राजपथ - जनपथ

कुलपति से पहले छात्र नाखुश थे, अब कर्मचारी
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगीतज्ञ और म्यूजिक थैरेपिस्ट डॉ. लवली शर्मा ने अप्रैल माह में खैरागढ़ स्थित इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय में कुलपति का पदभार संभाला था। लेकिन पदभार ग्रहण के महज तीन माह के भीतर ही वे दो विवादों में घिर चुकी हैं।
ताजा विवाद विश्वविद्यालय के गैर-शिक्षकीय कर्मचारियों के साथ सामने आया है। कर्मचारियों की पदोन्नति और समयबद्ध वेतनमान की मांग को लेकर संगठन ने एक दिन का सांकेतिक धरना दिया था। इस पर मीडिया से बातचीत के दौरान कुलपति डॉ. शर्मा ने कथित रूप से कर्मचारियों को गुणहीन और अभिशाप कह दिया। कर्मचारियों के अनुसार, उनके लिए अनावश्यक और अप्रशिक्षित जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया।
डॉ. शर्मा की टिप्पणी से कर्मचारी संगठन नाराज है। उन्होंने इसे स्थानीयता और जातिगत अपमान से जोड़ते हुए कुलपति से माफी मांगने और अपने बयान पर खेद प्रकट करने की मांग की है।
इससे पहले भी, डॉ. लवली शर्मा की नियुक्ति को लेकर विवाद हो चुका है। 12 अप्रैल को जैसे ही उनके नाम की अधिसूचना जारी हुई, सत्ताधारी दल से जुड़ी छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उनकी नियुक्ति को रद्द करने की मांग उठाई थी। हालांकि नियुक्ति पर रोक नहीं लगी। पदभार ग्रहण करने के बाद भी एबीवीपी ने खैरागढ़ में रातभर प्रदर्शन किया।
एबीवीपी का आरोप है कि ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर विश्वविद्यालय में जब डॉ. शर्मा संगीत एवं कला संकाय की डीन थीं, तब उन पर भ्रष्टाचार और एक विवादित प्रोफेसर को बचाने के आरोप लगे थे। संगठन ने नियुक्ति रद्द न होने की स्थिति में चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी थी, हालांकि आगे बात नहीं बढ़ी।
प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों में लंबे समय तक कुलपतियों के पद रिक्त रहे हैं। खैरागढ़ विश्वविद्यालय में भी करीब एक साल तक कुलपति का कार्यभार रायपुर संभागायुक्त के पास था।
यह विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संस्थान माना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यह अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों से अधिक लगातार विवादों के कारण चर्चा में आ रहा है।
देवेंद्र के बदले तेवर
विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है। पिछले सत्रों की भांति इस बार भी विशेषकर प्रश्नकाल में सत्ता, और विपक्ष के सदस्यों के बीच स्वाभाविक रूप से नोकझोंक देखने को मिल रही है। मंगलवार को जल जीवन मिशन योजना को लेकर सवाल-जवाब के बीच पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, और देवेन्द्र यादव के बीच जमकर तकरार हुई। इस मामले में स्पीकर डॉ. रमन सिंह को हस्तक्षेप करना पड़ा।
कांग्रेस सदस्य देवेंद्र यादव पिछले सत्रों में ज्यादातर मौकों पर खामोश रहते थे, लेकिन बलौदाबाजार आगजनी मामले पर जेल से छूटने के बाद देवेन्द्र के तेवर बदले दिख रहे हैं। वो सदन के भीतर अलग-अलग विषयों को लेकर आक्रामक नजर आ रहे हैं। अजय के साथ सदन के भीतर गरमा गर्मी तो हुई, लेकिन थोड़ी देर बाद दोनों की नजरें आपस में मिली, तो देवेन्द्र यादव ने अजय को देखकर तुरंत हाथ जोड़, और कान पकडक़र माफी भी मांग ली। अजय ने भी सिर हिलाकर एक तरह से उन्हें माफी दे दी। ये अलग बात है कि दोनों के बीच तकरार की रील्स काफी वायरल हो रही है।
चातुर्मास में ‘महाराज’ का बयान कैसे
रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए घूस देने के मामले में जांच के घेरे में आए रावतपुरा श्री रविशंकर महाराज के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर तो कर लिया है, लेकिन आगे पूछताछ रुकी है। वजह यह है कि चातुर्मास चल रहा है, और रावतपुरा महाराज सागर में चातुर्मास कर रहे हैं। यानी वो चार महीने एक ही स्थान पर रहेंगे।
पिछले दिनों रावतपुरा महाराज के कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार के कई मंत्री उपस्थित थे। रावतपुरा संस्थान प्रबंधन के तमाम लोगों ने चुप्पी साध ली है। कोई भी इस विषय पर चर्चा नहीं कर रहे हैं। रेरा चेयरमैन संजय शुक्ला के खिलाफ भी सीबीआई ने एफआईआर किया है।
अभी तक रावतपुरा संस्थान के कुल पांच लोगों के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज किया है, लेकिन गिरफ्तारी सिर्फ एक डायरेक्टर की हुई है। बाकियों का क्या होता है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
पानी के बीच खड़ा अनोखा मंदिर
राजधानी रायपुर से पाटन मार्ग पर स्थित परसदा गांव के पास एक बेहद खास स्थान है, जहाँ प्रकृति की शांत छांव और आस्था की गूंज एक साथ महसूस होती है। खारून नदी के बीचों बीच स्थित ‘ठकुराईनटोला’ मंदिर एक धार्मिक स्थल तो है, पर इस बारिश के मौसम में खूबसूरत प्राकृतिक आकर्षण भी है।
बरसात के दिनों में जब खारून नदी पूरे यौवन पर है, यह मंदिर चारों तरफ से पानी से घिर गया है। मंदिर का प्रतिबिंब नदी के शांत जल में झलकता है, पक्षियों की चहचहाहट गूंजती है और ठंडी हवा का स्पर्श मन को सुकून से भर देता है। इस नजारे को देखने वालों की आंखें कुछ पल के लिए ठहर जाती हैं। सरकार ने हाल ही में नदी पर एक भव्य लक्ष्मण झूला का निर्माण करवाया है, जो नदी के दोनों किनारों को जोड़ता है। बताया जा रहा है कि झूले का लोकार्पण इसी महीने होने वाला है।
छुट्टियों और वीकेंड पर यह स्थान सैलानियों से गुलजार होने लगा है। लोग नदी में स्नान का आनंद भी लेते हैं, क्योंकि इसकी गहराई यहां पर बहुत अधिक नहीं है। एक बार इस ठंडी और निर्मल जलधारा में डुबकी लगाने के बाद दिनभर की थकान जैसे छू-मंतर हो जाती है। (तस्वीर व विवरण- गोकुल सोनी)