राजपथ - जनपथ

आप भी भाजपा में चले गए?
बीते कुछ सालों के भीतर छत्तीसगढ़ के कई भूतपूर्व विधायक कांग्रेस छोडक़र भाजपा में चले गए। इनमें से कुछ लोगों के बारे में आम धारणा थी कि वे उसूलों के पक्के हैं और अवसर के लिए निष्ठा नहीं बदलेंगे। मगर, यह होता गया। बिलासपुर के पूर्व विधायक शैलेष पांडेय ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अमर अग्रवाल का गढ़ हिला दिया। लेकिन 2023 के चुनाव में उन्हीं से बुरी तरह परास्त भी हो गए। इसके बावजूद उनकी कांग्रेस में सक्रियता पूरी ईमानदारी के साथ दिख रही है। एक ठीक-ठाक ओहदे की जरूरत उन्हें जरूर है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नाम चल रहा था, पर बात नहीं बन पाई है। जिस तरह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की गाहे-ब-गाहे चर्चा निकल पड़ती है, सालों से जमे जिला कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर भी बात उठती है। पर कांग्रेस में ऐसे फैसले आसानी से नहीं होते। कहा जा रहा है कि पांडेय अपना नाम आगे करने से बच भी रहे हैं क्योंकि उनको कुछ स्थानीय नेताओं ने पूरे पांच साल के विधायकी कार्यकाल में चैन से नहीं रहने दिया। राजकीय समारोह में झंडा नहीं फहराने दिया, एफआईआर करा दी। शायद, उनका विरोध अब भी उभर आए।
बहरहाल, पांडेय इस समय एक दूसरी वजह से चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले उनके नाम और फोटो के साथ फेसबुक पर एक पेज डिस्पले हुआ। लोग चौंक गए। पांडेय इसमें खुद को भाजपा नेता बता रहे हैं। कुछ ही दिनों में यह पेज इतना पॉपुलर हो गया कि इसके 4.7 हजार फॉलोअर्स हो गए। इस पेज के क्रियेटर ने खुद 460 लोगों को फॉलो किया है। पांडेय ने अपने असली पेज पर इसका स्क्रीन शॉट शेयर किया है। लोगों को सावधान किया है और बताया है कि यह फर्जी है। लेकिन लोग इस पेज को देखकर क्या-क्या सोचने लगे थे, पांडेय की पोस्ट पर मिली प्रतिक्रियाओं से पता चलता है। जैसे एक ने लिखा- भैया, हमने तो सोच लिया था कि आपने बीजेपी ज्वाइन कर ली है। आपको फोन भी किया था, जब स्विच ऑफ मिला तब तो पक्का यकीन कर भी लिया कि आप भी चले गए। एक दूसरी प्रतिक्रिया है- भले ही आपका यह पेज फर्जी है, लेकिन आप बीजेपी के लिए ही बेहतर हैं। कुछ प्रतिक्रियाएं ऐसी हैं, जिनमें दावा किया गया है कि यह शरारत बीजेपी के लोगों ने की होगी। फेसबुक पर फर्जी पेज तैयार करना बड़ा आसान है। सारी निजी जानकारी, तस्वीरें कॉपी पेस्ट की जा सकती हैं। पांडेय के मामले में पैसे वसूली की शिकायत नहीं है, जबकि प्राय: दूसरे फर्जी पेज इसी मकसद से बनाए जाते हैं।
राज्य सेवा से आए, बेहतर काम
प्रदेश में अरसे बाद ऐसा मौका आया है जब बड़े शहरों में पुलिस की कमान राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में आए अफसर संभाल रहे हैं। इनमें रायपुर एसएसपी लाल उम्मेद सिंह भी हैं, जो कि रायपुर में एडिशनल एसपी रह चुके हैं।
कुछ इसी तरह का संयोग बिलासपुर, दुर्ग, कोरिया, और अंबिकापुर जैसे बड़े जिले में भी बना है। बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह भी राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट हुए हैं। इसके अलावा दुर्ग एसपी विजय अग्रवाल भी राज्य पुलिस सेवा के अफसर रहे हैं। खास बात यह है कि रजनेश और विजय अग्रवाल, दोनों ही रायपुर साइंस कॉलेज से पढ़े हैं।
कोरिया एसपी रवि कुर्रे, और राजेश अग्रवाल भी प्रमोट होकर भारतीय पुलिस सेवा में आए हैं। राजेश अग्रवाल कुछ समय के लिए कवर्धा एसपी रह चुके हैं। इसी तरह सूरजपुर एसपी प्रशांत सिंह ठाकुर भी प्रमोट होकर भारतीय पुलिस सेवा में आए हैं। इससे परे सीधी भर्ती के भारतीय पुलिस सेवा के ज्यादातर अफसरों की पोस्टिंग आदिवासी इलाकों में की गई है। बस्तर के सभी सात जिलों में सीधी भर्ती के भापुसे के अफसर पदस्थ हैं, और नक्सलवाद के खात्मे में अहम रोल अदा कर रहे हैं।
सफाई का लीकेज
इस बार शहर में बारिश पूर्व इस विशेष सफाई अभियान के लिए हर जोन को 3-3 लाख अलग से दिए थे। उसके बाद कल निगम मुख्यालय से एक खबर निकली कि शहर के सवा दो सौ (224) नाले नालियों की सफाई को लेकर मेयर मैडम नाराज हैं। उसके बाद निगम से जुड़े पूर्व वर्तमान नेताओं के वाट्सएप ग्रुप में सभी एक दूसरे के कार्यकाल का हिसाब किताब लेकर बैठ गए।
एक ने कहा महापौर मैडम का नाराज होना जायज है लेकिन नाराज होने से किसी के कान में जूं नहीं रेंगने वाली क्योंकि इसमें सभी की सहभागिता है । विपक्ष में रहते मेयर मैडम को भी 3 बार का अनुभव है। और आजकल जब तक पार्षद 50-75 हजार से ले कर 1 लाख महीना सफाई ठेकेदार से वसूलेंगे तो वार्ड हो या नाले की सफाई नहीं हो सकती। इस पूर्व पार्षद ओर एमआईसी सदस्य ने कहा मैंने 10 साल पहले भरे सदन में रिकॉर्ड में ला कर कहा था कि सफाई में 50 लाख का लीकेज है । लेकिन हुआ क्या आज वो सभी 70 वार्डों में 1.5 करोड़ महीने का लीकेज हो गया है।
अगर सही में सही तरीके से इन 4000 सफाई कर्मचारियों का उपयोग करना है तो इंदौर और चंडीगढ़ पैटर्न पर सीधे खाते में उनकी दिहाड़ी का पैसा डलवाएं। तब ये 8 घंटे पूरा काम भी करेंगे और इनको 12 हजार रुपए महीने भी मिलेंगे। जो अभी 6-8 हजार सिर्फ मिलते हैं । इन पर कितना भी नाराज हो सब की मिलीभगत है तभी यह चल पाता है। 75 हजार 1 लाख जब पार्षद लेगा तो ठेकेदार और अधिकारी डेढ़ लाख तक नेगोशिएट करेंगे। उसके बाद भी सफाई ऐसी ही बदहाल रहेगी ।