राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कार्रवाई की रफ्तार भी तो देखिये
14-Jul-2025 6:26 PM
राजपथ-जनपथ : कार्रवाई की रफ्तार भी तो देखिये

कार्रवाई की रफ्तार भी तो देखिये

पहली बार विधायक बनीं, पहली बार मंत्री बनीं, और पहली ही बार में आरोप लग गया। मासूम बच्चों की थाली तक हल्की पड़ गई! बच्चों की थाली में छेद और अलमारी में दीमक लगने का राज तो गोदाम में ही दम तोड़ देता, यदि मीडिया में खबर नहीं चलती।

मामला बाल विकास विभाग में 40 करोड़ के सप्लाई टेंडर का है। जांच रिपोर्ट आई है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह रकम सिर्फ 28 करोड़ है। लोग कह रहे हैं, जांच के नाम पर खानापूर्ति हो गई। जो सामान उनसे लिया गया था बदलकर नया ले लिया गया। यानि गड़बड़ी पकड़े जाने की सजा केवल इतनी है कि आप उसे ठीक कर लो।  छह एजेंसियों को ब्लैक लिस्टेड करने की बात वजन के साथ कही गई है। पर जो सप्लाई के धंधे में लगे हैं वे बताते हैं कि इससे उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। एक फर्म के पीछे, चार, छह, दस और फर्म होते हैं। बदलकर दूसरे नामों से टेंडर में भाग लिया जा सकता है।  अब फर्म अपना नाम बदलकर फिर से आएगी, फिर वही थाली, वही आलमारी, वही तवा, बस नया पर्चा और नया बोर्ड लगाकर! विभाग फिर आंख मूंदकर क्वालिटी चेक करेगा, फिर जांच कमेटी बनेगी, फिर दूसरी थाली-अलमारी भेज दी जाएगी। जिन अधिकारियों की आंख के सामने घटिया थाली, खोखली अलमारी खपा दी गई उन पर तो कुछ कार्रवाई हुई थी। अफसरों से लेकर बाबुओं तक की कुर्सी सुरक्षित है। किसी के खिलाफ कोई एफआईआर भी नहीं।

पूरी कार्रवाई बड़ी मजबूरी में, सावधानी के साथ की गई प्रतीत हो रही है। ताकि जिन लोगों को हिस्सा मिला है और उन पर कोई आंच न आए, जिन लोगों ने हिस्सा-बंटवारे में भाग लिया उनका भी बाल बांका न हो।  आंगनबाड़ी के बच्चे तो वही खाएंगे जो आप देंगे। कोई शिकायत करेगा तो वही रटी-रटाई लाइन फिर सुनने को मिलेगी- गुणवत्ता के कोई समझौता नहीं होगा।

इस दृश्य पर कांग्रेस को आपत्ति

इस तस्वीर में कुछ असहज करने वाली बात आपको दिखाई दे रही है? भाजपा के वरिष्ठतम आदिवासी नेताओं में से एक पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर, राज्यपाल रमेन डेका के सामने खड़े होकर कोई बात कर रहे हैं। यह कोरबा प्रवास के दौरान की तस्वीर है। हाल ही में राज्यपाल ने यहां का दौरा किया था। कांग्रेस ने और पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के सोशल मीडिया पेज पर इस तस्वीर को पोस्ट किया गया है। कंवर का अपमान हुआ, यह कहा जा रहा है। वजह राज्यपाल के बैठे होने पर नहीं। बगल में ध्यान से देखें तो कलेक्टर अजीत वसंत दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस को आपत्ति है कि वे क्यों बैठे हुए हैं? जब वरिष्ठ आदिवासी नेता कंवर खड़े हैं तो उन्हें आराम से इस तरह नहीं बैठना चाहिए। आप आकलन करें कि क्या कांग्रेस की यह आपत्ति सही है। कलेक्टर ने शायद यह मानकर खड़े होने की जरूरत महसूस की होगी कि कंवर वर्तमान में सरकार में किसी पद में नहीं। वे केवल जनप्रतिनिधियों के प्रति जिम्मेदार हैं। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वे सत्तारूढ़ दल से हैं या नहीं। यह भी देखना होगा कि क्या यह स्थिति राज्यपाल से कंवर की मुलाकात के दौरान पूरे समय थी, या फिर कुछ देर के लिए यह संयोग बना। उन्हें बैठने के लिए कहा गया या नहीं कहा गया?

