सारंगढ़-बिलाईगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 26 दिसंबर। होटल श्री ओम में चल रहे मां परमेश्वरी देवी महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस व्यास गद्दी से परम पूज्य किशन राव द्वारा कथा में रामायण, महाभारत, देवी भागवत, भागवत और वेदों के उदाहरण देकर कथा को बेहद सरल, सुबोध और सरस बनाने में सफल रहे। बीच- बीच में छोटू देवांगन छग के सुप्रसिद्ध गायक के भजन श्रद्धालु भक्तों को अपनी और आकर्षित करते रहे।
प्रमुख जजमान ईश्वर शशि कला देवांगन ने व्यास पीठ का पूजन किया, जिसमें देवांगन समाज अध्यक्ष ईश्वर देवांगन, मुन्नू दाऊ, मुनूबुआ देवांगन, टीकाराम, दामोदर, सुकालू, बलभद्र, संजय , नंदू , राजू , आनंद, भगत, गेंदा लाल, रामनारायण, होरीलाल, घसीया,भोलाराम, राधेश्याम, भरत, गंगा लाल के साथ ही साथ भगवती, शारदा,अध्यक्ष युवा देवांगन संघ मुकेश देवांगन, सचिव चेतन देवांगन , समाज के अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
किशन राव कथा को आगे बढ़ाते हुए कहने लगे कि रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद है। रामकृष्ण परमहंस मां के सामने रोया करते थे , मां से उनका साक्षात्कार हुआ। वे मां से बातें किया करते थे, उनके गोद में सोया करते थे। नरेंद्र इसी विश्वास, श्रद्धा और भक्ति के चलते रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बने। राम कृष्ण परमहंस उन्हें स्वामी विवेकानंद बना दिया। गुरु चार प्रकार के होते हैं दीपक , चंदन , पारस और भृंगी कीड़े की तरह। गुरु बनाओ जान कर , पानी पियो छान कर अर्थात गुरु बिन होए न ज्ञान।
राव ने कहा, दीपक गुरु है जो स्वयं प्रकाशित तो होता है लेकिन उसके नीचे अंधेरा रहता है। चंदन गुरु तो है उसके वृक्ष में सर्प लिपटे रहते हैं। सुवासीत चंदन उस सर्प के विष को हरण कर पाने में असमर्थ है। पारस गुरु तो है वह लोहे को स्वर्ण बना सकता है , लेकिन वह पारस अन्य किसी धातु को पारस नहीं बना सकता। चौथा जो गुरु है वह है भृंगी कीड़ा जो किसी भी कीडें को अपने पैर से या मुख से उठाकर ले जाता है और किसी भी लकड़ी के छेद के भीतर उसे डाल देता है। उस पर मिट्टी का लेप लगा, छेद को बंद करता है, वह बाहर न निकल सके और उस मिट्टी के पास बार-बार अपना राग अलापते हुए घूमते रहता है। कुछ समय पश्चात वह कीट अपने स्वभाव को छोड़ देता है और भृंगी कीड़े के स्वभाव में परिवर्तित हो जाता है तो गुरु ऐसे ही बनायें। ध्यान रहे श्रद्धालु माताएं आप किसी को गुरु ना बनाएं, क्योंकि आप जानते हैं कि वर्तमान में अखबार की सुर्खियों में, जेल की सलाखों में कैसे-कैसे गुरु सामने आए हैं। महिलाओं को चाहिए कि उनका गुरु उनका पति परमेश्वर ही है। गुरु बनाने की आवश्यकता उन्हें नहीं है।
देवांगन समाज अपने सभी इच्छाओं की परिपूर्ति के लिए सतयुग से कलयुग तक यज्ञ के माध्यम से अपनी मन्नतें पूरा करते हैं। यहां तक की मां परमेश्वरी यज्ञ से प्रसन्न हो उन्हें पुत्र तक प्रदान करती है। परमेश्वरी महापुराण में 108 अध्याय और 9 भाग है। देवांगन महाजन है जो कुड़ी पूजा पूंजी पारकर करते हैं।
राव जी ने बताया कि 1996 से कथा कहना प्रारंभ किए, आज 26 वर्ष पूरे हो चुके। इन 26 वर्षों में एक सौ इक्कीस कथा का वाचन कर चुकें है। भंडारे में चावल की व्यवस्था मुकेश वस्त्रालय घासीराम दाल की व्यवस्था भीम देवांगन मोनू रुद्राक्ष देवांगन 11 किलो आटा राजेश हैंडलूम 11 किलो आटा केशव भरत देवांगन के द्वारा दिया गया मां परमेश्वरी महोत्सव संगीत में देवांगन पुराण के आयोजक मंडल में देवांगन समाज युवा देवांगन संगठन महिला देवांगन समाज अपनी अहम भूमिका निर्वहन करते हुए दिखाई दे रहे हैं कथा सुनने हेतु भटगांव, बिलाईगढ़, कटगी, चंद्रपुर के साथ आस पास के देवांगन समाज के लोग उपस्थित रहे ।
इस दौरान देवांगन समाज अध्यक्ष ईश्वर देवांगन को अपने हाथों से बनाई हुई मां परमेश्वरी की प्रतिमा पेंटर रामू देवांगन ने हजारों की उपस्थिति में ईश्वर देवांगन को सौंप कर सम्मानित किए।


