राजपथ - जनपथ

शुभ महूरत बहुत ज़रूरी था
ब्रेवरेज कार्पोरेशन चेयरमैनशिप के लिए भाजपा विधायक, और प्रभावशाली नेताओं में होड़ मची थी। मगर बस्तर के नेता श्रीनिवास मद्दी सबको पीछे छोडक़र पद पाने में कामयाब रहे।
यह कार्पोरेशन मलाईदार जरूर है, लेकिन कुख्यात भी है। ब्रेवरेजस कार्पोरेशन से जुड़े पूर्व मंत्री, और अफसर जेल में हैं। आबकारी कारोबार की जांच रही है। यही वजह है कि नवनियुक्त चेयरमैन मद्दी पदभार संभालने में हड़बड़ी नहीं दिखाई, और शुभ मुहूर्त का इंतजार किया।
मद्दी ने पंडितों से सलाह मशविरा कर मुहूर्त निकलवाया। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक स्वाति नक्षत्र को शुभ कार्य के लिए उपयुक्त माना जाता है। उस पर निर्जला एकादशी का संयोग अलग। स्वाति नक्षत्र शनिवार सुबह 9.40 से शुरू होकर रविवार को दोपहर साढ़े बारह बजे तक रहेगा। जबकि एकादशी आज खत्म हो रही है। मद्दी ने शुभ मुहूर्त में ठीक साढ़े 10 बजे पदभार ग्रहण किया। उन्होंने अपना परंपरागत वस्त्र पहने और दक्षिण भारतीय पंडितों को भी मंत्रोच्चार के लिए आयोजन में बुलाया था। अब देखना है कि ब्रेवरेजस कार्पोरेशन मद्दी के लिए कितना शुभ रहता है।
शिविर से ऐसे निकला समाधान
छत्तीसगढ़ में हाल ही में सुशासन तिहार मनाया गया। सरकार का दावा है कि हर जिले, हर गांव में समाधान शिविरों के जरिए लोगों की परेशानियों का हल निकाला गया है। कांग्रेस ने कहा- सब दिखावा है, किसी को कोई फायदा नहीं हुआ। लेकिन हकीकत दोनों दावों के बीच की है।
खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले की एक मिसाल से इसे समझ सकते हैं। एक समाधान शिविर में किसी ग्रामीण ने शिकायत कर दी कि राशन कार्ड बनवाने या उसमें सुधार करवाने के नाम पर पंचायत सचिव पैसे मांगते हैं। शिकायत तो एक ही थी, पर प्रशासन ने मान लिया कि शायद ऐसी दिक्कत और भी लोगों को हो रही होगी। फिर क्या था, प्रशासन ने पूरे जिले के पंचायत सचिवों के आईडी और पासवर्ड सील कर दिए। यानी अब वे राशन कार्ड में कोई भी बदलाव नहीं कर सकते। अब ग्रामीणों को हर सुधार या नया राशन कार्ड बनवाने के लिए सीधे जिला मुख्यालय जाना होगा। पंचायत सचिवों के पास अब कुछ करने का हक ही नहीं है, तो घूस मांगने का सवाल ही नहीं उठता! कौन वाकई पैसा मांगता था और कौन नहीं, ये छानबीन करना थोड़ा पेचीदा काम था। इसलिए सबकी पहुंच पर ही ताला जड़ देना प्रशासन को ज्यादा आसान और सही उपाय लगा होगा।
लेकिन अब हाल ये है कि गांव वाले तो पुराने ढर्रे पर सचिवों के पास पहुंच रहे हैं, जिला मुख्यालय तक पहुंच पाना सबके बस की बात भी नहीं है। सचिव उनसे हाथ जोडक़र कह रहे हैं, हमारे हाथ में अब कुछ नहीं। कई सचिवों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि सबको सजा मत दो, जिसने गलती की है उसी को सज़ा दो। ग्रामीण हमारे पास आकर भटक रहे हैं। अब बताइये प्रशासन ने समाधान निकाला है या नहीं?
जुलाई से छत्तीसगढ़ को अमृत भारत!
जब वंदे भारत एक्सप्रेस चली, तो लोगों ने उसकी रफ्तार की तारीफ की, लेकिन किराये को लेकर खूब आलोचना भी हुई। कहा गया कि इतना महंगा किराया तो सिर्फ अमीर ही चुका सकते हैं। आम आदमी के लिए ये ट्रेन नहीं है। सवाल उठा कि तेज और आरामदायक सफर का हक क्या आम यात्रियों को नहीं है?
इन्हीं आलोचनाओं के बीच रेलवे ने अमृत भारत ट्रेन योजना की घोषणा की। वंदे भारत की तुलना में ये ट्रेनें किफायती होंगी और लंबी दूरी के यात्रियों को बेहतर विकल्प देंगी। कुछ रूटों पर ये ट्रेनें शुरू भी हो चुकी हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ अभी तक इस सुविधा से वंचित है।
कहा जा रहा है कि जुलाई महीने में छत्तीसगढ़ को भी पहली अमृत भारत ट्रेन मिल रही है। इस ट्रेन का रूट होगा – हावड़ा, टाटानगर, बिलासपुर, रायपुर, नागपुर, भुसावल, और कल्याण, जिसके बाद यह छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई पहुंचेगी। ट्रेन हावड़ा से सुबह 8 बजे रवाना होकर अगले दिन सुबह 10 बजे मुंबई पहुंचेगी। यानी करीब 1960 किलोमीटर की दूरी महज 26 घंटे में तय होगी।
खास बात यह कि किराया वंदेभारत की तुलना में काफी सस्ता होगा। एक हजार रुपये से भी कम, फिलहाल ऐसी जानकारी सिर्फ सोशल मीडिया पर है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस ट्रेन को समय पर चलाने के लिए मालगाडिय़ों को रोक दिया जाएगा, जैसा कि वंदे भारत के लिए होता है?