राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : अमिताभ के बाद कौन
04-Jun-2025 6:40 PM
राजपथ-जनपथ : अमिताभ के बाद कौन

अमिताभ के बाद कौन

आखिरकार सीएस अमिताभ जैन इस महीने की 30 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। जैन सीएस के पद पर सर्वाधिक समय तक रहने वाले अफसर हैं। प्रशासनिक हलकों में उनके उत्तराधिकारी को लेकर कयास लगाए जा हैं। वैसे तो वरिष्ठता क्रम में 91 बैच की अफसर रेणु पिल्ले अव्वल नंबर पर हैं। एसीएस रेणु माध्यमिक शिक्षा मंडल की चेयरमैन हैं। इसके बाद  92 बैच के अफसर एसीएस सुब्रत साहू का नंबर हैं, और वो सहकारिता विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं।

चूंकि 93 बैच के अफसर अमित अग्रवाल केन्द्र सरकार में हैं, तो 94 बैच के अफसर एसीएस ऋचा शर्मा और गृह विभाग के एसीएस मनोज पिंगुआ भी मजबूती से सीएस की दौड़ में शामिल बताए जा रहे हैं। अब सीएम विष्णुदेव साय क्या फैसला लेते हैं, इसको लेकर भी अटकलें लगाई जा रही है। वैसे तो साय ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के मसले पर यथा संभव उन्होंने मेरिट को ही तवज्जो दिया है। ऐसे में नया सीएस कौन होगा, इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

सबसे वरिष्ठ अफसर रेणु पिल्ले की साख बहुत अच्छी है, लेकिन वर्क-टू-रूल की अपनी विशिष्ट कार्यशैली के चलते विभागों के मुखिया उनसे सहज नहीं रहे हैं। यही वजह है कि ज्यादातर मौकों पर उनकी पोस्टिंग मंत्रालय के बाहर माध्यमिक शिक्षा मंडल, प्रशासन अकादमी जैसे संस्थानों में होती रही है, जहां राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं के बराबर रहती है। इससे परे सुब्रत साहू, तो पिछली सरकार में सीएम के एसीएस रहे हैं। साय के सीएम बनने के बाद भी वो कुछ समय तक वो सीएम सचिवालय का काम देखते रहे हैं। इसके बाद उन्हें प्रशासन अकादमी भेज दिया गया था, और कुछ समय पहले ही उन्हें सहकारिता जैसा अहम दायित्व मिला है।

सुब्रत के बाद 93 बैच के अमित अग्रवाल का नंबर आता है, जो कि केन्द्र सरकार में सचिव हैं। अमित के बाद 94 बैच के ऋचा शर्मा, और मनोज पिंगुआ के नाम पर भी काफी चर्चा हो रही है। ऋचा ने वन विभाग के मुखिया के रूप में अच्छा काम किया है। मगर उन्हीं के बैच के 94 बैच के ही अफसर मनोज पिंगुआ का नाम मजबूती से उभरा है। पिंगुआ, पिछली और वर्तमान दोनों सरकार की ही पसंद रहे हैं। पिंगुआ केन्द्र सरकार में भी काम कर चुके हैं। ऐसे में नया सीएस कौन होगा, इसको लेकर चर्चा चल  रही है।

एक्सटेंशन का भी हल्ला

हालांकि अमिताभ जैन को सीएस के पद पर चार साल हो चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें एक्सटेंशन दिए जाने की संभावना जताई जा रही है। ये अलग बात है कि अभी राज्य सरकार की तरफ से एक्सटेंशन को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।

अगर राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती है, तो कम से कम तीन या छह महीने का एक्सटेंशन मिल सकता है। केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और झारखंड के सीएस को तीन से छह माह तक का एक्सटेंशन दिया है। यही नहीं, केन्द्र सरकार ने भाजपा शासित राज्य में केंद्र से अपनी पसंद का सीएस भेजकर पदस्थापना करवाई है। उत्तर प्रदेश में डीएस मिश्रा के सीएस पद पर नियुक्ति इसका उदाहरण है। वो केंद्र में सचिव थे, बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश भेजा गया, और सीएस बनाया गया। बाद में एक्सटेंशन भी मिला। अगर ऐसा कुछ हुआ, तो अमित अग्रवाल के लिए भी संभावनाएं बन सकती है।

