राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : भारतमाला की कडिय़ाँ बढ़ती जा रहीं
09-Jun-2025 5:51 PM
राजपथ-जनपथ : भारतमाला की कडिय़ाँ बढ़ती जा रहीं

भारतमाला की कडिय़ाँ बढ़ती जा रहीं

भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले की ईओडब्ल्यू-एसीबी पड़ताल कर रही है। अब तक अभनपुर इलाके के दो दर्जन ग्रामीणों का बयान भी हो चुका है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई, कि परियोजना का प्रस्तावित रूट चार्ट लीक हो गया था, और फिर कारोबारियों ने राजस्व अफसरों से मिलकर घोटाले को अंजाम दिया।

ईओडब्ल्यू-एसीबी कानूनी सलाह लेकर जांच आगे बढ़ा रही है। क्योंकि साक्ष्य जुटाना आसान नहीं है। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने फिलहाल तो चार लोगों को ही गिरफ्तार किया है। जांच एजेंसी को कमिश्नर की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर और एफआईआर दर्ज की जाएगी। कुल मिलाकर जांच लंबी खिंचने वाली है। इससे भी बड़ी बात यह है कि घोटाले में संलिप्त बड़े अफसर लपेटे में आएंगे, इसकी संभावना कम दिख रही है। वजह यह है कि जिला प्रशासन के शीर्ष अफसर ने सबकुछ जानकर गड़बड़ी होने दी, और छोटों को बलि का बकरा बनाया।

सरकारी भत्ते और अपनी-अपनी काबिलियत

 निजी कंपनियों में बड़े बड़े वेतन पैकेज के बाद भी युवाओं में सरकारी नौकरियों का आकर्षण आज भी बरकरार है। कारण, सरकारी ढर्रे पर काम के साथ लंबी लंबी छुट्टियां, वेतन के साथ कई भत्तों की आमदनी। ऐसे लोगों के लिए एक और खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने वाले अफसरों के प्रतिनियुक्ति भत्ते में बड़ी बढ़ोतरी कर दी है।इसे केंद्रीय सचिवालयों में अवर सचिव उप सचिव और डायरेक्टर स्तर के अफसरों को अब 9000 रूपए तक बढ़ा दिया गया है।

वैसे यह बढ़ोतरी अप्रैल 18 के बाद की गई है। ऐसा ही भत्ता राज्य प्रशासन में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अफसरों को दिया जाता है। इन्हें यहां संलग्न कहा जाता है। इन श्रेणी के विशेष/अतिरिक्त सचिव को 3890, संयुक्त/उप सचिव को 2400,राप्रसे, वित्त सेवा के कनिष्ठों को 1970,अवर सचिव/स्टाफ आफिसरों को 2020, सहायक ग्रेड वन,निज सचिव को 1530, ग्रेड-2,स्टेनो और ग्रेड तीन को 1020 रुपए का भत्ता दिया जाता है। इसे भी तीन साल पहले बढ़ाया गया था। शायद एक वजह यह भी है कि अधिकारी कर्मचारी मंत्रालय में अटैच होने या नियुक्ति के लिए जोड़-तोड़ करते हैं। वैसे यहां और कई तरह की इनकम के भी अक्सर रहते हैं वो अपनी अपनी काबिलियत पर निर्भर है।

एनएमडीसी को रायपुर लाने की मांग का तेज होना

बस्तर के बचेली और किरंदुल खनन परियोजनाओं के लिए एनएमडीसी द्वारा नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही एक बार फिर इस सार्वजनिक उपक्रम का मुख्यालय हैदराबाद से हटाकर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर लाने की पुरानी मांग ने जोर पकड़ लिया है। रायपुर में नहीं, लेकिन बस्तर में युवा और प्रभावित इलाकों के जनप्रतिनिधि इस संबंध में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को ज्ञापन दे रहे हैं। यह मांग कोई नई नहीं है।साल 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा ने इस विषय में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मुख्यालय को छत्तीसगढ़ स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। इस बात को आज 26 साल गुजर गए, किसी ने गंभीरता से प्रयास नहीं किया।

एनएमडीसी का 80 प्रतिशत से अधिक कारोबार बस्तर क्षेत्र के खनिज संसाधनों और उद्योगों पर निर्भर है। इसके बावजूद, कंपनी का मुख्यालय अब भी हैदराबाद में बना हुआ है। इसके पक्ष में दिया जाने वाला तर्क यह है कि हैदराबाद की दिल्ली सहित अन्य महानगरों से हवाई और सडक़ संपर्क बेहतर है। हालांकि, अब रायपुर से देश के अधिकांश बड़े शहरों के लिए हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं और बस्तर से रायपुर तक की सडक़ भी सुगम है।

माना जाता है कि पहले माओवाद की समस्या को ध्यान में रखते हुए भी मुख्यालय रायपुर या जगदलपुर न लाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन आज जगदलपुर जैसे शहर में भी कई कॉरपोरेट ऑफिस सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं।

अब जब एनएमडीसी ने 995 पदों पर भर्ती की घोषणा की है, जिनमें से लगभग 745 पद बस्तर परियोजनाओं के लिए आरक्षित हैं, तो यह सवाल और महत्वपूर्ण हो जाता है कि भर्ती प्रक्रिया कहां संचालित की जाएगी। इनमें से कई पद प्रारंभिक श्रेणी के हैं और इन पर स्थानीय युवाओं को अवसर दिए जाने की आवश्यकता है। यदि पूरी प्रक्रिया हैदराबाद में आयोजित की गई तो बस्तर के युवाओं के लिए इसमें भाग लेना कठिन हो जाएगा। भर्ती परीक्षा केंद्र छत्तीसगढ़ या बस्तर में होंगे या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस शासन के दौरान भी छत्तीसगढ़ सरकार ने एनएमडीसी का मुख्यालय राज्य में स्थानांतरित करने की मांग केंद्र के सामने रखी थी। यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यालय हैदराबाद में होने के कारण कंपनी से मिलने वाला कॉर्पोरेट टैक्स और जीएसटी भी तेलंगाना सरकार को मिलता है।

ऐसे में जब छत्तीसगढ़ और केंद्र, दोनों जगह भाजपा की सरकार है, यह उपयुक्त समय है कि एनएमडीसी का मुख्यालय रायपुर या जगदलपुर स्थानांतरित किया जाए। इससे न केवल स्थानीय युवाओं को अधिक अवसर मिलेंगे बल्कि भाजपा को राजनीतिक रूप से भी लाभ मिल सकता है, खासकर तब जब तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है।


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