सभी के कान ही कैसे खराब?

प्रदेश के कबीरधाम, मुंगेली सहित कई जिलों में फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी पाने वालों पर शिकंजा कसा है। करीब सवा सौ अफसर-कर्मी हैं, जिनकी दिव्यांगता सर्टिफिकेट को फर्जी बताया जा रहा है। मुंगेली जिले में दिव्यांग सर्टिफिकेट धारी 27 अफसर-कर्मियों को नोटिस  जारी कर मेडिकल जांच की अद्यतन स्थिति की जानकारी मांगी गई है।

इन अफसर-कर्मियों को राज्य मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता की जांच कराने के लिए कहा गया था, लेकिन किसी ने भी जांच नहीं कराई। कुछ तो हाईकोर्ट चले गए। अब इन सभी को बर्खास्त करने की तैयारी चल रही है। खास बात ये है कि 27 में से 24 ने खुद को श्रवण बाधित (बहरा) बताकर दिव्यांगता सर्टिफिकेट हासिल की है। यह बात भी सामने आई है कि मुंगेली जिले के आधा दर्जन गांवों में करीब सात से आठ सौ युवाओं ने फर्जी सर्टिफिकेट बनाया है। इन सभी ने खुद को श्रवण बाधित बताया है।

कथित श्रवण बाधित युवा डिप्टी कलेक्टर से लेकर अन्य ऊंचे पदों पर हैं। इन्हें नौकरी से निकालने के लिए आंदोलन भी चल रहा है। फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट प्रकरण पर हाईकोर्ट भी गंभीर है, और इस  पर इसी हफ्ते सुनवाई होनी है। देखना है कि प्रकरण पर आगे क्या कुछ होता है।

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक

भ्रष्टाचार के किसी मामले में जांच होती है, तो कई बार ऐसे प्रकरण भी सामने आ जाते हैं जो कि फाइलों में नस्तीबद्ध हो चुके होते हैं। कुछ इसी तरह का मामला रावतपुरा मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है। पिछले दिनों सीबीआई ने मान्यता के लिए एनएमसी की टीम को घूस देने के मामले में कॉलेज प्रबंधन से जुड़े पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। इनमें से एक कॉलेज के डायरेक्टर जेल में हैं। बाकी चार लोगों के खिलाफ फिलहाल गिरफ्तारी जैसी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

खुद रावतपुरा महाराज भी प्रकरण की जांच के घेरे में आ गए हैं। राज्य सरकार भी मामले पर काफी गंभीर है, और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई के लिए कदम उठा रही है। रावतपुरा संस्थान से जुड़े रायपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अतिन कुंडू के खिलाफ भी सीबीआई ने प्रकरण दर्ज किया है।

राज्य सरकार ने कुंडू के मामले की जानकारी ली, तो उनके पुराने प्रकरण भी सामने आ गए। कुंडू का पांच साल पहले अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज तबादला हुआ था। काफी कोशिशों के बावजूद कुंडू अपना तबादला रूकवाने में सफल नहीं हो पाए, तो वे छुट्टी पर चले गए। इस दौरान वे रायपुर के ही एक अन्य निजी मेडिकल कॉलेज संस्थान रिम्स में सेवा देने लगे। यानी सरकार और रिम्स, दोनों जगह से वेतन प्राप्त करते रहे। इस मामले की शिकायत भी हुई थी। जांच में पुष्टि भी हुई, लेकिन वो मामला दबवाने में  सफल रहे। अब डॉ. कुंडू सीबीआई के घेरे में आ गए हैं, तो राज्य सरकार ने पुरानी फाइल खोल दी है। अब उनके बच निकलने की संभावना खत्म होती दिख रही है। देखना है आगे क्या होता है।


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