचितों को न्याय दिलाने की होती है, तो सारे संवैधानिक प्रावधानों पर विचार-विमर्श कर कानून बनाया जाता है; जैसा भाजपा सरकार ने बनाया था।
उन्होंने कहा, इसी तरह पिछड़े वर्ग को दिए आरक्षण के विरुद्ध कांग्रेस सरकार में ही कुणाल शुक्ला हाईकोर्ट जाकर पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को रूकवाया था। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण की मुखालफत करने का पुरस्कार जहां श्री खांडे को आयोग का अध्यक्ष बना कर दिया, वहीं कुणाल शुक्ला को कबीर शोधपीठ का अध्यक्ष बनाया। ऐसा दोहरा चरित्र केवल कांग्रेस का ही हो सकता है। आरक्षण के मामले में जब हाईकोर्ट में मामला था, तब भी कांग्रेस ने जान बूझ कर केस को कमजोर किया। कोर्ट में अपना पक्ष सही से नहीं रखा, जिस कारण वह हाई कोर्ट में मुकदमा हार गयी।
उन्होंने कहा, 19 सितंबर 2022 को भूपेश सरकार के षड्यंत्र और लापरवाही के कारण हाईकोर्ट से अपास्त आरक्षण अधिनियम का प्रभाव नौकरियों सहित अन्य शिक्षा सुविधाओं पर ना हो इसके लिए भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने शुरू से संघर्ष किया और भूपेश सरकार पर आंदोलन और पूरे प्रदेश में चक्का जाम कर दबाव बनाया किया कि हाईकोर्ट से अपास्त घोषित आरक्षण पर न्याय केवल सुप्रीम कोर्ट ही दे सकता है।
परंतु भूपेश सरकार अपने हठधर्मिता के कारण इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट जाने से बचती रही, और तो और जब अन्य आदिवासी पक्षकार हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाकर प्रदेश सरकार के खिलाफ नोटिस जारी करवाए तो भूपेश सरकार ने नोटिस का भी कोई जवाब दाखिल नहीं किया।
कांग्रेस के बड़े वकील सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हर बार प्रकरण को आगे की तारीख लेते नजर आए। 19 अप्रैल 2022 को भाजपा अजजा मोर्चा द्वारा पत्र लिखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आरक्षण के मामले को उचित वैधानिक तरीके से सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रख कर राहत दिलाने की चेतावनी देते हुए कहा था कि राहत न मिलने पर अजजा मोर्चा विभिन्न आदिवासी संगठनों के साथ रायपुर के शहीद वीरनारायण सिंह जी के बलिदान स्थल जयस्तंभ चौक पर आमरण अनशन करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले इस न्याय से स्पष्ट है कि हाईकोर्ट तक में शासन ने अपना पक्ष बेहतर नहीं रखा। कांग्रेस चाह रही थी कि सरकार किसी तरह हार जाए। इसीलिए उसने क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे तमाम कृत्यों के कारण कांग्रेस की नीयत पर हमेशा सवाल उठता ही रहेगा।
भाजपा का यह स्पष्ट मानना है कि जान बूझ कर कांग्रेस सरकार आरक्षण का मुकदमा हारना चाहती थी ताकि एक भी नौकरी नहीं दे पाने की अपनी विफलता पर वह पर्दा डाल सके। इस फैसले से कांग्रेस का नकाब उतर गया है। उसका असली चेहरा एक बार और जनता के बीच आया है।
प्रेस वार्ता में विधायक कृष्ण मूर्ति बांधी के साथ भाजपा जिलाध्यक्ष सुभाष जालान, पूर्व विधायक केरा बाई मनहर, अजा मोर्चा प्रदेश मंत्री हरिनाथ खूंटे, जिला महामंत्री अजय गोपाल, उपाध्यक्ष अमित तिवारी, टीका राम पटेल, उपाध्यक्ष दीनानाथ खूंटे, प्रवक्ता अरविंद हरिप्रिया, जिला मीडिया प्रभारी मयूरेश केशरवानी, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष मनोज जायसवाल, भीम केशरवानी, गुलशन सुमन समेत सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित रहे। उक्त प्रेस वार्ता में आरक्षण विषय के अलावा जुआ सट्टा व शराबखोरी जैसे मुद्दों पर भी प्रेस बिरादरी ने सवाल किया वहीं सारंगढ़ में चल रहे सेटिंग की राजनीति के विषय पर भी पत्रकारों द्वारा सवाल किए गए जिसपर कृष्ण मूर्ति बांधी द्वारा जवाब दिया गया। उक्त बातें प्रेस के माध्यम से जिला मीडिया प्रभारी मयूरेश केशरवानी द्वारा बताई गई।