राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : चैम्बर में वोकल फॉर लोकल
03-Jun-2025 6:20 PM
राजपथ-जनपथ : चैम्बर में वोकल फॉर लोकल

चैम्बर में वोकल फॉर लोकल

भाजपा के रणनीतिकार व्यापारी संगठनों की राजनीति को लेकर चिंतित हैं। चैम्बर ऑफ कॉमर्स में तो पार्टी के करीबी सतीश थौरानी, और उनकी टीम निर्विरोध आ चुकी है, लेकिन पूर्व चैम्बर अध्यक्ष अमर पारवानी को  संरक्षक मंडल में शामिल नहीं करने पर उनके करीबी व्यापारी नेता नाराज हैं।

पारवानी ने कैट के बैनर तले व्यापारियों के बीच अपनी ताकत दिखाने के लिए एक सम्मेलन करने जा रहे हैं। कार्यक्रम का नाम है संकल्प-वोकल फॉर लोकल। यानी देशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अभियान शुरू किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 6 तारीख को समता कॉलोनी में होगा। इसमें स्पीकर डॉ. रमन सिंह मुख्य अतिथि, और कार्यक्रम की अध्यक्षता विधायक सुनील सोनी करेंगे। पूर्व मंत्री राजेश मूणत व अमर पारवानी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे।

राष्ट्रवाद से परिपूर्ण इस कार्यक्रम में प्रदेशभर के व्यापारियों को आमंत्रित किया जा रहा है। चूंकि वोकल फॉर लोकल, भाजपा का एजेंडा रहा है। ऐसे में भाजपा के लोग कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं। कुछ लोग मान रहे हैं कि कैट की सक्रियता से व्यापारी संगठन बंट सकते हैं। इन सबको लेकर भाजपा के नेता परेशान हैं। देखना है कि दोनों संगठनों के बीच पार्टी किस तरह तालमेल बिठाती है।

मस्ती, शरारत और सेहत का साथी अब उपेक्षित

भारत दुनिया का वह देश है जहां सबसे ज़्यादा लोग साइकिल चलाते हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि यहां साइकिल चालकों के लिए सुरक्षित ट्रैक या लेन कहीं नहीं मिलती। चाहे राजधानी रायपुर हो या कोई छोटा शहर, भारी ट्रैफिक के बीच साइकिल सवार अपनी जान जोखिम में डालकर सडक़ों पर उतरते हैं।

बीते कुछ सालों की तरह इस साल भी पुलिस और प्रशासन का साइकिल चलाओ, स्वस्थ रहो जैसा आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ में भी कई जगहों पर बच्चों की साइकिल रैलियां हो रही हैं, मंत्री झंडी दिखा रहे हैं, तस्वीरें छप रही हैं, मगर कोई ये नहीं पूछता कि रैली के बाद ये बच्चे या आम लोग रोज साइकिल चलाएं तो चलाएं कहां? रैली के लिए सडक़ें खाली करा दी जाती है, यातायात पुलिस तैनात रहती है- मगर आम दिनों में?

गौरव पथ जैसा चमचमाता रास्ता हो या भीड़-भाड़ वाला बाजार-साइकिल के लिए एक कोना भी सुरक्षित नहीं है। सरकारों से भी सवाल है। पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जब ई-वाहनों और हाईवे के लिए करोड़ों की योजनाएं बन रही हैं, तो साइकिल चालकों के लिए भी कोई नीति क्यों नहीं बनती? क्यों नहीं तय किया जाता कि हर नई शहरी योजना में साइकिल ट्रैक अनिवार्य हों?

