राजपथ - जनपथ

वायरल वीडियो ने दिलों को झकझोर दिया
पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के दिन एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर लोगों ने इस क्लिप का वीडियो शेयर किया, जिसमें एक गुस्साए हाथी को जेसीबी मशीन पलटते हुए देखा जा सकता है।
लोगों को वीडियो देखकर यही लगा कि ये घटना शायद छत्तीसगढ़ की है, क्योंकि यहां भी हाथियों और इंसानों के बीच टकराव अब आम बात हो गई है। कई लोग तो वीडियो देखकर दुखी हो गए, और हाथी पर किए गए अत्याचार की आलोचना करने लगे।
दरअसल, यह वीडियो पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के मालबाजार इलाके का है और घटना 2 फरवरी 2025 की है। वहां पास के जंगल से एक जंगली हाथी मालबाजार इलाके में घुस आया था। उसी दौरान एक जेसीबी मशीन जमीन की खुदाई कर रही थी। हाथी को जेसीबी से भगाने की कोशिश की गई।
हाथी शुरू में शांत था, इसी बीच किसी ने उसकी पूंछ तक खींच दी, तो वो गुस्से में आ गया और फिर जेसीबी को पलट दिया, जेसीबी चालक व सवार जान बचाकर भागे। गुस्साये हाथी ने वॉच टावर पर भी हमला कर दिया।
घटना सामने आने के बाद हाथी को सुरक्षित जंगल में खदेड़ दिया गया है। जिस जेसीबी से उसे तंग किया गया, उसे जब्त कर लिया गया। जेसीबी चालक को गिरफ्तार भी किया गया। यह घटना बताती है कि वन्यजीवों की शांति में दखल देना, उन्हें उकसाना, छेडऩा आखिरकार नुकसानदायक है। छत्तीसगढ़ में इसके चलते कई मौतें हो चुकी हैं, कुछ घायल भी हो चुके हैं।
जान से खेलने की बेवकूफी!
कोरबा में जो हुआ, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला था। एक 18 साल का युवक सिर्फ कुछ लाइक्स और व्यूज़ के लिए अपनी जि़ंदगी को दांव पर लगाकर चलती मालगाड़ी के सामने ट्रैक पर दौड़ गया। शुक्र है कि पायलट ने वक्त रहते इमरजेंसी ब्रेक लगा दी और उसकी जान बच गई। लेकिन सोचिए, अगर इमरजेंसी ब्रेक लगाने के चलते ट्रेन ही ट्रैक छोड़ जाती तो?
वीडियो में साफ दिख रहा है कि कैसे ये युवक हीरो बनने के चक्कर में जि़ंदगी से खेल गया। रेलवे ट्रैक कोई फि़ल्म का सेट नहीं है, जहां रीटेक का मौका मिले। ट्रैक से महज 50 मीटर की दूरी पर फाटक था, जहां खड़े लोगों ने वीडियो बना लिया। अब ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। आरपीएफ ने मामले को गंभीरता से लिया है और युवक की तलाश शुरू कर दी है।
कल और आज
कलेक्टर रह चुके आईएएस अफसरों को जेल से रिहा होते, और प्रदेश से निष्कासित होते देखकर ठंडे कलेजे वाले एक अफसर ने कहा- कल तक जो जिलाबदर करते थे, वो खुद आज प्रदेशबदर हो गए।
कुकर की सीटी के साथ अपील
बीबीसी पर अंग्रेजी के समाचार पॉडकास्ट के बीच भारत का हिन्दी का एक इश्तहार इतनी बार सुनाया जा रहा है कि उसका असर म्युनिसिपल की कचरा गाड़ी में बजने वाले संगीत जितना हो गया है, जो कि किसी को सुनाई नहीं देता। यह इश्तहार अंग्रेजी के पॉडकास्ट के बीच हिन्दी भाषा में अटपटा लगता है, लेकिन चूंकि यह म्युचुअल फंड में पूंजीनिवेश को बनाए रखने के लिए है, इसलिए बीबीसी पर भी सुनाया जा रहा है, और हिन्दीभाषी पूंजीनिवेशकों को समझाने के लिए भी। म्युचुअलफंडसहीहैडॉटकॉम नाम की एक वेबसाइट गिनाते हुए यह भारतीय बाजार के पूंजीनिवेशकों को सुझा रहा है कि वे हड़बड़ी में रकम न निकालें, वरना वह पहली सीटी पर कुकर बंद कर देने से कच्चे रह गए खाने सरीखा हो जाएगा। अब शेयर बाजार से अपना निवेश निकालने पर जब बड़े-बड़े फिरंगी-परदेसी लगे हुए हैं, तो देसी लोगों का भी हौसला कुछ तो पस्त होना ही था।