एक चर्चा यह भी

प्रशासनिक हलकों में एसीएस स्तर के अफसर के लिए केंद्र से सिफारिश  की चर्चा है। इस पर राज्य सरकार क्या सोचती है, यह साफ नहीं है। फिलहाल जितनी मुंह, उतनी बातें। 30 तारीख तक अटकलों का बाजार गरम रहेगा।

शरण देने वालों पर पुलिस की चुप्पी

छत्तीसगढ़ में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई हाल के महीनों में सुर्खियों में रही है। कल दुर्ग से दो विदेशी नागरिकों को फिर से पकड़ा गया है। राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा के अनुसार, बस्तर से 500 और कवर्धा से 350 घुसपैठियों को देश से बाहर भेजा गया है, जबकि 46 लोगों को जेल की सलाखों के पीछे डाला गया है। ‘ऑपरेशन समाधान’ के तहत 2000 से अधिक कामगारों की जांच की गई, जिसमें 150 लोग वैध दस्तावेज दिखाने में नाकाम रहे।

अवैध प्रवासी देश की सुरक्षा, स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा जरूर है, लेकिन इस पूरे परिदृश्य में एक जरूरी सवाल पर पुलिस चुप है। वह ये कि, इन घुसपैठियों को शरण देने वालों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

यह घुसपैठिए अचानक आसमान से नहीं टपके। उन्होंने जाली आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य भारतीय पहचान-पत्र बनवाए जो जाहिर है, स्थानीय स्तर पर किसी की मदद से ही संभव हो रहा है। फिर वे सामान्य मजदूरों की तरह काम करने लगे, महिलाएं घरेलू काम या छोटे-मोटे अनौपचारिक क्षेत्र में घुलमिल गईं। जो लालच में या अनजाने में, इन्हें रहने की जगह, नकली दस्तावेज, और रोजगार मुहैया कराते हैं उन पर अब तक शायद ही कोई कार्रवाई हुई हो।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 111(5) और पुराने भारतीय दंड संहिता की धारा 212 के अनुसार, किसी अपराधी को शरण देना एक बड़ा अपराध है, जिसकी सजा 5 साल की जेल और जुर्माने तक हो सकती है। यदि मामला आतंकवाद से जुड़ा हो, तो सजा आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है। अवैध घुसपैठियों को पकडऩा आधा समाधान है।

वैसे बात केवल बांग्लादेशी या विदेशी घुसपैठियों की ही नहीं है। देश के अन्य राज्यों से आकर छत्तीसगढ़ में किराये पर रहने वाले अनेक लोग अपराध में लिप्त हैं। पुलिस अक्सर एक औपचारिक घोषणा कर देती है कि मकान मालिक अपने किरायेदारों की जानकारी नजदीकी थाने में दें, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। अनजाने में हो या जानबूझकर।

दो एसपी दिल्ली की ओर ?

मंत्रालय में प्रशासनिक के साथ-साथ पुलिस में भी फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि दो एसपी व्यक्तिगत कारणों से केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते हैं। उन्होंने विभाग के शीर्ष अफसरों तक अपनी बात पहुंचा दी है। ऐसी स्थिति में आईपीएस अफसरों के तबादले की एक सूची जारी हो सकती है। 

पहली बारिश में वन का श्रृंगार

प्रकृति जितनी सरल दिखती है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। हर रंग, हर गंध, हर जीवन अपनी दास्तान कहता है। बस ठहरकर महसूस करने की जरूरत है। इन दिनों पहली फुहारें क्या गिरीं, जंगल जैसे जाग उठा। पत्तों पर बूंदें थिरकने लगी। मिट्टी से सौंधी खुशबू आने लगी। पेड़ों ने हरी चुनर सजा ली। हर शाख स्वर्णिम हो गया। शीतल हवा चलने लगी। जमीन को चीरते हुए कंद फूटने लगे और फूल मुस्कुराने लगे हैं। उस पर बैठी तितली जीवन रस ले रही है। पहली बारिश के बाद खींची गई यह तस्वीर प्रकृति प्रेमी प्राण चड्ढा ने अचानकमार अभयारण्य के समीप ली है।


अन्य पोस्ट