राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 दिसंबर। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव के इतिहास विभाग में शहीद वीरनारायण सिंह जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ शहीद वीरनारायण के तैलचित्रों पर पुष्पांजलि में प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते विभागध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि क्रांति के समय देश के अधिकांश भागों की तरह छत्तीसगढ़ भी प्रभावित हुआ था। सन् 1856 में इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा और लोगों को भूखों मरने की नौबत आ गई थी। ऐसे समय में वीरनारायण सिंह ने व्यापारी के गोदाम का अनाज किसानों को बांटा तथा इसकी सूचना डिप्टी कमिश्नर को भी दी थी, पर उनके कृत्य को कानून विरोधी समझा गया था।
प्रभारी प्राचार्य डॉ. अनिता महिश्वर ने कहा कि वीरनारायण सिंह को छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जाना जाता था। वे सोनाखान के जमींदार थे। सन् 1857 के विद्रोह में उन्होनें अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़़ी थी। 10 दिसंबर 1857 को उन्हें जयस्तंभ चौक रायपुर में फांसी दी गई थी।
कार्यक्रम का संचालन करते प्रो.हिरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्र में सैनिकों को संगठित कर सेना तैयार करने का कार्य अदम्य साहस का प्रतीक था। 1857 की क्रांति के समय वीरनारायण सिंह के संघर्ष को कभी भूला नहीं जा सकता। वो आजादी के सच्चे सिपाही थे। आज के युवा पीढ़ी को वीरनारायण सिंह के शहादत को हमेशा याद रखना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. अजय शर्मा, प्रो. टोमेन्द्र साहू के साथ एमए इतिहास एवं एमएससी वनस्पति शास्त्र की छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।