कभी वक्त था जब स्कूल, कॉलेज जाने का सबसे बड़ा साथी साइकिल होती थी। उसके साथ मस्ती होती थी, शरारतें होती थीं, दोस्त बनते थे। मोहल्लों में साइकिल की घंटी बजती थी तो कई कहानियां चल पड़ती थीं। आज भी स्कूल-कॉलेज दूर हैं, लेकिन अगर मां-बाप से कह दो कि बच्चे को साइकिल से भेजिए, तो डर के मारे उनकी जान सूख जाए। क्योंकि सडक़ पर सबसे असुरक्षित कोई है तो वो पैदल चलने वाला या साइकिल सवार।

याद कीजिए कांशीराम को। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छत्तीसगढ़ की जांजगीर लोकसभा सीट से की थी। तब उनके पास कोई साधन नहीं था। बस एक साइकिल, एक बैग और एक अटूट संकल्प। 70-80 के दशक में वे बामसेफ संगठन को खड़ा करने के लिए साइकिल पर देशभर में घूमते रहे। उनकी यही यात्रा आगे चलकर बहुजन समाज पार्टी की नींव बनी। मेजर ध्यानचंद और मिल्खा सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी भी अपनी सेहत का राज साइकिल को मानते थे। और कौन भूल सकता है उस डाकिए को जो चि_ियों का बैग लटकाए मोहल्लों में घूमता था? अब ये डाकिये भी बाइक पर आते हैं। शहर से बाहर निकल जाएं तो आपको साइकिलों की कतार मिल जाएगी। वे लोग जो रोज गांव से जान की बाजी लगाकर साइकिल पर शहर आते हैं, अमीरों के घर, दुकानों और फैक्ट्रियों में काम करने।

साइकिल खत्म नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में तो ये आज भी जीवन का जरूरी हिस्सा है। दंतेवाड़ा, बस्तर, बलरामपुर और सरगुजा जैसे जिलों में स्कूल जाते बच्चे, किसान और वनकर्मी साइकिल पर ही चलते हैं। लेकिन सरकार का ध्यान बुलेट ट्रेन, इलेक्ट्रिक वाहनों और एक्सप्रेसवे पर  है। पर्यावरण और सेहत बचाने वाली साइकिल पर नहीं। अब समय है कि साइकिल को फिर से उसका हक और सम्मान मिले। नीति में भी और सडक़ों पर भी। क्योंकि साइकिल सिर्फ पहिए नहीं घुमाती, विचार भी बदल सकती है। संलग्न तस्वीर बस्तर की है। 

भाटिया से कांग्रेस में हलचल

आबकारी घोटाला केस में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी विजय भाटिया को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। भाटिया ईओडब्ल्यू-एसीबी की रिमांड पर हैं। सुनते हैं कि भाटिया को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने 30 तारीख की शाम को ही अपनी हिरासत में ले लिया था।

दिल्ली में ही भाटिया से पूछताछ चल रही थी , और फिर उन्हें एक तारीख को फ्लाइट से नागपुर लाया गया। वहां से सडक़ मार्ग से रायपुर लाया, और फिर विधिवत गिरफ्तारी कर विशेष अदालत में पेश किया गया। भाटिया अभी ईओडब्ल्यू-एसीबी की रिमांड पर हैं। भाटिया, पूर्व सीएम के राजनीति के शुरुआती दिनों से जुड़े रहे हैं। लो-प्रोफाइल में रहने वाले विजय भाटिया, भूपेश बघेल के दिल्ली दौरे में साथ होते थे। और अब उनकी गिरफ्तारी हुई है, तो कांग्रेस में हलचल है। भाटिया का परिवार तो फर्नीचर के कारोबार से जुड़ा रहा है। उनका भिलाई-3 में फर्नीचर का शो-रूम है।

भाटिया से ईडी ने पहले भी पूछताछ की थी, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। यह कहा जा रहा है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी आबकारी घोटाले में भाटिया की संलिप्तता के पुख्ता साक्ष्य मिले हैं। एक शराब फर्म में उनकी हिस्सेदारी का दावा भी हो रहा है। यह भी चर्चा है कि शराब घोटाले के तार दूर तक जुड़े हैं। अब इन दावों में कितना दम है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।


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