इस इश्तहार में कुकर की सीटी इतने बार सुनाई जा रही है, और एक ही इश्तहार को लगातार चार-चार बार सुनाया जा रहा है, उससे लगता है कि शेयर बाजार कुछ अधिक ही दहशत में है।
एक के बाद दूसरी एजेंसी
आबकारी घोटाला केस में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी विजय भाटिया से पूछताछ चल रही है। शुक्रवार को रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद भाटिया को जिला अदालत में पेश किया जाएगा, और ईओडब्ल्यू-एसीबी पूछताछ के लिए रिमांड की अवधि बढ़ाने की मांग कर सकती है। इससे परे भाटिया से ईडी भी पूछताछ करना चाहती है।
बताते हैं कि ईडी के अफसर, ईओडब्ल्यू-एसीबी के अफसरों के संपर्क में हैं। कहा जा रहा है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी की रिमांड खत्म होने के बाद ईडी भाटिया को पूछताछ की अनुमति देने के लिए जिला अदालत में आवेदन कर सकती है। फिलहाल भाटिया से क्या कुछ निकला है, यह आने वाले दिनों में सामने आ सकता है।
ये तबादला भी कोई तबादला है !
सरकार ने तबादले पर से बैन हटा दिया है। भाजपा कार्यकर्ताओं को बैन हटने का इंतजार था, ताकि वो अपने करीबी-रिश्तेदार अधिकारी-कर्मचारियों के तबादला करा सके। मगर तबादला पॉलिसी ऐसी बनाई है कि पार्टी के कई विधायक, और पदाधिकारी संतुष्ट नहीं हैं। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि शिक्षक, पुलिस, वन, खनिज, और परिवहन विभाग के तबादलों पर रोक जारी रहेगी। ऐसे में पार्टी के लोग ही तबादले पर से रोक हटाने के औचित्य पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।
पार्टी के नेता बताते हैं कि वर्ष-2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद चुन-चुनकर भाजपा पदाधिकारियों के करीबियों का तबादला किया गया था, और उन्हें दूर-दराज इलाकों में पदस्थ किया गया था। सरकार बदलने के बाद ये सभी वापसी के लिए प्रयासरत थे। विशेषकर शिक्षा विभाग के सैकड़ों की संख्या में तबादले के आवेदन आ चुके हैं। मगर स्कूलों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया चल रही है। यही वजह है कि शिक्षकों के तबादलों पर रोक लगा दी गई है।
इसी तरह परिवहन, खनिज, और वन विभाग के तबादलों को लेकर विधायक और पार्टी के पदाधिकारी उम्मीद से थे। मलाईदार पोस्टिंग के लिए अफसर भाजपा पदाधिकारियों के आगे-पीछे हो रहे थे, लेकिन रोक जारी रहने से पदाधिकारी-अफसर मायूस हैं। कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी संगठन तक अपनी बात पहुंचाई है। देखना है आगे क्या होता है।
कोई भरोसा नहीं मिला
डीएड अभ्यर्थियों ने सहायक शिक्षकों के रिक्त पद के लिए काउंसलिंग फिर शुरू करने के लिए काफी दबाव बना रहे हैं। छठे दौर की काउंसलिंग रूकी है। अभ्यर्थियों के मेरिट लिस्ट की वैधता खत्म होने में कुछ ही दिन बाकी है। अभ्यर्थियों को पिछली कैबिनेट में इस पर फैसले की उम्मीद थी।
अभ्यर्थी कैबिनेट से पहले एक-एक कर मंत्रियों से मिले, और उन्हें श्रीफल(नारियल) भेंट कर अपनी मांगों पर चर्चा की। मंत्रियों ने गर्मजोशी से उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी मांगों पर कैबिनेट में चर्चा जरूर की जाएगी। मगर कैबिनेट के बाद अभ्यर्थी मंत्रियों से मुलाकात की कोशिश की, तो ज्यादातर कन्नी काट गए। परेशान अभ्यार्थी कुशाभाऊ ठाकरे परिसर से लेकर आरएसएस दफ्तर तक चक्कर काट रहे हैं। मगर उनकी मांगों पर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला।