राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बाबा सिद्दीकी और छत्तीसगढ़
13-Oct-2024 4:08 PM
राजपथ-जनपथ :  बाबा सिद्दीकी और छत्तीसगढ़

बाबा सिद्दीकी और छत्तीसगढ़

एनसीपी नेता पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या से न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं को झकझोर कर रख दिया है। बाबा सिद्दीकी को कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा चुनाव का पर्यवेक्षक बनाया था। दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले ही छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए संगठन की तैयारी शुरू हो गई थी, और बाबा सिद्दीकी उसमें अहम रोल निभा रहे थे।

बाबा सिद्दीकी इस बात से हैरान थे कि रायपुर लोकसभा की सीट कांग्रेस वर्ष-91 के बाद से जीत नहीं पाई है। जबकि विधानसभा चुनावों में रायपुर लोकसभा की विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहता है। बाबा सिद्दीकी विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए आए थे, और फूल चौक में एक कार्यक्रम में भी शिरकत की थी। इसके अलावा आरंग, और बलौदाबाजार सहित अन्य क्षेत्रों का दौरा किया था। और कार्यकर्ताओं की बैठक भी ली थी।

बाबा सिद्दीकी एक कदम आगे जाकर कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे थे। ये अलग बात है कि उन्हें अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल पा रहा था। वो आर्थिक रूप से काफी सक्षम नेता रहे हैं। इसलिए उन्हें यहां ज्यादा किसी की परवाह भी नहीं थी। बाद में महाराष्ट्र से जुड़े कुछ विषयों को लेकर अपनी असहमति के बाद कांग्रेस से अलग हो गए, और अजीत पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। उनके निधन से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता भी सदमे में हैं।

खेलों में खेला

राष्ट्रीय वन खेल उत्सव इन दिनों राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हॉट टॉपिक बना हुआ है। खासकर इस हो खर्च को लेकर। अपुष्ट आंकड़े तो अविश्वसनीय हैं। लेकिन इस विभाग के  नेता और अफसर तो अपने को सबसे गरीब विभाग बताने से नहीं चूकते। और खेल के लिए इतने खर्च पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

बताते हैं कि इसके खर्च को लेकर ही देश के कई अन्य राज्यों के वन विभागों ने हाथ खड़े कर दिए थे। उसके बाद छत्तीसगढ़ ने मेजबानी ली और तैयारी अंतिम चरण में है। दो अफसरों को जिम्मेदारी दी गई। इनमें एक आईपीएस अफसर के रिश्तेदार हैं। इन्हें इसलिए रखा गया है कि कहीं आरटीआई का मामला आए तो आईपीएस का भय काम आ सके। तो दूसरे विभाग में अच्छे चार्टर्ड एकाउंटेंट माने जाते हैं।

पिछली बार भी इन साहब ने हिसाब किताब कर बड़ी बचत की थी। इस बार भी करोड़ों का सारा खर्च इन्हीं की डायरी के जरिए सेंट्रलाइज्ड हो रहा है। इसमें जेम पोर्टल, क्रय भंडार नियम आदि आदि की कोई भूमिका नहीं है। सीधे दिल्ली के सप्लायर से रेट कांट्रेक्ट पर खरीदी हो रही है।

सप्लायर भी पार्टी के ही, इसलिए उधर से भी एनओसी क्लीयर है। खरीदी प्रिंट रेट पर हो रही है। इसमें डिस्काउंट, कमीशन जो कह लें सब कुछ प्री नेगोशिएटेड है। जो 30 फीसदी या अधिक पर। इसके बाद भी विभाग कह रहा। हमारा राज्य आर्थिक तंगी से गुजर रहा। यह पूरी जानकारी देने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उनका वेतनमान बढ़ाने का प्रस्ताव 10 साल से लंबित है जिसका वित्तीय भार खेलों के कुल खर्च से कई गुना कम केवल सालाना 5 करोड़ आंकलित है।

आप ही ने बनाया है, आप ही संवारें 

पिछले 5 वर्ष तक भाजपा लगातार आरोप लगाती थी कि उसके ड्रीम प्रोजेक्ट कमल विहार बिहार की ओर कांग्रेस सरकार ध्यान नहीं दे रही है। केवल कौशल्या विहार नाम बदलने के। अब तो वो सरकार चली गई भाजपा फिर सरकार में है। कह रही हमने बनाया हम ही संवारेंगे।

लेकिन यहां के निवासी त्राहि त्राहि हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह स्मार्ट सेटेलाइट सिटी नहीं रायपुर विकास प्राधिकरण ने दुनिया में अलग पहचान बनाने वाली नरक सिटी बना दी है।

त्योहार प्रारंभ हो चुके हैं यहां रात्रि में जाकर देखें पूरा कमल (कौशल्या) बिहार अंधेरे में डूबा रहता है यहां चोर-लुटेरे दिन रात सक्रिय हैं। तो यहां का सन्नाटा, वीरान तलाशने वाले प्रेमियों के माकूल जगह बनता जा रहा है। यहां के निवासियों का रहना मुश्किल हो गया है। क्या रायपुर विकास प्राधिकरण ने यहां के निवासियों को अपराधियों के भरोसे छोड़ दिया है कि वह खुलेआम रात्रि अंधेरे में कुछ भी अपराध करें?

यहां के निवासियों का कहना है कि आक्रोशित लोगों की धैर्य की परीक्षा लेना बंद करें। उससे पहले निर्वाचित पार्षद विधायक सांसद मंत्री इसे संज्ञान में ले। क्योंकि जिला प्रशासन और प्राधिकरण का प्रशासन लगभग निरंकुश हो चुका हैं।

जनरल पैसेंजर को चिढ़ाती वंदेभारत

बीते 20 सितंबर को छत्तीसगढ़ को दूसरी वंदेभारत ट्रेन मिली। दुर्ग से विशाखापट्टनम की यह तेज गति ट्रेन गिनती के स्टेशनों में रुकती है और अन्य ट्रेनों के मुकाबले तीन घंटे कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच जाती है। जबसे यह ट्रेन शुरू हुई है कि इस रूट पर चलने वाली दूसरी ट्रेनों को उसी तरह बीच रास्ते में रोक दिया जाता है, जैसे नागपुर-बिलासपुर के बीच चलने वाली ट्रेन के लिए किया जाता है। रायपुर से विशाखापट्टनम के लिए सुबह छूटने वाली स्पेशल पैंसेजर ट्रेन यहां से समय पर तो छूटती है पर आगे चलकर किसी भी छोटे स्टेशन पर 40 से 50 मिनट के लिए रोक दिया जाता है, क्योंकि पीछे से वंदेभारत एक्सप्रेस आती है। प्राय: स्पेशल पैंसेजर ट्रेन को बालासोंड स्टेशन पर रोका जा रहा है जहां न तो शेड है और न ही पीने के लिए पानी का इंतजाम। दूसरी ओर पता नहीं रेलवे ने वंदेभारत ट्रेन की जरूरत महसूस की तो उसने इस रूट पर कितने यात्री मिलेंगे, यह सर्वे कराया या नहीं। अब जबकि ट्रेन को चलते तीन सप्ताह चुके हैं, इसे सवारियों का टोटा बना हुआ है। 1128 सीटों वाली इस ट्रेन में हर दिन औसत 160 से 200 के बीच ही सवारी चढ़ रहे हैं। यही हाल कई महीनों तक बिलासपुर-नागपुर ट्रेन का था। तब इसके कोच की संख्या घटाकर 14 से सीधे 7 कर दी गई। यदि यही हाल रहा तो दुर्ग-विशाखापट्टनम से भी कई कोच हटाने पड़ेंगे। कई लोगों का सुझाव है कि इन ट्रेनों में प्रीमियम शुल्क लेकर नॉन एसी कोच भी लगा दिए जाएं। मगर, शायद रेलवे को लगता है कि जो ज्यादा खर्च कर सकें, वे ही तेज रफ्तार वाली ट्रेनों के हकदार हैं।

उत्पातियों से सुरक्षित दूरी 

डेली नीड्स की यह दुकान कोटा विकासखंड के एक ग्राम की है, जिसमें सामने जाली लगा दी गई है। यदि किसी ग्राहक को कोई सामान चाहिए तो वह उस पर हाथ नहीं लगा सकता। एक छोटी सी खिडक़ी बनाई गई है, उसी से लेन-देन होता है। इसे महिलाएं चलाती हैं। शाम होने के बाद कुछ बेवड़े भी दुकान में टपक पड़ते हैं। इसलिए यह घेराबंदी बहुत काम आती है। दिन में बंदर भी धमक पड़ते हैं। वे झपटकर कोई भी सामान उठा लेते थे। उनसे भी बचाव हो जाता है।  (rajpathjanpath@gmail.com)


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